Comments - खोट के नोट (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T04:39:27Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A816351&xn_auth=noमेरा यह प्रस्तुति भी आपको पसं…tag:openbooks.ning.com,2016-12-10:5170231:Comment:8196562016-12-10T16:05:16.805ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मेरा यह प्रस्तुति भी आपको पसंद आई। रचना पर समय देने व अपने विचार साझा करते हुए स्नेहिल प्रोत्साहन देने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी व आदरणीया नीता कसार जी।
मेरा यह प्रस्तुति भी आपको पसंद आई। रचना पर समय देने व अपने विचार साझा करते हुए स्नेहिल प्रोत्साहन देने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी व आदरणीया नीता कसार जी। तीखी कटाक्ष करती लघु कथा में…tag:openbooks.ning.com,2016-12-01:5170231:Comment:8178102016-12-01T13:19:45.056ZNita Kasarhttp://openbooks.ning.com/profile/NitaKasar
तीखी कटाक्ष करती लघु कथा में नीयत की खोट को खूब उकेरा है,आपने मुश्किल से जीवन यापन करने वालों की व्यथा बड़े लोग क्या जानें।बधाई आपको आद०शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी ।
तीखी कटाक्ष करती लघु कथा में नीयत की खोट को खूब उकेरा है,आपने मुश्किल से जीवन यापन करने वालों की व्यथा बड़े लोग क्या जानें।बधाई आपको आद०शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी । नोट बंदी पर सुंदर व्यंग में ल…tag:openbooks.ning.com,2016-12-01:5170231:Comment:8176902016-12-01T10:55:01.140Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>नोट बंदी पर सुंदर व्यंग में लघु कथा </p>
<p>नोट बंदी पर सुंदर व्यंग में लघु कथा </p> मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थि…tag:openbooks.ning.com,2016-11-29:5170231:Comment:8168002016-11-29T13:34:43.583ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब मिथिलेश वामनकर साहब, जनाब विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी व जनाब विजय निकोरे जी।
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब मिथिलेश वामनकर साहब, जनाब विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी व जनाब विजय निकोरे जी। आदरणीय उस्मानी जी खोट के नोट…tag:openbooks.ning.com,2016-11-28:5170231:Comment:8165362016-11-28T17:14:31.889Zविन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठीhttp://openbooks.ning.com/profile/Vindhyeshwariprasadtripathi
आदरणीय उस्मानी जी खोट के नोट पर करारी चोट हुई है। बेहतरीन लघुकथा, बधाई।
आदरणीय उस्मानी जी खोट के नोट पर करारी चोट हुई है। बेहतरीन लघुकथा, बधाई। बहुत ही खूबसूरत तंज। हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2016-11-28:5170231:Comment:8163932016-11-28T02:41:54.880Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
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<p>बहुत ही खूबसूरत तंज। हार्दिक बधाई।</p>
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<p>बहुत ही खूबसूरत तंज। हार्दिक बधाई।</p> आदरणीय उस्मानी जी, बहुत बढ़िया…tag:openbooks.ning.com,2016-11-27:5170231:Comment:8164592016-11-27T17:57:00.242Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय उस्मानी जी, बहुत बढ़िया व्यंग्य हुआ है. इस शानदार लघुकथा पर हार्दिक बधाई.</p>
<p>आदरणीय उस्मानी जी, बहुत बढ़िया व्यंग्य हुआ है. इस शानदार लघुकथा पर हार्दिक बधाई.</p> ऐसा लगना स्वाभाविक है लेकिन म…tag:openbooks.ning.com,2016-11-27:5170231:Comment:8161892016-11-27T17:34:41.561ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
ऐसा लगना स्वाभाविक है लेकिन मैं साधारण सा अशासकीय शिक्षक हूँ , मुझ पर नोटबंदी का वैसा असर नहीं है जैसा टीवी पर दिखाया व सुनाया जा रहा है! कथानक सूझ गए तो लिख लीं दो-तीन लघुकथायें। बहुत ख़ुशी हासिल हुई कि आप मेरी ब्लोग पोस्ट पढ़ते ही नहीं, संबंधित बातें याद भी रखते हैं। रचना के अनुमोदन व हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरम जनाब समर कबीर साहब।
ऐसा लगना स्वाभाविक है लेकिन मैं साधारण सा अशासकीय शिक्षक हूँ , मुझ पर नोटबंदी का वैसा असर नहीं है जैसा टीवी पर दिखाया व सुनाया जा रहा है! कथानक सूझ गए तो लिख लीं दो-तीन लघुकथायें। बहुत ख़ुशी हासिल हुई कि आप मेरी ब्लोग पोस्ट पढ़ते ही नहीं, संबंधित बातें याद भी रखते हैं। रचना के अनुमोदन व हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरम जनाब समर कबीर साहब। जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदा…tag:openbooks.ning.com,2016-11-27:5170231:Comment:8163032016-11-27T15:55:13.647ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत बढ़िया तंज़ में भीगी हुई लघुकथा है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।<br />
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लगता है नोट बन्दी का आप पर कुछ ज़ियादा ही असर हुआ है,इस पर शायद ये आपकी तीसरी लघुकथा है ।
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत बढ़िया तंज़ में भीगी हुई लघुकथा है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।<br />
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लगता है नोट बन्दी का आप पर कुछ ज़ियादा ही असर हुआ है,इस पर शायद ये आपकी तीसरी लघुकथा है ।