Comments - चलना ही सीखना है तो ठोकर तलाश कर (ग़ज़ल) - Open Books Online2024-03-29T10:38:06Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A815986&xn_auth=noआदरणीय अच्छी अज़ल कही है , दिल…tag:openbooks.ning.com,2016-12-02:5170231:Comment:8178222016-12-02T04:03:37.276Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय अच्छी अज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ आपको ।<br/>पर्वर्तन के लिये मै , आ. समर भाई की सलाह का अनुमोदन करता हूँ , बहुत सटीक सलाह है .. बाक़ी आप स्वतंत्र हैं ।</p>
<p>आदरणीय अच्छी अज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ आपको ।<br/>पर्वर्तन के लिये मै , आ. समर भाई की सलाह का अनुमोदन करता हूँ , बहुत सटीक सलाह है .. बाक़ी आप स्वतंत्र हैं ।</p> "तू इसके वास्ते न समंदर तलाश…tag:openbooks.ning.com,2016-12-01:5170231:Comment:8176802016-12-01T05:17:56.173ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
"तू इसके वास्ते न समंदर तलाश कर"
"तू इसके वास्ते न समंदर तलाश कर" वही अर्थ रखना हो तो इस तरह भी…tag:openbooks.ning.com,2016-12-01:5170231:Comment:8174982016-12-01T05:10:17.198Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>वही अर्थ रखना हो तो इस तरह भी कर सकते हैं</p>
<p></p>
<p>ऊँचे मकान छोड़ तू इक घर तलाश कर</p>
<p>वही अर्थ रखना हो तो इस तरह भी कर सकते हैं</p>
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<p>ऊँचे मकान छोड़ तू इक घर तलाश कर</p> आदरणीय समर कबीर जी, आदरणीय धर…tag:openbooks.ning.com,2016-11-30:5170231:Comment:8174972016-11-30T20:51:08.937Zजयनित कुमार मेहताhttp://openbooks.ning.com/profile/JaynitKumarMehta
<p>आदरणीय समर कबीर जी, आदरणीय धर्मेन्द्र जी,बहुत बहुत धन्यवाद आपलोगों को।</p>
<p></p>
<p>मैं उक्त मिसरा ए सानी की जगह पर प्रस्तुत मिसरा रखने पर आपलोगों का अनुमोदन चाहता हूँ-</p>
<p>"मत वक़्त ज़ाया कर तू समंदर तलाश कर"</p>
<p></p>
<p>ये कैसा रहेगा?</p>
<p>सादर!!</p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी, आदरणीय धर्मेन्द्र जी,बहुत बहुत धन्यवाद आपलोगों को।</p>
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<p>मैं उक्त मिसरा ए सानी की जगह पर प्रस्तुत मिसरा रखने पर आपलोगों का अनुमोदन चाहता हूँ-</p>
<p>"मत वक़्त ज़ाया कर तू समंदर तलाश कर"</p>
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<p>ये कैसा रहेगा?</p>
<p>सादर!!</p> आदरणीय डॉ गोपाल जी, हार्दिक ध…tag:openbooks.ning.com,2016-11-30:5170231:Comment:8174952016-11-30T20:48:20.486Zजयनित कुमार मेहताhttp://openbooks.ning.com/profile/JaynitKumarMehta
<p>आदरणीय डॉ गोपाल जी, हार्दिक धन्यवाद आपको।</p>
<p>आदरणीय डॉ गोपाल जी, हार्दिक धन्यवाद आपको।</p> आ० भाई जयनित जी सूंदर ग़ज़ल हुई…tag:openbooks.ning.com,2016-11-28:5170231:Comment:8165182016-11-28T05:58:52.342Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ० भाई जयनित जी सूंदर ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकारें l</p>
<p>आ० भाई जयनित जी सूंदर ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकारें l</p> आदरणीय जयनित जी, बढ़िया ग़ज़ल कह…tag:openbooks.ning.com,2016-11-27:5170231:Comment:8164612016-11-27T18:00:59.173Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय जयनित जी, बढ़िया ग़ज़ल कही है. हार्दिक बधाई. सादर </p>
<p>आदरणीय जयनित जी, बढ़िया ग़ज़ल कही है. हार्दिक बधाई. सादर </p> आदरणीय बहुत सुन्दर ..........…tag:openbooks.ning.com,2016-11-27:5170231:Comment:8163822016-11-27T13:58:42.855ZDR. BAIJNATH SHARMA'MINTU'http://openbooks.ning.com/profile/BAIJNATHSHARMAMINTU
<p>आदरणीय बहुत सुन्दर ...............बधाई </p>
<p>आदरणीय बहुत सुन्दर ...............बधाई </p> अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय जयनित…tag:openbooks.ning.com,2016-11-27:5170231:Comment:8161822016-11-27T13:23:01.088Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय जयनित जी। दाद कुबूल करें। समर साहब से सहमत हूँ।</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय जयनित जी। दाद कुबूल करें। समर साहब से सहमत हूँ।</p> जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदा…tag:openbooks.ning.com,2016-11-26:5170231:Comment:8164292016-11-26T17:22:11.328ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।<br />
मक़्ते के सानी मिसरे से मैं इत्तिफ़ाक़ नहीं करता,ऊला और सानी में रब्त नहीं हो रहा है,बहुत बारीक नुक्ता बता रहा हूँ,आपकी रदीफ़ बहुत मुश्किल है'तलाश कर',मेरा सुझाव है कि सानी मिसरा यूँ कर लें:-<br />
"तू इसके वास्ते न समंदर तलाश कर"
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।<br />
मक़्ते के सानी मिसरे से मैं इत्तिफ़ाक़ नहीं करता,ऊला और सानी में रब्त नहीं हो रहा है,बहुत बारीक नुक्ता बता रहा हूँ,आपकी रदीफ़ बहुत मुश्किल है'तलाश कर',मेरा सुझाव है कि सानी मिसरा यूँ कर लें:-<br />
"तू इसके वास्ते न समंदर तलाश कर"