Comments - तरही ग़ज़ल/सतविन्द्र कुमार - Open Books Online2024-03-28T19:28:24Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A804336&xn_auth=noबहुत् बहुत् आभार आदरणीया कल्प…tag:openbooks.ning.com,2016-10-07:5170231:Comment:8064412016-10-07T15:19:55.901Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
बहुत् बहुत् आभार आदरणीया कल्पना दीदी!
बहुत् बहुत् आभार आदरणीया कल्पना दीदी! अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय सतविन…tag:openbooks.ning.com,2016-10-05:5170231:Comment:8056852016-10-05T15:26:28.012ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय सतविन्द्र भैया | हार्दिक बधाई |</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय सतविन्द्र भैया | हार्दिक बधाई |</p> आदरणीय शिज्जु शकूर जी हौंसलाफ़…tag:openbooks.ning.com,2016-10-03:5170231:Comment:8057202016-10-03T14:16:56.441Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
आदरणीय शिज्जु शकूर जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल शुक्रिया।आदरणीय समर कबीर जी के सुझाव अनुसार दुरुस्त कर लिया गया है।सादर
आदरणीय शिज्जु शकूर जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल शुक्रिया।आदरणीय समर कबीर जी के सुझाव अनुसार दुरुस्त कर लिया गया है।सादर आ.सतविन्द्र कुमार जी इस ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2016-10-03:5170231:Comment:8055622016-10-03T12:28:49.577Zशिज्जु "शकूर"http://openbooks.ning.com/profile/ShijjuS
<p>आ.सतविन्द्र कुमार जी इस ग़ज़ल के लिए बधाई, शेष समर कबीर साहब तो बता ही चुके हैं</p>
<p>आ.सतविन्द्र कुमार जी इस ग़ज़ल के लिए बधाई, शेष समर कबीर साहब तो बता ही चुके हैं</p> आदरणीय सुरेश भाई जी,प्रयास को…tag:openbooks.ning.com,2016-10-03:5170231:Comment:8054062016-10-03T11:22:43.334Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
आदरणीय सुरेश भाई जी,प्रयास को समय देकर सराहने के लिए सादर आभार।
आदरणीय सुरेश भाई जी,प्रयास को समय देकर सराहने के लिए सादर आभार। आदरणीय रवि शुक्ल सर सादर नमन।…tag:openbooks.ning.com,2016-10-03:5170231:Comment:8055542016-10-03T11:21:25.567Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
आदरणीय रवि शुक्ल सर सादर नमन।प्रोत्साहन के लिए सादर हार्दिक आभार।आपका स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बना रहे।सादर
आदरणीय रवि शुक्ल सर सादर नमन।प्रोत्साहन के लिए सादर हार्दिक आभार।आपका स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बना रहे।सादर आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज भाई स…tag:openbooks.ning.com,2016-10-03:5170231:Comment:8055532016-10-03T11:11:22.868Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज भाई साहब प्रयास की सराहना के लिए सादर आभार एवं नमन।
आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज भाई साहब प्रयास की सराहना के लिए सादर आभार एवं नमन। आदरणीय सतविंदर भाई जी इस उमदा…tag:openbooks.ning.com,2016-10-03:5170231:Comment:8055462016-10-03T06:54:46.917Zसुरेश कुमार 'कल्याण'http://openbooks.ning.com/profile/SureshKumarKalyan
आदरणीय सतविंदर भाई जी इस उमदा गजल के लिए हार्दिक बधाई ।
आदरणीय सतविंदर भाई जी इस उमदा गजल के लिए हार्दिक बधाई । आदरणीय सतविंदर जी इस बढ़िया ग़ज़…tag:openbooks.ning.com,2016-10-02:5170231:Comment:8052782016-10-02T10:27:42.982ZRavi Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/RaviShukla
आदरणीय सतविंदर जी इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए दिली बधाई हाज़िर है मक़्ता बहुत अच्छा लगा । आदरणीय समर साहब का सुझाव दुरुस्त है हालात बहुवचन है ।
आदरणीय सतविंदर जी इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए दिली बधाई हाज़िर है मक़्ता बहुत अच्छा लगा । आदरणीय समर साहब का सुझाव दुरुस्त है हालात बहुवचन है । अब खा रहे हैं काग वो खाना किस…tag:openbooks.ning.com,2016-10-02:5170231:Comment:8054572016-10-02T09:49:12.541Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p><span>अब खा रहे हैं काग वो खाना किसी के श्राद्ध में</span><br/><span>आते नहीं इंसान को गुरबत में जिसके ख़्वाब भी।..</span>वाहह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल....बधाइयाँ</p>
<p><span>अब खा रहे हैं काग वो खाना किसी के श्राद्ध में</span><br/><span>आते नहीं इंसान को गुरबत में जिसके ख़्वाब भी।..</span>वाहह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल....बधाइयाँ</p>