Comments - ग़ज़ल ( अहदे वफ़ा चाहिए ) - Open Books Online2024-03-29T13:01:48Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A804150&xn_auth=noमोहतरमा कल्पना साहिबा ,…tag:openbooks.ning.com,2016-10-05:5170231:Comment:8058852016-10-05T16:01:13.340ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मोहतरमा कल्पना साहिबा , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया --</p>
<p>मोहतरमा कल्पना साहिबा , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया --</p> वाह | बहुत खूब |
जो दौलत है…tag:openbooks.ning.com,2016-10-05:5170231:Comment:8059382016-10-05T15:52:17.375ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>वाह | बहुत खूब |</p>
<p></p>
<p>जो दौलत है ले जाओ तुम भाइयों <br/>मुझे सिर्फ़ माँ की दुआ चाहिए ।</p>
<p>करे ऐब गोई जो हर शख़्स की <br/>उसे दोस्तों आइना चाहिए ।</p>
<p>जो क़ायम करे एकता मुल्क में <br/>हमें सिर्फ़ वह रहनुमा चाहिए । बेहद खुबसूरत ग़ज़ल कही है | दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिये |</p>
<p>वाह | बहुत खूब |</p>
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<p>जो दौलत है ले जाओ तुम भाइयों <br/>मुझे सिर्फ़ माँ की दुआ चाहिए ।</p>
<p>करे ऐब गोई जो हर शख़्स की <br/>उसे दोस्तों आइना चाहिए ।</p>
<p>जो क़ायम करे एकता मुल्क में <br/>हमें सिर्फ़ वह रहनुमा चाहिए । बेहद खुबसूरत ग़ज़ल कही है | दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिये |</p> मोहतरम जनाब अशोक कुमार साहिब…tag:openbooks.ning.com,2016-10-03:5170231:Comment:8054942016-10-03T13:55:42.057ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मोहतरम जनाब अशोक कुमार साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ----</p>
<p>मोहतरम जनाब अशोक कुमार साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ----</p> मोहतरम जनाब गिरिराज साहिब , ग़…tag:openbooks.ning.com,2016-10-03:5170231:Comment:8054932016-10-03T13:55:06.062ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मोहतरम जनाब गिरिराज साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ----</p>
<p>मोहतरम जनाब गिरिराज साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ----</p> जो क़ायम करे एकता मुल्क में हम…tag:openbooks.ning.com,2016-10-02:5170231:Comment:8052662016-10-02T05:38:39.786ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>जो क़ायम करे एकता मुल्क में <br/>हमें सिर्फ़ वह रहनुमा चाहिए ।.......जरूर.</p>
<p>कहीं दिल लगाना भी है लाज़मी <br/>अगर दर्दे ग़म का मज़ा चाहिए ।........वाह ! बहुत खूब.</p>
<p></p>
<p>आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब सादर, बहुत खूबसूरत गजल कही है. दिली मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं. सादर.</p>
<p>जो क़ायम करे एकता मुल्क में <br/>हमें सिर्फ़ वह रहनुमा चाहिए ।.......जरूर.</p>
<p>कहीं दिल लगाना भी है लाज़मी <br/>अगर दर्दे ग़म का मज़ा चाहिए ।........वाह ! बहुत खूब.</p>
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<p>आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब सादर, बहुत खूबसूरत गजल कही है. दिली मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं. सादर.</p> आदरणीय तस्दीक भाई , बेहतरीन ग़…tag:openbooks.ning.com,2016-10-02:5170231:Comment:8054172016-10-02T03:57:45.020Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय तस्दीक भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही है , दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिये ।</p>
<p>आदरणीय तस्दीक भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही है , दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिये ।</p> मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आ…tag:openbooks.ning.com,2016-10-01:5170231:Comment:8053352016-10-01T14:11:32.844ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---</p>
<p>मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---</p> जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,उ…tag:openbooks.ning.com,2016-10-01:5170231:Comment:8052312016-10-01T12:07:07.097ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । मोहतरम जनाब जयनित कुमार साहि…tag:openbooks.ning.com,2016-09-30:5170231:Comment:8050182016-09-30T14:03:08.477ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मोहतरम जनाब जयनित कुमार साहिब ,ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया --- आपने मेरे नाम की जगह कालीपद साहिब का नाम लिख दिया है ----</p>
<p>मोहतरम जनाब जयनित कुमार साहिब ,ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया --- आपने मेरे नाम की जगह कालीपद साहिब का नाम लिख दिया है ----</p> मोहतरम जनाब कालीपद प्रसाद साह…tag:openbooks.ning.com,2016-09-30:5170231:Comment:8048612016-09-30T14:01:18.628ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मोहतरम जनाब कालीपद प्रसाद साहिब ,ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ----मख़लूक़ का मतलब है दुनिया और मख़्दूम का मतलब है खिदमत किया गया ---सादर </p>
<p>मोहतरम जनाब कालीपद प्रसाद साहिब ,ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ----मख़लूक़ का मतलब है दुनिया और मख़्दूम का मतलब है खिदमत किया गया ---सादर </p>