Comments - बेजुबान - लघु कथा - Open Books Online2024-03-28T10:43:15Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A800061&xn_auth=noआदरणीय हरिकिशन ओझा जी। आपने क…tag:openbooks.ning.com,2016-09-17:5170231:Comment:8010742016-09-17T10:28:47.314ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
आदरणीय हरिकिशन ओझा जी। आपने किसी भी टिप्पणी के वास्तविक भाव व उद्देश्य को सही रूप में नहीं लिया है, इसका मुझे दुःख है। मैं यहाँ लघुकथा संदर्भ में ही तथ्य तथा कथ्य सम्प्रेषण संबंधी टिप्पणियाँ लिखने का अभ्यास कर रहा हूँ। आपकी रचना में स्पष्ट रूप से दो मुस्लिम पात्र हैं। अब्दुल का 'दस साल' का बेटा सवाल कर कर रहा है न कि चार-पांच साल का! दस साल का बेटा सैंकड़ों बार मांसाहार कर चुका होगा और कई बार ऐसी क़ुर्बानी ईद पर देख चुका होगा तथा मीट मार्केट से कई बार ख़रीददारी हेतु जा चुका होगा! दस सालों में…
आदरणीय हरिकिशन ओझा जी। आपने किसी भी टिप्पणी के वास्तविक भाव व उद्देश्य को सही रूप में नहीं लिया है, इसका मुझे दुःख है। मैं यहाँ लघुकथा संदर्भ में ही तथ्य तथा कथ्य सम्प्रेषण संबंधी टिप्पणियाँ लिखने का अभ्यास कर रहा हूँ। आपकी रचना में स्पष्ट रूप से दो मुस्लिम पात्र हैं। अब्दुल का 'दस साल' का बेटा सवाल कर कर रहा है न कि चार-पांच साल का! दस साल का बेटा सैंकड़ों बार मांसाहार कर चुका होगा और कई बार ऐसी क़ुर्बानी ईद पर देख चुका होगा तथा मीट मार्केट से कई बार ख़रीददारी हेतु जा चुका होगा! दस सालों में उसने क़ुर्बानी के जज़्बे व तक़्बे की तक़रीरें भी सुनी होंगीं, इसलिए यह सवाल पिता से करना वास्तविकता से दूर हो रहा है! मैंने आपके कथ्य सम्प्रेषण पर कुछ नहीं कहा था। आपका कथ्य तभी सही तरह से उभर कर सार्थक होगा जब रचना में तथ्य भी वास्तविक हों । मोहतरम जनाब समर कबीर साहब भी तथ्यों की त्रुटि ही इंगित कर रहे थे, जिसका मैंने समर्थन किया है। आप जो संदेश सम्प्रेषित करना चाहते हैं, उसके लिए रचना में परिमार्जन की ज़रूरत है। क़ुर्बानी के इस पर्व के वास्तविक संदेश को समझ कर कुछ बेहतर भी तो लिखा जा सकता है, किसी की भावना को आहत किए बग़ैर! मुझे इन्टरनेट पर इस पर्व पर की जाने वाली निम्नस्तरीय टिप्पणियों पर भी हैरत है। Mananiya yograj ji
me OBA ke…tag:openbooks.ning.com,2016-09-17:5170231:Comment:8008962016-09-17T09:37:08.213Zharikishan ojhahttp://openbooks.ning.com/profile/harikishanojha
<p>Mananiya yograj ji</p>
<p>me OBA ke har sadasya ka samman karta hu agar meri tipani se kisi ko thes pahuchi ho to me mafi mangta hu, rahi bat dharmik bhavna ki mene is katha me koi galat bat nahi kahi hai, shekh usman ji ne ise apni tipani me likhit bat "किसी भी मुस्लिम परिवार में कभी भी ऐसे संवाद की गुंजाइश ही नहीं रहती क्योंकि तमाम ज़रूरी तालीम व इल्म बच्चों को होश संभालते ही दे दी जाती है" ne ise dharm se jod diya, yaha par wo kis talim ki bat kar rahe hai aap khud samajte hai, me to…</p>
<p>Mananiya yograj ji</p>
<p>me OBA ke har sadasya ka samman karta hu agar meri tipani se kisi ko thes pahuchi ho to me mafi mangta hu, rahi bat dharmik bhavna ki mene is katha me koi galat bat nahi kahi hai, shekh usman ji ne ise apni tipani me likhit bat "किसी भी मुस्लिम परिवार में कभी भी ऐसे संवाद की गुंजाइश ही नहीं रहती क्योंकि तमाम ज़रूरी तालीम व इल्म बच्चों को होश संभालते ही दे दी जाती है" ne ise dharm se jod diya, yaha par wo kis talim ki bat kar rahe hai aap khud samajte hai, me to sammer ji ka bada fen hu, unki likhi har katha or kavita ko padta hu. ak hi bat kahuga ki padhe likhe logo hi kuritiyo ko khatam kar sakte hai, Dhanyawad</p> हरिकृष्ण ओझा जी, मंच के वरिष्…tag:openbooks.ning.com,2016-09-17:5170231:Comment:8010492016-09-17T05:36:07.743Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हरिकृष्ण ओझा जी, मंच के वरिष्ठ और सम्माननीय सदस्यों को दी गई आपकी टिप्पणियाँ शिष्टाचार और आपेक्षित मंचीय आचरण के विरुद्ध और भावनाओं को आहत करने वाली हैं, जिनकी मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूँI ओबीओ का यह पवित्र स्थल किसी भी धर्म, समुदाय, जाति, भाषा अथवा किसी भी "वाद" से ऊपर हैI हमारा यदि कोई वाद है तो वह है "राष्ट्र"I अत: किसी भी धार्मिक भावनाएँ भड़काने वाले व्यक्ति के लिए यहाँ न स्थान है न ही उसकी कोई आवश्यकताI आपकी विवादास्पद एंव आपत्तिजनक टिप्पणियाँ तो पहले ही हटा दी गई हैं, यदि आप अपने…</p>
<p>हरिकृष्ण ओझा जी, मंच के वरिष्ठ और सम्माननीय सदस्यों को दी गई आपकी टिप्पणियाँ शिष्टाचार और आपेक्षित मंचीय आचरण के विरुद्ध और भावनाओं को आहत करने वाली हैं, जिनकी मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूँI ओबीओ का यह पवित्र स्थल किसी भी धर्म, समुदाय, जाति, भाषा अथवा किसी भी "वाद" से ऊपर हैI हमारा यदि कोई वाद है तो वह है "राष्ट्र"I अत: किसी भी धार्मिक भावनाएँ भड़काने वाले व्यक्ति के लिए यहाँ न स्थान है न ही उसकी कोई आवश्यकताI आपकी विवादास्पद एंव आपत्तिजनक टिप्पणियाँ तो पहले ही हटा दी गई हैं, यदि आप अपने इस कृत्य के लिए अगले 24 घंटे में क्षमा नहीं मांगते तो आपकी सदस्यता ही तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जाएगीI</p> हरिकिशन ओझा जी,
आप रचनाकर्मी…tag:openbooks.ning.com,2016-09-16:5170231:Comment:8007522016-09-16T17:26:31.844ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>हरिकिशन ओझा जी, </p>
<p>आप रचनाकर्मी हैं, तो आपसे न केवल रचनाओं की अपेक्षा होती है बल्कि शिष्टाचार और संयत व्यवहार की भी अपेक्षा होती है। </p>
<p>आपने जिस ढंग और व्यवहार में टिप्पणियाँ की हैं वह किसी तौर पर सभ्य भाषा में नहीं है। आप अवश्य जानें कि इस मंच पर आपसी समझ को ’सीखने-सिखाने’ का आधार माना जाता है. भावनाएँ अत्यंत आपसी होती हैंं, तभी सीखने के वक़्त कठिन साधना संभव हो पाती है । आपको जानकारी हो, कि आदरणीय समर साहब इस ओबीओ-परिवार के वरिष्ठ और सम्मानित सदस्य हैं। उनके प्रति और उनको लेकर हुई…</p>
<p>हरिकिशन ओझा जी, </p>
<p>आप रचनाकर्मी हैं, तो आपसे न केवल रचनाओं की अपेक्षा होती है बल्कि शिष्टाचार और संयत व्यवहार की भी अपेक्षा होती है। </p>
<p>आपने जिस ढंग और व्यवहार में टिप्पणियाँ की हैं वह किसी तौर पर सभ्य भाषा में नहीं है। आप अवश्य जानें कि इस मंच पर आपसी समझ को ’सीखने-सिखाने’ का आधार माना जाता है. भावनाएँ अत्यंत आपसी होती हैंं, तभी सीखने के वक़्त कठिन साधना संभव हो पाती है । आपको जानकारी हो, कि आदरणीय समर साहब इस ओबीओ-परिवार के वरिष्ठ और सम्मानित सदस्य हैं। उनके प्रति और उनको लेकर हुई आपकी टिप्पणी बहुत ही घटिया स्तर की है। आपकी उक्त टिप्पणियाँ तत्काल प्रभाव से हटाई जा रही हैं। </p>
<p></p> राम शिरोमणि जी आप का बहुत बहु…tag:openbooks.ning.com,2016-09-16:5170231:Comment:8008302016-09-16T14:51:34.313Zharikishan ojhahttp://openbooks.ning.com/profile/harikishanojha
<p>राम शिरोमणि जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद</p>
<p>राम शिरोमणि जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद</p> मीना पाठक जी आप का बहुत बहुत…tag:openbooks.ning.com,2016-09-16:5170231:Comment:8008282016-09-16T14:50:53.048Zharikishan ojhahttp://openbooks.ning.com/profile/harikishanojha
<p>मीना पाठक जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद</p>
<p>मीना पाठक जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद</p> मेहरबानी कर मोहतरम जनाब समर क…tag:openbooks.ning.com,2016-09-15:5170231:Comment:8002982016-09-15T16:15:20.345ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मेहरबानी कर मोहतरम जनाब समर कबीर साहब की सार्थक महत्वपूर्ण टिप्पणी पर त्वरित ग़ौर फ़रमाइयेगा। क़ुर्बानी के क़ायदे व मक़सद पर सही जानकारी लेते हुए। किसी भी मुस्लिम परिवार में कभी भी ऐसे संवाद की गुंजाइश ही नहीं रहती क्योंकि तमाम ज़रूरी तालीम व इल्म बच्चों को होश संभालते ही दे दी जाती है। आप जो संदेश सम्प्रेषित करना चाहते हैं, उसके लिए जनाब समर कबीर साहब की सलाह पर ग़ौर फ़रमाइयेगा।
मेहरबानी कर मोहतरम जनाब समर कबीर साहब की सार्थक महत्वपूर्ण टिप्पणी पर त्वरित ग़ौर फ़रमाइयेगा। क़ुर्बानी के क़ायदे व मक़सद पर सही जानकारी लेते हुए। किसी भी मुस्लिम परिवार में कभी भी ऐसे संवाद की गुंजाइश ही नहीं रहती क्योंकि तमाम ज़रूरी तालीम व इल्म बच्चों को होश संभालते ही दे दी जाती है। आप जो संदेश सम्प्रेषित करना चाहते हैं, उसके लिए जनाब समर कबीर साहब की सलाह पर ग़ौर फ़रमाइयेगा। जनाब हरिकिशन ओझा साहिब आदाब,आ…tag:openbooks.ning.com,2016-09-15:5170231:Comment:8001952016-09-15T10:14:47.016ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब हरिकिशन ओझा साहिब आदाब,आपकी लघुकथा पढ़ कर ऐसा लगता है कि आप क़ुर्बानी के विषय में कम जानकारी रखते हैं,क़ुर्बानी बकरी के बच्चे की नहीं होती,उसके भी कुछ नियम और क़ायदे हुआ करते हैं,होना ये चाहिये कि हम जिस विषय पर क़लम उठायें पहले उसकी जानकारी एकत्रित कर लें फिर लिखें तो लेखन प्रभाव शाली होगा वरना उसे बेसिर पैर की बात ही समझा जायेगा । कृपया मेरी बात को अन्यथा न लें ।</p>
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<p>जनाब हरिकिशन ओझा साहिब आदाब,आपकी लघुकथा पढ़ कर ऐसा लगता है कि आप क़ुर्बानी के विषय में कम जानकारी रखते हैं,क़ुर्बानी बकरी के बच्चे की नहीं होती,उसके भी कुछ नियम और क़ायदे हुआ करते हैं,होना ये चाहिये कि हम जिस विषय पर क़लम उठायें पहले उसकी जानकारी एकत्रित कर लें फिर लिखें तो लेखन प्रभाव शाली होगा वरना उसे बेसिर पैर की बात ही समझा जायेगा । कृपया मेरी बात को अन्यथा न लें ।</p>
<p></p> वाह्ह ! बहुत सटीक बधाई tag:openbooks.ning.com,2016-09-15:5170231:Comment:8001032016-09-15T10:04:14.225ZMeena Pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>वाह्ह ! बहुत सटीक <br/><br/>बधाई </p>
<p>वाह्ह ! बहुत सटीक <br/><br/>बधाई </p> वाह भाई वाह।ज़ोरदार।बधाई आपकोtag:openbooks.ning.com,2016-09-15:5170231:Comment:8001832016-09-15T06:43:32.374Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
वाह भाई वाह।ज़ोरदार।बधाई आपको
वाह भाई वाह।ज़ोरदार।बधाई आपको