Comments - दीमक (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T14:44:17Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A796039&xn_auth=noपरमश्रद्धेय आदाब! लघुकथा पसंद…tag:openbooks.ning.com,2016-09-11:5170231:Comment:7997452016-09-11T15:09:32.940ZMohammed Arifhttp://openbooks.ning.com/profile/MohammedArif
<p>परमश्रद्धेय आदाब! लघुकथा पसंद आई<br/>लेखन सार्थक हुआ, धन्यवाद!</p>
<p>परमश्रद्धेय आदाब! लघुकथा पसंद आई<br/>लेखन सार्थक हुआ, धन्यवाद!</p> बहुत बढ़िया तथ्य व कथ्य के सा…tag:openbooks.ning.com,2016-09-01:5170231:Comment:7972032016-09-01T16:16:10.327ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
बहुत बढ़िया तथ्य व कथ्य के साथ बेहतरीन रचना के लिए तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब। आपकी अन्य लघुकथायें भी पढ़ने का मन हो रहा है!
बहुत बढ़िया तथ्य व कथ्य के साथ बेहतरीन रचना के लिए तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब। आपकी अन्य लघुकथायें भी पढ़ने का मन हो रहा है! बहुत अच्छी कथा ... कुछ नहीं क…tag:openbooks.ning.com,2016-09-01:5170231:Comment:7973052016-09-01T14:09:05.130Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>बहुत अच्छी कथा ... कुछ नहीं करने से शरीर ही नहीं सोच में भी दीमक लग जाती है... हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी </p>
<p>बहुत अच्छी कथा ... कुछ नहीं करने से शरीर ही नहीं सोच में भी दीमक लग जाती है... हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी </p> संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आप…tag:openbooks.ning.com,2016-09-01:5170231:Comment:7971792016-09-01T08:59:27.573ZNita Kasarhttp://openbooks.ning.com/profile/NitaKasar
संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आपको आद०मोहम्मद आरिफ़ जी ।
संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आपको आद०मोहम्मद आरिफ़ जी । बहुत अच्छी लघु कथा एक सार्थक…tag:openbooks.ning.com,2016-08-31:5170231:Comment:7969252016-08-31T14:06:53.088Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>बहुत अच्छी लघु कथा एक सार्थक सीख देती हुई बहुत बहुत बधाई आपको आद० आरिफ़ साहिब जी </p>
<p>बहुत अच्छी लघु कथा एक सार्थक सीख देती हुई बहुत बहुत बधाई आपको आद० आरिफ़ साहिब जी </p> जनाब मो.आरिफ़ साहिब आदाब,"आराम…tag:openbooks.ning.com,2016-08-31:5170231:Comment:7968512016-08-31T12:45:22.927ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब मो.आरिफ़ साहिब आदाब,"आराम है हराम"बहुत बढ़िया लगी आपकी लघुकथा,दिल से बधाई स्वीकार करें । ओबीओ मंच पर आपका स्वागत है ।
जनाब मो.आरिफ़ साहिब आदाब,"आराम है हराम"बहुत बढ़िया लगी आपकी लघुकथा,दिल से बधाई स्वीकार करें । ओबीओ मंच पर आपका स्वागत है । आदरणीय Mohammed Arif साहिब प…tag:openbooks.ning.com,2016-08-31:5170231:Comment:7966322016-08-31T08:45:23.703ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय <a class="nolink"> </a><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif">Mohammed Arif</a> साहिब प्रस्तुति में आपने वर्तमान को जीवंत करने का प्रयास किया है। <br/>मैं अपनी संतानों के सामने जीते जी इस शरीर को सड़ता हुआ नही देख सकता।”गहन भावों की इस पंच लाईन ने कथा के भाव पक्ष को एक उठाव दिया है। इस संदेशात्मक लघुकथा की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।</p>
<p>आदरणीय <a class="nolink"> </a><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif">Mohammed Arif</a> साहिब प्रस्तुति में आपने वर्तमान को जीवंत करने का प्रयास किया है। <br/>मैं अपनी संतानों के सामने जीते जी इस शरीर को सड़ता हुआ नही देख सकता।”गहन भावों की इस पंच लाईन ने कथा के भाव पक्ष को एक उठाव दिया है। इस संदेशात्मक लघुकथा की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।</p>