Comments - बाढ़-रामबली गुप्ता - Open Books Online2024-03-29T10:35:05Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A795724&xn_auth=noवाह बहुत सुन्दर लिखा आपने ।tag:openbooks.ning.com,2016-09-01:5170231:Comment:7974212016-09-01T15:52:38.937ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
वाह बहुत सुन्दर लिखा आपने ।
वाह बहुत सुन्दर लिखा आपने । हृदयतल से आभार आद० गोपाल नारा…tag:openbooks.ning.com,2016-08-31:5170231:Comment:7963972016-08-31T05:15:34.773Zरामबली गुप्ताhttp://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
हृदयतल से आभार आद० गोपाल नारायण जी आपके सुझावों से कविता को और भी निखरने का अवसर प्राप्त होता है। आपके सुझावों के अनुरूप ' बढ़ी बाढ़ विकराल' को 'हुई बाढ़ विकराल' कर लिया है तथा 'सुरसरि' के स्थान पर 'नदियाँ' कर लिया है। पुनः देख लीजियेगा। पुनश्च आभार
हृदयतल से आभार आद० गोपाल नारायण जी आपके सुझावों से कविता को और भी निखरने का अवसर प्राप्त होता है। आपके सुझावों के अनुरूप ' बढ़ी बाढ़ विकराल' को 'हुई बाढ़ विकराल' कर लिया है तथा 'सुरसरि' के स्थान पर 'नदियाँ' कर लिया है। पुनः देख लीजियेगा। पुनश्च आभार आ० रामबली जी आप उन रचनाकारों…tag:openbooks.ning.com,2016-08-30:5170231:Comment:7961592016-08-30T14:37:52.312Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० रामबली जी आप उन रचनाकारों में है जिन्हें पढने की इच्छा होती है , कुण्डलिया में बढ़ी बाढ़ का क्या अर्थ है बाढ़ तो बढ़ने से ही बना है , दूसरी बात सुरसरि की प्रतिष्ठा उसके मोक्षदायिनी स्वरुप से है उसे काल सम दर्शाना मेरी समझ में संस्कृति की संगति में नहीं है . छप्पय का प्रारंभ बहुत अच्छा है आगे श्रम में कुछ कमी मुझे लगती है हो सकता है ऐसा न हो . सादर .</p>
<p>आ० रामबली जी आप उन रचनाकारों में है जिन्हें पढने की इच्छा होती है , कुण्डलिया में बढ़ी बाढ़ का क्या अर्थ है बाढ़ तो बढ़ने से ही बना है , दूसरी बात सुरसरि की प्रतिष्ठा उसके मोक्षदायिनी स्वरुप से है उसे काल सम दर्शाना मेरी समझ में संस्कृति की संगति में नहीं है . छप्पय का प्रारंभ बहुत अच्छा है आगे श्रम में कुछ कमी मुझे लगती है हो सकता है ऐसा न हो . सादर .</p> हृदय से आभार आद० सुरेश कुमार…tag:openbooks.ning.com,2016-08-29:5170231:Comment:7959352016-08-29T17:17:54.217Zरामबली गुप्ताhttp://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
हृदय से आभार आद० सुरेश कुमार जी
हृदय से आभार आद० सुरेश कुमार जी हृदय से आभार आद समर कबीर साहेबtag:openbooks.ning.com,2016-08-29:5170231:Comment:7960412016-08-29T17:16:42.419Zरामबली गुप्ताhttp://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
हृदय से आभार आद समर कबीर साहेब
हृदय से आभार आद समर कबीर साहेब आदरणीय श्री राम बली गुप्ता जी…tag:openbooks.ning.com,2016-08-29:5170231:Comment:7959202016-08-29T12:06:17.376Zसुरेश कुमार 'कल्याण'http://openbooks.ning.com/profile/SureshKumarKalyan
आदरणीय श्री राम बली गुप्ता जी सुन्दर छंद रचना पर हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।
आदरणीय श्री राम बली गुप्ता जी सुन्दर छंद रचना पर हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर । जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बा…tag:openbooks.ning.com,2016-08-29:5170231:Comment:7957342016-08-29T09:15:57.531ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बाढ़ से हुई तबाही पर बहुत बढ़िया कुण्डलिया छन्द हुए हैं,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बाढ़ से हुई तबाही पर बहुत बढ़िया कुण्डलिया छन्द हुए हैं,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।