Comments - हमारे देश के मौसम हमें वापस बुलाते हैं ( फिल्बदीह हिंदी ग़ज़ल/गीतिका 'राज ') - Open Books Online2024-03-28T13:31:27Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A795471&xn_auth=noआद० सुरेश कुमार कल्याण जी आपक…tag:openbooks.ning.com,2016-08-29:5170231:Comment:7959342016-08-29T16:24:55.403Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० सुरेश कुमार कल्याण जी आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया |</p>
<p>आद० सुरेश कुमार कल्याण जी आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया |</p> प्रिय प्रतिभा जी ,आपको ग़ज़ल पस…tag:openbooks.ning.com,2016-08-29:5170231:Comment:7957512016-08-29T16:24:05.968Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>प्रिय प्रतिभा जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई दिल से बहुत- बहुत आभार आपका |</p>
<p>प्रिय प्रतिभा जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई दिल से बहुत- बहुत आभार आपका |</p> वाह वाह बहुत ही सुन्दर रचना आ…tag:openbooks.ning.com,2016-08-29:5170231:Comment:7957402016-08-29T12:55:33.022Zसुरेश कुमार 'कल्याण'http://openbooks.ning.com/profile/SureshKumarKalyan
वाह वाह बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीया राजेश कुमारी जी । बधाई स्वीकार करें । सादर ।
वाह वाह बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीया राजेश कुमारी जी । बधाई स्वीकार करें । सादर । अँधेरे में जहाँ छुपकर कहीं स…tag:openbooks.ning.com,2016-08-29:5170231:Comment:7960252016-08-29T03:57:13.252Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>अँधेरे में जहाँ छुपकर कहीं संवेदना सोई</p>
<p>उठा अपने कलम लेखक उसे फिर से जगाते हैं ...... प्रेरक भावों से भरी ग़ज़ल हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीया राजेश जी </p>
<p>अँधेरे में जहाँ छुपकर कहीं संवेदना सोई</p>
<p>उठा अपने कलम लेखक उसे फिर से जगाते हैं ...... प्रेरक भावों से भरी ग़ज़ल हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीया राजेश जी </p> आद० समर भाई जी,आपको ग़ज़ल पसंद…tag:openbooks.ning.com,2016-08-28:5170231:Comment:7958112016-08-28T15:13:16.264Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० समर भाई जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपकी ग़ज़ल पर दाद मिली मेरा लेखन कर्म सार्थक हो गया दिल से बहुत- बहुत शुक्रिया आपका| </p>
<p>आद० समर भाई जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपकी ग़ज़ल पर दाद मिली मेरा लेखन कर्म सार्थक हो गया दिल से बहुत- बहुत शुक्रिया आपका| </p> बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहु…tag:openbooks.ning.com,2016-08-28:5170231:Comment:7956062016-08-28T09:08:41.355ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत सुंदर अहसासात से सजी इस शानदार और मुरस्सा ग़ज़ल के लिये शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत सुंदर अहसासात से सजी इस शानदार और मुरस्सा ग़ज़ल के लिये शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । इस ज्ञानवर्धन के लिए बहुत-बहु…tag:openbooks.ning.com,2016-08-27:5170231:Comment:7956722016-08-27T15:22:31.664ZMahendra Kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
इस ज्ञानवर्धन के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय राजेश मैम, सादर!
इस ज्ञानवर्धन के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय राजेश मैम, सादर! आद० महेंद्र कुमार जी, ग़ज़ल के…tag:openbooks.ning.com,2016-08-27:5170231:Comment:7953822016-08-27T15:02:20.201Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० महेंद्र कुमार जी, ग़ज़ल के सर्वप्रथम पाठक और दाद के लिए दिल से बहुत बहुत आभार | फिल्बदीह को तुरत फुरत भी कहें तो चलेगा अर्थात दी हुई बह्र पर कुछ मुक़र्रर वक़्त में ही पूरी ग़ज़ल कहनी होती है उस आयोजन को फिल्बदीह आयोजन कहते हैं | </p>
<p>आद० महेंद्र कुमार जी, ग़ज़ल के सर्वप्रथम पाठक और दाद के लिए दिल से बहुत बहुत आभार | फिल्बदीह को तुरत फुरत भी कहें तो चलेगा अर्थात दी हुई बह्र पर कुछ मुक़र्रर वक़्त में ही पूरी ग़ज़ल कहनी होती है उस आयोजन को फिल्बदीह आयोजन कहते हैं | </p> वाह! वाह!! वाह!!! किस शेर के…tag:openbooks.ning.com,2016-08-27:5170231:Comment:7954722016-08-27T14:58:25.533ZMahendra Kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
वाह! वाह!! वाह!!! किस शेर के तारीफ़ करूँ आदरणीया राजेश मैम सभी शेर एक से बढ़कर एक हैं। सभी के लिए एक साथ दाद क़ुबूल फरमाएँ।<br />
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एक जिज्ञासा है, ये फ़िल्बबदीह ग़ज़ल क्या होती है? सादर!
वाह! वाह!! वाह!!! किस शेर के तारीफ़ करूँ आदरणीया राजेश मैम सभी शेर एक से बढ़कर एक हैं। सभी के लिए एक साथ दाद क़ुबूल फरमाएँ।<br />
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एक जिज्ञासा है, ये फ़िल्बबदीह ग़ज़ल क्या होती है? सादर!