Comments - ग़ज़ल - निकले तमाम हाथ तिरंगे लिए हुए - Open Books Online2024-03-29T00:13:46Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A795256&xn_auth=noआ0 आशीष सिंह ठाकुर अकेला जी स…tag:openbooks.ning.com,2016-09-01:5170231:Comment:7971972016-09-01T15:58:25.248ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
आ0 आशीष सिंह ठाकुर अकेला जी सादर आभार ।
आ0 आशीष सिंह ठाकुर अकेला जी सादर आभार । आ0 सुरेश कुमार कल्याण जी आभार…tag:openbooks.ning.com,2016-09-01:5170231:Comment:7975142016-09-01T15:57:17.720ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
आ0 सुरेश कुमार कल्याण जी आभार ।
आ0 सुरेश कुमार कल्याण जी आभार । आ0 बृजेश जी आभारtag:openbooks.ning.com,2016-09-01:5170231:Comment:7973522016-09-01T15:56:35.307ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
आ0 बृजेश जी आभार
आ0 बृजेश जी आभार बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय नव…tag:openbooks.ning.com,2016-09-01:5170231:Comment:7970892016-09-01T06:59:08.268Zसुरेश कुमार 'कल्याण'http://openbooks.ning.com/profile/SureshKumarKalyan
बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी , बधाई स्वीकार करें ।
बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी , बधाई स्वीकार करें । बहुत खूब त्रिपाठी जी !!!tag:openbooks.ning.com,2016-08-31:5170231:Comment:7965832016-08-31T10:02:02.814Zआशीष सिंह ठाकुर 'अकेला'http://openbooks.ning.com/profile/3f0vpforuaghs
<p>बहुत खूब त्रिपाठी जी !!!</p>
<p>बहुत खूब त्रिपाठी जी !!!</p> आ0 कबीर सर आपकी सलाह अत्यंत म…tag:openbooks.ning.com,2016-08-29:5170231:Comment:7960242016-08-29T03:49:21.193ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
आ0 कबीर सर आपकी सलाह अत्यंत महत्वपूर्ण है । ग़ज़ल तक आने के लिए तहे दिल से शुक्रिया सर ।
आ0 कबीर सर आपकी सलाह अत्यंत महत्वपूर्ण है । ग़ज़ल तक आने के लिए तहे दिल से शुक्रिया सर । जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदा…tag:openbooks.ning.com,2016-08-28:5170231:Comment:7955032016-08-28T09:26:18.956ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।<br />
तीसरे शैर का ऊला मिसरा यूँ तो बह्र में है लेकिन इसे इस तरह कर लें तो रवानी में आ जायेगा:-<br />
"हालात हैं पराये किसी के दयार में"
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।<br />
तीसरे शैर का ऊला मिसरा यूँ तो बह्र में है लेकिन इसे इस तरह कर लें तो रवानी में आ जायेगा:-<br />
"हालात हैं पराये किसी के दयार में" आ0 बृजेश जी सादर आभार ।tag:openbooks.ning.com,2016-08-27:5170231:Comment:7955402016-08-27T12:19:55.894ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
आ0 बृजेश जी सादर आभार ।
आ0 बृजेश जी सादर आभार । क्या कहने क्या कहने बहुत ही श…tag:openbooks.ning.com,2016-08-27:5170231:Comment:7953022016-08-27T08:23:24.032Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>क्या कहने क्या कहने बहुत ही शानदार ग़ज़ल हार्दिक बधाई </p>
<p>क्या कहने क्या कहने बहुत ही शानदार ग़ज़ल हार्दिक बधाई </p>