Comments - बाला छंद ,वर्ण वृत्त (मुक्तक ) - Open Books Online2024-03-29T14:26:04Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A787345&xn_auth=noजी आद० गोपाल भाई जी,ग़ज़ल में ज…tag:openbooks.ning.com,2016-07-30:5170231:Comment:7883142016-07-30T12:53:26.652Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>जी आद० गोपाल भाई जी,ग़ज़ल में जिन्हें हम रुक्न कहते हैं छंदों में वर्ण समूह होते हैं यहाँ इस छंद में ख़ास बात ये है कि इसमें २ को ११ नहीं कर सकते अतः दीर्घ की ही बंदिश है आपको छंद पसंद आया बहुत- बहुत आभार आपका| </p>
<p>जी आद० गोपाल भाई जी,ग़ज़ल में जिन्हें हम रुक्न कहते हैं छंदों में वर्ण समूह होते हैं यहाँ इस छंद में ख़ास बात ये है कि इसमें २ को ११ नहीं कर सकते अतः दीर्घ की ही बंदिश है आपको छंद पसंद आया बहुत- बहुत आभार आपका| </p> आआ० दीदी क्या यह
बहरे मुतदारि…tag:openbooks.ning.com,2016-07-30:5170231:Comment:7881672016-07-30T12:46:38.272Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
आआ० दीदी क्या यह<br />
बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आख़िर<br />
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा<br />
212 212 212 2------------------------- नहीं है . बाला छंद कभी सुना ही नहीं. इसके बारे में विस्तार से बताइए<br />
आपकी कविता उत्कृष्ट है . खासकर यह पंक्ति - एक दूजे बिना हैं अधूरे आँख में लाज भी नीर भी हो
आआ० दीदी क्या यह<br />
बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आख़िर<br />
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा<br />
212 212 212 2------------------------- नहीं है . बाला छंद कभी सुना ही नहीं. इसके बारे में विस्तार से बताइए<br />
आपकी कविता उत्कृष्ट है . खासकर यह पंक्ति - एक दूजे बिना हैं अधूरे आँख में लाज भी नीर भी हो आदरणीय समर भाई जी ,अपनी प्रति…tag:openbooks.ning.com,2016-07-29:5170231:Comment:7875942016-07-29T06:45:35.026Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आदरणीय समर भाई जी ,अपनी प्रतिक्रिया से रचना का मान बढ़ाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया सादर |</p>
<p>आदरणीय समर भाई जी ,अपनी प्रतिक्रिया से रचना का मान बढ़ाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया सादर |</p> बहना राजेश कुमारी जी आदाब,इस…tag:openbooks.ning.com,2016-07-28:5170231:Comment:7876312016-07-28T10:03:00.834ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,इस सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें ।
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,इस सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें । आद० श्याम नारायण वर्मा जी ,…tag:openbooks.ning.com,2016-07-27:5170231:Comment:7874382016-07-27T15:47:38.359Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>आद० श्याम नारायण वर्मा जी ,आपको छंद पसंद आये दिल से बहुत बहुत आभार आपका |</span></p>
<p><span>आद० श्याम नारायण वर्मा जी ,आपको छंद पसंद आये दिल से बहुत बहुत आभार आपका |</span></p> आद० सुशील सरना जी ,आपको छंद…tag:openbooks.ning.com,2016-07-27:5170231:Comment:7874362016-07-27T15:47:03.491Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० सुशील सरना जी ,आपको छंद पसंद आये दिल से बहुत बहुत आभार आपका |</p>
<p>आद० सुशील सरना जी ,आपको छंद पसंद आये दिल से बहुत बहुत आभार आपका |</p> बहुत सुन्दर भावों से सजी रचना…tag:openbooks.ning.com,2016-07-27:5170231:Comment:7873542016-07-27T10:31:38.581ZShyam Narain Vermahttp://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<p>बहुत सुन्दर भावों से सजी रचना बहुत 2 बधाई</p>
<p>सादर</p>
<p>बहुत सुन्दर भावों से सजी रचना बहुत 2 बधाई</p>
<p>सादर</p> हाथ में फूल भी तीर भी होदूध म…tag:openbooks.ning.com,2016-07-27:5170231:Comment:7874202016-07-27T08:24:06.664ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>हाथ में फूल भी तीर भी हो<br/>दूध में छाछ भी खीर भी हो<br/>एक दूजे बिना हैं अधूरे<br/>आँख में लाज भी नीर भी हो</p>
<p>वाह आदरणीया राजेश कुमारी जी भावों की बहुत सुंदर प्रस्तुति हुई है। इस मधुर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।</p>
<p>हाथ में फूल भी तीर भी हो<br/>दूध में छाछ भी खीर भी हो<br/>एक दूजे बिना हैं अधूरे<br/>आँख में लाज भी नीर भी हो</p>
<p>वाह आदरणीया राजेश कुमारी जी भावों की बहुत सुंदर प्रस्तुति हुई है। इस मधुर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।</p>