Comments - मीत बनाते बस इक अपना दुश्मन सौ खुद मिल जाते है. - Open Books Online2024-03-19T02:01:00Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A784725&xn_auth=noआदरणीय अशोक जी रचना पर आपकी प…tag:openbooks.ning.com,2016-07-21:5170231:Comment:7856532016-07-21T11:25:58.468ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय अशोक जी रचना पर आपकी प्रतिक्रीय से मैं उत्साहित महसूस कर रहा हूँ ..हार्दिक धन्यवाद के साथ सादर </p>
<p>आदरणीय अशोक जी रचना पर आपकी प्रतिक्रीय से मैं उत्साहित महसूस कर रहा हूँ ..हार्दिक धन्यवाद के साथ सादर </p> आदरणीय रवि सर ..रचना को आपका…tag:openbooks.ning.com,2016-07-21:5170231:Comment:7853802016-07-21T11:25:09.295ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय रवि सर ..रचना को आपका अनुमोदन मिला ..मेरे लिए अत्यंत प्रशन्नता का बिषय है .स्नेह बनाए रखें सादर प्रणाम के साथ </p>
<p>आदरणीय रवि सर ..रचना को आपका अनुमोदन मिला ..मेरे लिए अत्यंत प्रशन्नता का बिषय है .स्नेह बनाए रखें सादर प्रणाम के साथ </p> आदरणीय समर कबीर सर ..नेट की स…tag:openbooks.ning.com,2016-07-21:5170231:Comment:7854632016-07-21T11:22:46.390ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय समर कबीर सर ..नेट की समस्या के कारण आपके मशविरे पर त्वरित अमल न कर सका .टाईप करते समय न जाने कैसे गलती हो गयी थी ..मैंने सुधार कर लिया है .रचना पर आपकी प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन के लिए ह्रदय से आभारे हूँ सादर प्रणाम के साथ </p>
<p>आदरणीय समर कबीर सर ..नेट की समस्या के कारण आपके मशविरे पर त्वरित अमल न कर सका .टाईप करते समय न जाने कैसे गलती हो गयी थी ..मैंने सुधार कर लिया है .रचना पर आपकी प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन के लिए ह्रदय से आभारे हूँ सादर प्रणाम के साथ </p> आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी स…tag:openbooks.ning.com,2016-07-18:5170231:Comment:7850352016-07-18T13:04:55.487ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी सादर, अच्छी गजल कही है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.आदरणीय समर कबीर साहब ने इशारा किया ही है सातवे शेर के दोनों ही मिसरे जांच लें. सादर.</p>
<p>आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी सादर, अच्छी गजल कही है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.आदरणीय समर कबीर साहब ने इशारा किया ही है सातवे शेर के दोनों ही मिसरे जांच लें. सादर.</p> आदरणीय आशुतोष जी अच्छी ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2016-07-18:5170231:Comment:7849412016-07-18T05:37:33.539ZRavi Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/RaviShukla
<p><span>आदरणीय आशुतोष जी अच्छी ग़ज़ल हुई है दाद क़ुबूल करें</span></p>
<p><span> ।</span></p>
<p><span>आदरणीय आशुतोष जी अच्छी ग़ज़ल हुई है दाद क़ुबूल करें</span></p>
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जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।<br />
छटे और सातवें शैर के ऊला मिसरों की तक़्ति चेक कर लें ।
जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।<br />
छटे और सातवें शैर के ऊला मिसरों की तक़्ति चेक कर लें ।