Comments - ग़ज़ल-नूर-यादों को हम याद आएं हैं, - Open Books Online2024-03-28T09:43:59Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A777644&xn_auth=noशुक्रिया आ. डॉ साहब tag:openbooks.ning.com,2016-06-23:5170231:Comment:7779872016-06-23T16:08:28.532ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>शुक्रिया आ. डॉ साहब </p>
<p>शुक्रिया आ. डॉ साहब </p> आदरणीय नीलेश जी
शायद कोई राह…tag:openbooks.ning.com,2016-06-23:5170231:Comment:7779762016-06-23T10:21:57.453ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय नीलेश जी</p>
<p><span>शायद कोई राह छुपी हो,</span><br/><span>देख ज़रा दीवार ढहा कर.</span> ..</p>
<p><span>अपना ग़म ख़ुद ही से छुपा कर, </span><br/><span>जब निकलो,, मुस्कान सजा कर.</span><br/><span>.</span><br/><span>ग़ैरों से इतना न खुला कर,</span><br/><span>दिल नौचेंगे ...मौका पा कर......पूरी ग़ज़ल ही जानदार है पर ये शेर मुझे बेहद पसंद आये इसलिए उद्धृत कर रहा हूँ ..मेरी हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करें सादर </span></p>
<p>आदरणीय नीलेश जी</p>
<p><span>शायद कोई राह छुपी हो,</span><br/><span>देख ज़रा दीवार ढहा कर.</span> ..</p>
<p><span>अपना ग़म ख़ुद ही से छुपा कर, </span><br/><span>जब निकलो,, मुस्कान सजा कर.</span><br/><span>.</span><br/><span>ग़ैरों से इतना न खुला कर,</span><br/><span>दिल नौचेंगे ...मौका पा कर......पूरी ग़ज़ल ही जानदार है पर ये शेर मुझे बेहद पसंद आये इसलिए उद्धृत कर रहा हूँ ..मेरी हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करें सादर </span></p> शुक्रिया आ. गिरिराज जी ...नया…tag:openbooks.ning.com,2016-06-21:5170231:Comment:7777492016-06-21T15:50:01.217ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>शुक्रिया आ. गिरिराज जी ...<br/>नया तज़रबा है हर धोका में हर धोका एक नया अनुभव है ..ऐसा मंतव्य है ..हर धोका खा कर अनुभव मिलता है इसलिए जश्न मनाने की बात है ..आप के सुझाए ...<span>धोखा है , हर नया तज़्रबा बेचारा हर नया तज़रबा ही धोका हो रहा है ....<br/>सादर </span></p>
<p>शुक्रिया आ. गिरिराज जी ...<br/>नया तज़रबा है हर धोका में हर धोका एक नया अनुभव है ..ऐसा मंतव्य है ..हर धोका खा कर अनुभव मिलता है इसलिए जश्न मनाने की बात है ..आप के सुझाए ...<span>धोखा है , हर नया तज़्रबा बेचारा हर नया तज़रबा ही धोका हो रहा है ....<br/>सादर </span></p> शुक्रिआ आ. राजेश दीदी tag:openbooks.ning.com,2016-06-21:5170231:Comment:7777482016-06-21T15:47:35.716ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>शुक्रिआ आ. राजेश दीदी </p>
<p>शुक्रिआ आ. राजेश दीदी </p> शुक्रिया आ. कल्याण जी tag:openbooks.ning.com,2016-06-21:5170231:Comment:7776852016-06-21T15:47:19.997ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>शुक्रिया आ. कल्याण जी </p>
<p>शुक्रिया आ. कल्याण जी </p> शु. आ वर्मा जी tag:openbooks.ning.com,2016-06-21:5170231:Comment:7775882016-06-21T15:47:08.513ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>शु. आ वर्मा जी </p>
<p>शु. आ वर्मा जी </p> आदरणीय नीलेश भाई , बहुत खूबसू…tag:openbooks.ning.com,2016-06-21:5170231:Comment:7776802016-06-21T12:14:04.288Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय नीलेश भाई , बहुत खूबसूरत गज़ल कही है , सभी अशआर बढ़िया हुये हैं , दिल से बधाइयाँ आपको ।</p>
<p>नया तज़्रबा है हर धोका, इस मिसरे को ऐसा कहें तो बात और खुल कर आयेगी ऐसा मुझे लगता है -- <br/><br/>धोखा है , हर नया तज़्रबा -- सोच लीजियेगा ।</p>
<p>आदरणीय नीलेश भाई , बहुत खूबसूरत गज़ल कही है , सभी अशआर बढ़िया हुये हैं , दिल से बधाइयाँ आपको ।</p>
<p>नया तज़्रबा है हर धोका, इस मिसरे को ऐसा कहें तो बात और खुल कर आयेगी ऐसा मुझे लगता है -- <br/><br/>धोखा है , हर नया तज़्रबा -- सोच लीजियेगा ।</p> शायद कोई राह छुपी हो,देख ज़रा…tag:openbooks.ning.com,2016-06-21:5170231:Comment:7775732016-06-21T11:08:21.528Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>शायद कोई राह छुपी हो,</span><br/><span>देख ज़रा दीवार ढहा कर.</span><br/><span>.</span><br/><span>यादों को हम याद आएं हैं,</span><br/><span>लौट आयी हैं वापस, जा कर. </span><br/><span>. वाह वाह हर शेर शानदार </span></p>
<p>बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आ० नीलेश भैया दिल से दाद लीजिये </p>
<p><span>शायद कोई राह छुपी हो,</span><br/><span>देख ज़रा दीवार ढहा कर.</span><br/><span>.</span><br/><span>यादों को हम याद आएं हैं,</span><br/><span>लौट आयी हैं वापस, जा कर. </span><br/><span>. वाह वाह हर शेर शानदार </span></p>
<p>बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आ० नीलेश भैया दिल से दाद लीजिये </p> अति उत्तम रचना बधाई स्वीकार क…tag:openbooks.ning.com,2016-06-21:5170231:Comment:7777272016-06-21T10:47:12.793Zसुरेश कुमार 'कल्याण'http://openbooks.ning.com/profile/SureshKumarKalyan
अति उत्तम रचना बधाई स्वीकार करें ।
अति उत्तम रचना बधाई स्वीकार करें । बहुत सुन्दर रचना के लिये आपक…tag:openbooks.ning.com,2016-06-21:5170231:Comment:7776562016-06-21T05:28:58.615ZShyam Narain Vermahttp://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
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<tbody><tr><td height="20" align="left" width="576">बहुत सुन्दर रचना के लिये आपको बधाई</td>
</tr>
</tbody>
</table>
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<tbody><tr><td height="20" align="left" width="576">बहुत सुन्दर रचना के लिये आपको बधाई</td>
</tr>
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