Comments - देश में रहकर मुहब्बत देश से करते चलो! - Open Books Online2024-03-29T11:33:24Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A773807&xn_auth=noआदरणीय सौरभ सर, सादर अभिवादन!…tag:openbooks.ning.com,2016-06-10:5170231:Comment:7749322016-06-10T13:43:14.386ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>आदरणीय सौरभ सर, सादर अभिवादन! आपके ध्यान में मेरी रचना आई और महीन व्यंग्यात्मकता को भी आपने समझा, मेरा प्रयास सफल हुआ, शिल्प में सुधार की कोशिश करूंगा. हार्दिक आभार आपका. कोशिश करूंगा कि जल्द कोई प्रस्तुति दूं . सादर!</p>
<p>आदरणीय सौरभ सर, सादर अभिवादन! आपके ध्यान में मेरी रचना आई और महीन व्यंग्यात्मकता को भी आपने समझा, मेरा प्रयास सफल हुआ, शिल्प में सुधार की कोशिश करूंगा. हार्दिक आभार आपका. कोशिश करूंगा कि जल्द कोई प्रस्तुति दूं . सादर!</p> आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, आपक…tag:openbooks.ning.com,2016-06-10:5170231:Comment:7749312016-06-10T13:39:39.060ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, आपके सुझाव के अनुसार मैं गीतिका छंद पढूंगा और सुधार की कोशिश करूंगा. पद्य/कविता विधा में मैं कमजोर हूँ, शायद मिहनत और प्रयास की कमी है. सुविज्ञ गुणीजन की प्रतिक्रिया का इंतजार था. सादर!</p>
<p>आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, आपके सुझाव के अनुसार मैं गीतिका छंद पढूंगा और सुधार की कोशिश करूंगा. पद्य/कविता विधा में मैं कमजोर हूँ, शायद मिहनत और प्रयास की कमी है. सुविज्ञ गुणीजन की प्रतिक्रिया का इंतजार था. सादर!</p> लिखे में जो महीन व्यंग्यात्मक…tag:openbooks.ning.com,2016-06-09:5170231:Comment:7745442016-06-09T18:10:14.703ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>लिखे में जो महीन व्यंग्यात्मकता है वह सुखकर है. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय जवाहरलाल जी. लेकिन यह कहाँ लिखा है कि हम शिल्प में सदा कम्प्रोमाइज़ ही किए रहें ! .. हा हा हा.... :-))</p>
<p></p>
<p>बहरहाल, एक सुखद प्रयास केलिए हार्दिक शुभकामनाएँ </p>
<p></p>
<p>लिखे में जो महीन व्यंग्यात्मकता है वह सुखकर है. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय जवाहरलाल जी. लेकिन यह कहाँ लिखा है कि हम शिल्प में सदा कम्प्रोमाइज़ ही किए रहें ! .. हा हा हा.... :-))</p>
<p></p>
<p>बहरहाल, एक सुखद प्रयास केलिए हार्दिक शुभकामनाएँ </p>
<p></p> आदरणीय जवाहर जी, सन्देशप्रद ब…tag:openbooks.ning.com,2016-06-09:5170231:Comment:7744702016-06-09T18:07:53.093Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय जवाहर जी, सन्देशप्रद बढ़िया प्रस्तुति है. आदरणीय जयनित जी की बात से सहमत हूँ कि कहीं कहीं लय बाधित हो रही है. उनके संकेत को पकड़ने के लिए एक बार गीतिका छंद और बह्र-ए-रमल दोनों के मंच पर उपलब्ध आलेख पढ़ जाइए आपको स्पष्ट हो जाएगा. सादर </p>
<p>आदरणीय जवाहर जी, सन्देशप्रद बढ़िया प्रस्तुति है. आदरणीय जयनित जी की बात से सहमत हूँ कि कहीं कहीं लय बाधित हो रही है. उनके संकेत को पकड़ने के लिए एक बार गीतिका छंद और बह्र-ए-रमल दोनों के मंच पर उपलब्ध आलेख पढ़ जाइए आपको स्पष्ट हो जाएगा. सादर </p> प्रिय जयनित, आपने त्रुटियों क…tag:openbooks.ning.com,2016-06-09:5170231:Comment:7742792016-06-09T17:48:28.996ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>प्रिय जयनित, आपने त्रुटियों की तरफ इशारा भर किया है. अगर इंगित कर देते तो शायद सुधरने का प्रयास करता. मैं तो यही छह रहा था, कि शिल्पगत त्रुटि के बारे में सुझाव आता तो मुझे लाभ होता. प्रतिक्रिया के लिए आभार! </p>
<p>प्रिय जयनित, आपने त्रुटियों की तरफ इशारा भर किया है. अगर इंगित कर देते तो शायद सुधरने का प्रयास करता. मैं तो यही छह रहा था, कि शिल्पगत त्रुटि के बारे में सुझाव आता तो मुझे लाभ होता. प्रतिक्रिया के लिए आभार! </p> आदरणीय डा. सुर्या बाली साहब,…tag:openbooks.ning.com,2016-06-09:5170231:Comment:7743842016-06-09T17:45:34.839ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>आदरणीय डा. सुर्या बाली साहब, सादर अभिवादन! आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया पाकर धन्य हुआ. बस एक कोशिश की है. काव्य विधा में बहुत ज्यादा नहीं लिख पाता हूँ. गजल तो जैसे मेरे बस की बात नहीं है. फिर भी कभी कभी तुकबंदी कर लेता हूँ. बस! सादर! </p>
<p>आदरणीय डा. सुर्या बाली साहब, सादर अभिवादन! आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया पाकर धन्य हुआ. बस एक कोशिश की है. काव्य विधा में बहुत ज्यादा नहीं लिख पाता हूँ. गजल तो जैसे मेरे बस की बात नहीं है. फिर भी कभी कभी तुकबंदी कर लेता हूँ. बस! सादर! </p> आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी, देश…tag:openbooks.ning.com,2016-06-09:5170231:Comment:7744652016-06-09T16:46:28.039Zजयनित कुमार मेहताhttp://openbooks.ning.com/profile/JaynitKumarMehta
आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी, देश की वर्तमान स्थिति पर खूबसूरत रचना पेश की है आपने, बस कहीं कहीं लय-बाधा आ रही है।<br />
<br />
बधाई स्वीकार करें।<br />
सादर!
आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी, देश की वर्तमान स्थिति पर खूबसूरत रचना पेश की है आपने, बस कहीं कहीं लय-बाधा आ रही है।<br />
<br />
बधाई स्वीकार करें।<br />
सादर! जवाहर भाई नमस्कार ! इतनी खूबस…tag:openbooks.ning.com,2016-06-09:5170231:Comment:7744282016-06-09T07:02:42.367Zडॉ. सूर्या बाली "सूरज"http://openbooks.ning.com/profile/02eamj4esk9aa
<p>जवाहर भाई नमस्कार ! इतनी खूबसूरत रचना से मंच को सजाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ! सच मानिए बड़े दिनों बाद बहुत मज़ा आया आपकी ये रचना पढ़कर ! बहुत बहुत बधाइयाँ </p>
<p>जवाहर भाई नमस्कार ! इतनी खूबसूरत रचना से मंच को सजाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ! सच मानिए बड़े दिनों बाद बहुत मज़ा आया आपकी ये रचना पढ़कर ! बहुत बहुत बधाइयाँ </p> आदरणीय मदन मोहन सक्सेना जी, स…tag:openbooks.ning.com,2016-06-08:5170231:Comment:7743232016-06-08T17:21:58.547ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>आदरणीय मदन मोहन सक्सेना जी, सादर अभिवादन! आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया और सारगर्भित पंक्तियों को उद्धृत करने हेतु आपका हार्दिक अभिनन्दन!</p>
<p>आदरणीय मदन मोहन सक्सेना जी, सादर अभिवादन! आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया और सारगर्भित पंक्तियों को उद्धृत करने हेतु आपका हार्दिक अभिनन्दन!</p> आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब, स…tag:openbooks.ning.com,2016-06-08:5170231:Comment:7743222016-06-08T17:19:44.846ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब, सादर अभिवादन! मेरी रचना पर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका हार्दिक आभार!</p>
<p>आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब, सादर अभिवादन! मेरी रचना पर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका हार्दिक आभार!</p>