Comments - तज़मीन - Open Books Online2024-03-28T16:16:55Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A770096&xn_auth=noजनाब श्री सुनील जी आदाब,जब तक…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7728672016-06-02T18:02:56.115ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब श्री सुनील जी आदाब,जब तक आप जैसे हौनहार लोग इस विधा पर तबअ आज़माई नहीं करेंगे यह ज़िंदा तो रहेगी लेकिन सिसक सिसक कर ,मैं चाहता हूँ कि यह पूरी तरह ज़िंदा रहे,और इसे ज़िंदा रखने में मेरा साथ दें ।<br />
सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब श्री सुनील जी आदाब,जब तक आप जैसे हौनहार लोग इस विधा पर तबअ आज़माई नहीं करेंगे यह ज़िंदा तो रहेगी लेकिन सिसक सिसक कर ,मैं चाहता हूँ कि यह पूरी तरह ज़िंदा रहे,और इसे ज़िंदा रखने में मेरा साथ दें ।<br />
सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब सौरभ पांडे जी आदाब,बहुत…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7726752016-06-02T17:58:39.590ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब सौरभ पांडे जी आदाब,बहुत देर से आपका इन्तिज़ार था,लेकिन मैं आपकी मसरूफ़ियत से भी बख़ूबी वाक़िफ़ हूँ ,भाई आपकी यह मसरूफ़ियत कभी कभी हमें उसी तरह खलने लगती है जिस तरह भाभी जी को खलती होगी , हा हा हा...<br />
आपने तज़मीन पढ़ ली,पसंद किया,मेरा लिखना सार्थक हुवा, अब इसके आगे की कड़ी तज़मीन बर तज़मीन कुछ देर बाद पोस्ट करने वाला हूँ ,उस पर भी एक नज़र डाल देंगे तो कृपा होगी ,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब सौरभ पांडे जी आदाब,बहुत देर से आपका इन्तिज़ार था,लेकिन मैं आपकी मसरूफ़ियत से भी बख़ूबी वाक़िफ़ हूँ ,भाई आपकी यह मसरूफ़ियत कभी कभी हमें उसी तरह खलने लगती है जिस तरह भाभी जी को खलती होगी , हा हा हा...<br />
आपने तज़मीन पढ़ ली,पसंद किया,मेरा लिखना सार्थक हुवा, अब इसके आगे की कड़ी तज़मीन बर तज़मीन कुछ देर बाद पोस्ट करने वाला हूँ ,उस पर भी एक नज़र डाल देंगे तो कृपा होगी ,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । मोहतरमा कल्पना जी आदाब,नया पन…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7729442016-06-02T17:49:09.915ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
मोहतरमा कल्पना जी आदाब,नया पन तो ओबीओ का ट्रेडमार्क है ,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
मोहतरमा कल्पना जी आदाब,नया पन तो ओबीओ का ट्रेडमार्क है ,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । मोहतरमा कांता रॉय जी आदाब,सुख़…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7728652016-06-02T17:44:49.410ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
मोहतरमा कांता रॉय जी आदाब,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
मोहतरमा कांता रॉय जी आदाब,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आद…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7729432016-06-02T17:43:41.391ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,विधा कोई भी हो,इब्तिदा में मुश्किल ही नज़र आती है लेकिन मश्क़-ए-सुख़न के बाद रवानी आ जाती है,अब देखिये न ,दोहे,कुंडलियाँ,सारछन्द पर आपकी पकड़ इतनी मज़बूत है कि आप चलते फिरते बड़ी आसानी के साथ कह लेते हैं लेकिन जिस समय आपने पहला छन्द लिखा होगा उस समय ऐसी ही दुश्वारी पेश आई होगी ,अभ्यास बहुत ज़रूरी है मेरे भाई,अभ्यास करते रहें , सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,विधा कोई भी हो,इब्तिदा में मुश्किल ही नज़र आती है लेकिन मश्क़-ए-सुख़न के बाद रवानी आ जाती है,अब देखिये न ,दोहे,कुंडलियाँ,सारछन्द पर आपकी पकड़ इतनी मज़बूत है कि आप चलते फिरते बड़ी आसानी के साथ कह लेते हैं लेकिन जिस समय आपने पहला छन्द लिखा होगा उस समय ऐसी ही दुश्वारी पेश आई होगी ,अभ्यास बहुत ज़रूरी है मेरे भाई,अभ्यास करते रहें , सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,एक लेख…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7726742016-06-02T17:36:49.751ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,एक लेख क्या मैं पूरी किताब लिख देता ,मगर क्या करूँ मजबूर हूँ,जितना ज़रूरी था उतना लिख दिया है,इस विधा पर तबअ आज़माई ज़रूर करें ,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,एक लेख क्या मैं पूरी किताब लिख देता ,मगर क्या करूँ मजबूर हूँ,जितना ज़रूरी था उतना लिख दिया है,इस विधा पर तबअ आज़माई ज़रूर करें ,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब बैजनाथ शर्मा 'मिंटू' जी…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7729422016-06-02T17:31:23.344ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब बैजनाथ शर्मा 'मिंटू' जी आदाब,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब बैजनाथ शर्मा 'मिंटू' जी आदाब,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,सुख़न…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7728642016-06-02T17:29:58.646ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,स…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7729412016-06-02T17:28:43.207ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब निलेश "नूर" जी आदाब, याद…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7726722016-06-02T17:26:22.031ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब निलेश "नूर" जी आदाब, याद दहानी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब निलेश "नूर" जी आदाब, याद दहानी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।