Comments - मनहरण घनाक्षरी - Open Books Online2024-03-29T13:18:00Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A769368&xn_auth=noआदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, ज…tag:openbooks.ning.com,2016-06-05:5170231:Comment:7732592016-06-05T09:40:19.185ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! घनाक्षरी के पद समकल से प्रारंभ करने का आपका सुझाव उत्तम है. त्रिकल के पश्चात त्रिकल रखकर रचने से मैं समकल वाली चूक को पकड़ नहीं पाया. अवश्य ही मैं इस बात का ध्यान रखूंगा. कथ्य में मेरा प्रयास सूखा पीड़ितों को भी समेटना था, किन्तु आपकी प्रतिक्रिया से सहज समझ आ रहा है उसमें भी सफलता नहीं मिली है.इस पर भी अवश्य ही ध्यान दूंगा. सादर आभार.</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! घनाक्षरी के पद समकल से प्रारंभ करने का आपका सुझाव उत्तम है. त्रिकल के पश्चात त्रिकल रखकर रचने से मैं समकल वाली चूक को पकड़ नहीं पाया. अवश्य ही मैं इस बात का ध्यान रखूंगा. कथ्य में मेरा प्रयास सूखा पीड़ितों को भी समेटना था, किन्तु आपकी प्रतिक्रिया से सहज समझ आ रहा है उसमें भी सफलता नहीं मिली है.इस पर भी अवश्य ही ध्यान दूंगा. सादर आभार.</p> घनाक्षरी विधा पर आपकी कोई रचन…tag:openbooks.ning.com,2016-06-01:5170231:Comment:7721832016-06-01T05:21:10.999ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>घनाक्षरी विधा पर आपकी कोई रचना अरसे बाद आयी है, आदरणीय अशोक जी। इस निमित्त आपको हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाइयाँ। </p>
<p>परन्तु, आपने जिस ढंग से पंक्तियों का विन्यास रखा है, वह नियमों की महीनी के अनरूप नहीं है। यह अपने आप में कोई गलती नहीं है। लेकिन सर्वमान्यता यही है कि घनाक्षरी के पद समकलों से प्रारम्भ हुए तो वाचन प्रवाह सहज ही नहीं पारम्परिक भी होता है। आपका प्रथम दो पंक्तियों का प्रारम्भ त्रिकल से होने से उन शब्दों के उच्चारण के साथ ही या तो प्रवाह रुक जाता है, या उन शब्दों के लघु वर्ण पर…</p>
<p>घनाक्षरी विधा पर आपकी कोई रचना अरसे बाद आयी है, आदरणीय अशोक जी। इस निमित्त आपको हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाइयाँ। </p>
<p>परन्तु, आपने जिस ढंग से पंक्तियों का विन्यास रखा है, वह नियमों की महीनी के अनरूप नहीं है। यह अपने आप में कोई गलती नहीं है। लेकिन सर्वमान्यता यही है कि घनाक्षरी के पद समकलों से प्रारम्भ हुए तो वाचन प्रवाह सहज ही नहीं पारम्परिक भी होता है। आपका प्रथम दो पंक्तियों का प्रारम्भ त्रिकल से होने से उन शब्दों के उच्चारण के साथ ही या तो प्रवाह रुक जाता है, या उन शब्दों के लघु वर्ण पर बलाघात कम से कम कर आगे के शब्द के समकल की मौज़ूदग़ी का लाभ लेना पड़ता है। पुनः, यह कोई बहुत बड़ी गलती नहीं है लेकिन घनाक्षरी विधा के सही स्वर को जानने वालों के लिए वाचन ढंग को बदलना पड़ता है। आप प्रति पंक्ति का प्रारम्भ समकलों से करें। देखिये, वाचन प्रवाह में गुणात्मक सुधार होगा। </p>
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<p>दूसरी बात, घनाक्षरी छन्द शास्त्र में घोषित मुक्तक हैं। अतः, एक मुक्तक में विषय एक ही रहे तो वह अधिक विधाजन्य माना जाता है। ध्यातव्य है, प्रस्तुत रचना ग्रीष्म की चर्चा से शुरु हो कर जन-जनार्दन की नैतिक ऊँचाई की कामना करनेलगतती है। वर्णन के क्रम मे ऐसी छलांग उचित नहीं है। विश्वास है, आप मेरे कहे का मूल समझ रहे हैं।</p>
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<p>बहरहाल छन्द पर हुआ आपका प्रयास निस्संदेह आश्वस्तिकारक है।</p>
<p>सादर</p> बहुत सुंदर छंद बधाई आ जीtag:openbooks.ning.com,2016-06-01:5170231:Comment:7721792016-06-01T03:58:14.601Zbabita choubey shaktihttp://openbooks.ning.com/profile/babitachoubeyshakti
बहुत सुंदर छंद बधाई आ जी
बहुत सुंदर छंद बधाई आ जी आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस…tag:openbooks.ning.com,2016-05-29:5170231:Comment:7703472016-05-29T17:06:39.467ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, आपको छंद अच्छा लगा मेरे रचनाकर्म को मान मिला. सादर आभार.</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, आपको छंद अच्छा लगा मेरे रचनाकर्म को मान मिला. सादर आभार.</p> जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आद…tag:openbooks.ning.com,2016-05-29:5170231:Comment:7702292016-05-29T13:13:08.129ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,बहुत सुंदर है आपकी रचना,इस प्रस्तुति पर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,बहुत सुंदर है आपकी रचना,इस प्रस्तुति पर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ । बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेश क…tag:openbooks.ning.com,2016-05-29:5170231:Comment:7701012016-05-29T11:49:12.059ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेश कुमार जी.सादर.</p>
<p>बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेश कुमार जी.सादर.</p> वाह वाह बहुत ही सुन्दर विनती…tag:openbooks.ning.com,2016-05-28:5170231:Comment:7695772016-05-28T06:13:07.477Zसुरेश कुमार 'कल्याण'http://openbooks.ning.com/profile/SureshKumarKalyan
वाह वाह बहुत ही सुन्दर विनती आदरणीय बधाई
वाह वाह बहुत ही सुन्दर विनती आदरणीय बधाई