Comments - ग़ज़ल - बदलना भी ज़रूरी है सदा अच्छा नही रहता - Open Books Online2024-03-28T18:48:52Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A768437&xn_auth=noआदरनीय मुनीष भाई , गज़ल अच्छी…tag:openbooks.ning.com,2016-05-29:5170231:Comment:7700822016-05-29T03:18:32.477Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरनीय मुनीष भाई , गज़ल अच्छी हुई है , बधाइयाँ स्वीकार करें ! कुछ कमिया बताई गईं हैं ख्याल कीजियेगा । मुझे एक मिसरा बेबहर भी लग रहा है --- <br/>बने गद्दा/ रहै जो घू/ में करें हैं दे/ श से धोखा --- तीसरा रुक्न देखियेगा</p>
<p>आदरनीय मुनीष भाई , गज़ल अच्छी हुई है , बधाइयाँ स्वीकार करें ! कुछ कमिया बताई गईं हैं ख्याल कीजियेगा । मुझे एक मिसरा बेबहर भी लग रहा है --- <br/>बने गद्दा/ रहै जो घू/ में करें हैं दे/ श से धोखा --- तीसरा रुक्न देखियेगा</p> जनाब मुनीश तन्हा साहिब आदाब,ग़…tag:openbooks.ning.com,2016-05-26:5170231:Comment:7685502016-05-26T06:44:46.944ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब मुनीश तन्हा साहिब आदाब,ग़ज़ल और समय चाहती है, इस प्रस्तुति के लिये बधाई ।<br />
जनाब बशर भारतीय जी दरुस्त फरमा रहे हैं ।
जनाब मुनीश तन्हा साहिब आदाब,ग़ज़ल और समय चाहती है, इस प्रस्तुति के लिये बधाई ।<br />
जनाब बशर भारतीय जी दरुस्त फरमा रहे हैं । बने गद्दारहै जो घूमें करें है…tag:openbooks.ning.com,2016-05-26:5170231:Comment:7682932016-05-26T05:07:26.168Zबशर भारतीयhttp://openbooks.ning.com/profile/2z6gajfsw55kj
बने गद्दारहै जो घूमें करें हैं देश से धोखा<br />
उन्हें फिर मौत मिलती है निशां उनका नहीं रहता<br />
अच्छा शे'र जनाब तनहा साहब<br />
कुछ बातें ज़रूर कहना चाहूँगा १. मतले के मिसरैन में रब्त समझ नहीं आ रहा है<br />
२. पाँचवे शे'र में मफ़हूम साफ नहीं हैं।<br />
<br />
गलती मेरी भी हो सकती जनाब कृपया अन्यथा न लें
बने गद्दारहै जो घूमें करें हैं देश से धोखा<br />
उन्हें फिर मौत मिलती है निशां उनका नहीं रहता<br />
अच्छा शे'र जनाब तनहा साहब<br />
कुछ बातें ज़रूर कहना चाहूँगा १. मतले के मिसरैन में रब्त समझ नहीं आ रहा है<br />
२. पाँचवे शे'र में मफ़हूम साफ नहीं हैं।<br />
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गलती मेरी भी हो सकती जनाब कृपया अन्यथा न लें