Comments - ग़ज़ल 212 – 212 – 212 – 212 - Open Books Online2024-03-28T15:42:11Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A765985&xn_auth=noअवांछित ही, भी, तो जैसे शब्दो…tag:openbooks.ning.com,2016-05-24:5170231:Comment:7678292016-05-24T15:12:07.054ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>अवांछित ही, भी, तो जैसे शब्दों को मिसरों में न रहने दें. ये भर्ती के माने जाते हैं. ग़ज़ल में शब्द भर्ती के हुए तो ग़ज़ल कमज़ोर हो जाती है. बाकी तो आपका प्रयास आश्वस्त कर रहा है, आदरणीय मुनीश भाई.</p>
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<p>अवांछित ही, भी, तो जैसे शब्दों को मिसरों में न रहने दें. ये भर्ती के माने जाते हैं. ग़ज़ल में शब्द भर्ती के हुए तो ग़ज़ल कमज़ोर हो जाती है. बाकी तो आपका प्रयास आश्वस्त कर रहा है, आदरणीय मुनीश भाई.</p>
<p></p> आदरणीय मुनीश जी, अच्छी ग़ज़ल हु…tag:openbooks.ning.com,2016-05-18:5170231:Comment:7663432016-05-18T17:04:06.240Zजयनित कुमार मेहताhttp://openbooks.ning.com/profile/JaynitKumarMehta
आदरणीय मुनीश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। मगर, थोडा और समय आप देते तो शेर और प्रभावशाली हो सकते थे।<br />
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"जान लो तुम मुहब्बत तो है इक बला<br />
इस से बचना बड़ा ही तो दुशवार है"<br />
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इसमें "बड़ा ही" और "दुश्वार" के बीच "ही" का प्रयोग खटक रहा है मुझे।<br />
आदरणीय समर कबीर साहब, आपसे निवेदन है कि आप कृपया मेरी दुविधा दूर करें।
आदरणीय मुनीश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। मगर, थोडा और समय आप देते तो शेर और प्रभावशाली हो सकते थे।<br />
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"जान लो तुम मुहब्बत तो है इक बला<br />
इस से बचना बड़ा ही तो दुशवार है"<br />
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इसमें "बड़ा ही" और "दुश्वार" के बीच "ही" का प्रयोग खटक रहा है मुझे।<br />
आदरणीय समर कबीर साहब, आपसे निवेदन है कि आप कृपया मेरी दुविधा दूर करें। इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2016-05-18:5170231:Comment:7663202016-05-18T11:19:42.608ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय </p>
<p>इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय </p> जनाब मुनीश'तन्हा'साहिब आदाब,अ…tag:openbooks.ning.com,2016-05-17:5170231:Comment:7661712016-05-17T13:21:28.788ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब मुनीश'तन्हा'साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
जनाब मुनीश'तन्हा'साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ । आदरणीय सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्द…tag:openbooks.ning.com,2016-05-17:5170231:Comment:7658812016-05-17T10:10:10.610ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई। </p>
<p>आदरणीय सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई। </p> आ.मुनीश सरजी लय से भरी अच्छी…tag:openbooks.ning.com,2016-05-17:5170231:Comment:7658702016-05-17T07:30:02.600ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://openbooks.ning.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
आ.मुनीश सरजी लय से भरी अच्छी ग़ज़ल हुयी है,हार्दिक बधाई।<br />
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जान लो तुम ये मुहब्बत है इक बला<br />
इस से बचना बड़ा ही तो दुशवार है....ये शेर मेरे ख्याल से बेबहर हो रहा है कृपया देख लें।
आ.मुनीश सरजी लय से भरी अच्छी ग़ज़ल हुयी है,हार्दिक बधाई।<br />
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जान लो तुम ये मुहब्बत है इक बला<br />
इस से बचना बड़ा ही तो दुशवार है....ये शेर मेरे ख्याल से बेबहर हो रहा है कृपया देख लें।