Comments - तब मन मे बैराग्य हुआ - Open Books Online2024-03-28T08:39:52Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A762903&xn_auth=noआदरणीय, गुरुवरो , धन्यवाद , त…tag:openbooks.ning.com,2016-05-14:5170231:Comment:7655252016-05-14T12:57:27.315Zarunendra mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/arunendramishra
<p><span>आदरणीय, गुरुवरो , धन्यवाद , त्रुटियो हेतु छ्मा ..बहुत सामय से हिन्दी लेखनी एवंम पठ्ने दोनो से दूर रहा , इसी का परिणाम त्रुटियो के रुप मे दिखाइ देता है..... आपके दिये सुझावो पर अमल का पुरा प्रयास करुन्गा</span></p>
<p><span>आदरणीय, गुरुवरो , धन्यवाद , त्रुटियो हेतु छ्मा ..बहुत सामय से हिन्दी लेखनी एवंम पठ्ने दोनो से दूर रहा , इसी का परिणाम त्रुटियो के रुप मे दिखाइ देता है..... आपके दिये सुझावो पर अमल का पुरा प्रयास करुन्गा</span></p> आपके सुंदर भावों के सम्प्रेषण…tag:openbooks.ning.com,2016-05-07:5170231:Comment:7638092016-05-07T14:13:35.380Zरामबली गुप्ताhttp://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
आपके सुंदर भावों के सम्प्रेषण हेतु ही आपको बधाई बंधुवर किन्तु गेयता और प्रवाह के दृष्टिकोण से यह किसी भी प्रकार मुझे कविता या गीत प्रतीत नही होता। इससे बेहतर होता कि आप ने इसे अतुकांत लिखा होता। किन्तु आपका प्रयास और शब्द चयन सराहनीय है। कतिपय वार्तनिक दोषों को दरकिनार कर देखें तो भावों की सम्प्रेषणीयता का बेहतर प्रयास किया है आपने। इस दृष्टिकोण से आपको पुनः बधाई
आपके सुंदर भावों के सम्प्रेषण हेतु ही आपको बधाई बंधुवर किन्तु गेयता और प्रवाह के दृष्टिकोण से यह किसी भी प्रकार मुझे कविता या गीत प्रतीत नही होता। इससे बेहतर होता कि आप ने इसे अतुकांत लिखा होता। किन्तु आपका प्रयास और शब्द चयन सराहनीय है। कतिपय वार्तनिक दोषों को दरकिनार कर देखें तो भावों की सम्प्रेषणीयता का बेहतर प्रयास किया है आपने। इस दृष्टिकोण से आपको पुनः बधाई जनाब अरुणेन्द्र मिश्रा जी आदा…tag:openbooks.ning.com,2016-05-06:5170231:Comment:7633882016-05-06T17:30:22.634ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब अरुणेन्द्र मिश्रा जी आदाब,प्रस्तुति अच्छी लगी,बधाई स्वीकार करें,गुणिजनों की बातों पर अवश्य ध्यान दें ।
जनाब अरुणेन्द्र मिश्रा जी आदाब,प्रस्तुति अच्छी लगी,बधाई स्वीकार करें,गुणिजनों की बातों पर अवश्य ध्यान दें । मेरी समझ में आपकी आयु के हिसा…tag:openbooks.ning.com,2016-05-06:5170231:Comment:7631832016-05-06T12:12:54.688Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
मेरी समझ में आपकी आयु के हिसाब से कविता बहुत अच्छी है . मेरा एक गीत है =<br />
उसने यूँ ही कहा गीत रचता हूँ मैं , आप हैं कि मुझे आजमाने लगे<br />
यह हुनर तो मिला है मुझे जन्म से मांजने में इसे पर जमाने लगे . स्नेह .
मेरी समझ में आपकी आयु के हिसाब से कविता बहुत अच्छी है . मेरा एक गीत है =<br />
उसने यूँ ही कहा गीत रचता हूँ मैं , आप हैं कि मुझे आजमाने लगे<br />
यह हुनर तो मिला है मुझे जन्म से मांजने में इसे पर जमाने लगे . स्नेह . आदरणीय अरुणेन्द्र मिश्रा जी,…tag:openbooks.ning.com,2016-05-05:5170231:Comment:7633392016-05-05T19:17:40.061Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय अरुणेन्द्र मिश्रा जी, संभवतः आपकी किसी पहली प्रस्तुति से गुजर रहा हूँ. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. यह भी अवश्य है कि प्रस्तुति तनिक समय चाहती है. वर्तनी और वाक्य विन्यास के साथ साथ कथ्य का स्पष्ट सम्प्रेषण भी अनिवार्य हुआ करता है. आप इस मंच पर पूर्व में प्रस्तुत हुई रचनाओं और पद्य की विभिन्न विधाओं पर उपलब्ध आलेखों का अवश्य लाभ लीजियेगा. सादर </p>
<p>आदरणीय अरुणेन्द्र मिश्रा जी, संभवतः आपकी किसी पहली प्रस्तुति से गुजर रहा हूँ. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. यह भी अवश्य है कि प्रस्तुति तनिक समय चाहती है. वर्तनी और वाक्य विन्यास के साथ साथ कथ्य का स्पष्ट सम्प्रेषण भी अनिवार्य हुआ करता है. आप इस मंच पर पूर्व में प्रस्तुत हुई रचनाओं और पद्य की विभिन्न विधाओं पर उपलब्ध आलेखों का अवश्य लाभ लीजियेगा. सादर </p> आदरणीय arunendra mishra ज…tag:openbooks.ning.com,2016-05-05:5170231:Comment:7632172016-05-05T07:55:24.214ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/arunendramishra">arunendra mishra</a><a class="nolink"> </a> जी बहुत सुंदर और भावपूर्ण सृजन हुआ है। आदरणीय शाब्दिक दोष प्रवाह में बाधक हैं तथा प्रस्तुति के प्रभाव को क्षीण कर रहे हैं। इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई सर। </p>
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/arunendramishra">arunendra mishra</a><a class="nolink"> </a> जी बहुत सुंदर और भावपूर्ण सृजन हुआ है। आदरणीय शाब्दिक दोष प्रवाह में बाधक हैं तथा प्रस्तुति के प्रभाव को क्षीण कर रहे हैं। इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई सर। </p>