Comments - अमासी रात मेरे घर के तारे .. - Open Books Online2024-03-29T12:52:13Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A753529&xn_auth=noवाह वाह बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी ह…tag:openbooks.ning.com,2016-04-06:5170231:Comment:7558942016-04-06T06:17:21.118Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>वाह वाह बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी है आपने सभी अशआर शानदार हुए जिसके लिए दिल से बधाई लीजिये आमोद जी .मक्ते के सानी में कुछ अटकाव एवं भाव सम्प्रेषण में कमी सी महसूस हो रही है इसे ऐसे लिखें तो कैसा रहे </p>
<p>ग़ज़ल बन कोई/मेरी कविता भाव सारे छीन लेती है |</p>
<p>वाह वाह बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी है आपने सभी अशआर शानदार हुए जिसके लिए दिल से बधाई लीजिये आमोद जी .मक्ते के सानी में कुछ अटकाव एवं भाव सम्प्रेषण में कमी सी महसूस हो रही है इसे ऐसे लिखें तो कैसा रहे </p>
<p>ग़ज़ल बन कोई/मेरी कविता भाव सारे छीन लेती है |</p> नहीं है हमजुबां कोई मेरा इस द…tag:openbooks.ning.com,2016-03-29:5170231:Comment:7541172016-03-29T19:47:46.606ZRahilahttp://openbooks.ning.com/profile/Rahila
नहीं है हमजुबां कोई मेरा इस दौर हाजिर में।<br />
कसक इतनी मेरे दिल से शरारे छीन लेती है।। वाह्ह. .शानदार लिखते है आप आदरणीय आमोद जी! काबिले तारीफ़ है आपकी ग़ज़ल । यूं ही पढ़ती रही इस मंच पर इतनी उम्दा ग़ज़ले तो यकीनन ग़ज़लो का शौक हो जायेगा । बहुत बधाई ।सादर
नहीं है हमजुबां कोई मेरा इस दौर हाजिर में।<br />
कसक इतनी मेरे दिल से शरारे छीन लेती है।। वाह्ह. .शानदार लिखते है आप आदरणीय आमोद जी! काबिले तारीफ़ है आपकी ग़ज़ल । यूं ही पढ़ती रही इस मंच पर इतनी उम्दा ग़ज़ले तो यकीनन ग़ज़लो का शौक हो जायेगा । बहुत बधाई ।सादर अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय आमोद…tag:openbooks.ning.com,2016-03-29:5170231:Comment:7537842016-03-29T16:36:00.430Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय आमोद जी। दाद कुबूल करें</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय आमोद जी। दाद कुबूल करें</p> आ रामबली सर आप को सादर नमन
सर…tag:openbooks.ning.com,2016-03-28:5170231:Comment:7533942016-03-28T07:15:28.077Zamod shrivastav (bindouri)http://openbooks.ning.com/profile/amodbindouri
आ रामबली सर आप को सादर नमन<br />
सर गजल की बिधा में हम बिलकुल नए है । कभी अच्छा तो कभी बहुत बुरा लिख जाता है । कोई गुरु न होने के कारण अकेले ही साहित्य का पथ चल रहे हैं। इसलिए त्रुटि के लिए सदा क्षमा प्रार्थी हूँ । .....कृपया मार्गदर्शन स्नेह देते रहें
आ रामबली सर आप को सादर नमन<br />
सर गजल की बिधा में हम बिलकुल नए है । कभी अच्छा तो कभी बहुत बुरा लिख जाता है । कोई गुरु न होने के कारण अकेले ही साहित्य का पथ चल रहे हैं। इसलिए त्रुटि के लिए सदा क्षमा प्रार्थी हूँ । .....कृपया मार्गदर्शन स्नेह देते रहें वाह वाह वाह क्या खूब ग़ज़ल कही…tag:openbooks.ning.com,2016-03-28:5170231:Comment:7537252016-03-28T06:52:21.194Zरामबली गुप्ताhttp://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
वाह वाह वाह क्या खूब ग़ज़ल कही आ.आमोद जी
वाह वाह वाह क्या खूब ग़ज़ल कही आ.आमोद जी समीर नहीं जनाब 'समर'tag:openbooks.ning.com,2016-03-28:5170231:Comment:7537242016-03-28T06:22:40.713ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
समीर नहीं जनाब 'समर'
समीर नहीं जनाब 'समर' आकांता दीदी उत्साह वर्धन और स…tag:openbooks.ning.com,2016-03-28:5170231:Comment:7534692016-03-28T06:04:58.909Zamod shrivastav (bindouri)http://openbooks.ning.com/profile/amodbindouri
आकांता दीदी उत्साह वर्धन और स्नेह के लिए सादर नमन....
आकांता दीदी उत्साह वर्धन और स्नेह के लिए सादर नमन.... आ समीर साहब आप का स्नेह पा कर…tag:openbooks.ning.com,2016-03-28:5170231:Comment:7536422016-03-28T06:04:05.746Zamod shrivastav (bindouri)http://openbooks.ning.com/profile/amodbindouri
आ समीर साहब आप का स्नेह पा कर गर्वंवित महसूस हो रहा है। आप को सादर नमन
आ समीर साहब आप का स्नेह पा कर गर्वंवित महसूस हो रहा है। आप को सादर नमन जनाब आमोद बिन्दोरी जी आदाब,तर…tag:openbooks.ning.com,2016-03-28:5170231:Comment:7533862016-03-28T05:59:14.171ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब आमोद बिन्दोरी जी आदाब,तरही मिसरे पर आपने अच्छी ग़ज़ल कही, बधाई स्वीकार करें
जनाब आमोद बिन्दोरी जी आदाब,तरही मिसरे पर आपने अच्छी ग़ज़ल कही, बधाई स्वीकार करें अमासी रात मेरे घर के तारे छीन…tag:openbooks.ning.com,2016-03-28:5170231:Comment:7534512016-03-28T05:14:55.914Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
<p><span>अमासी रात मेरे घर के तारे छीन लेती है।।</span><br/><span>तूफानी रात आये तो गुजारे छीन लेती है।।....वाह ! क्या खूब ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय आमोद जी , बधाई आपको </span></p>
<p><span>अमासी रात मेरे घर के तारे छीन लेती है।।</span><br/><span>तूफानी रात आये तो गुजारे छीन लेती है।।....वाह ! क्या खूब ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय आमोद जी , बधाई आपको </span></p>