Comments - जहाँ हो मुहब्बत वहीं डूब जाना (ग़ज़ल) - Open Books Online2024-03-29T01:58:31Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A753357&xn_auth=noबढ़ा ताप दुनिया का पहले ही काफ़…tag:openbooks.ning.com,2016-04-06:5170231:Comment:7561652016-04-06T06:03:56.862Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>बढ़ा ताप दुनिया का पहले ही काफ़ी</p>
<p>न तुम अपने चेहरे से जुल्फ़ें हटाना------क्या अंदाज़ है वाह्ह्ह </p>
<p> </p>
<p>ये बेहतर बनाने की तरकीब उसकी</p>
<p>बनाकर मिटाना मिटाकर बनाना...शानदार </p>
<p>इस खूबसूरत ग़ज़ल पर दिल से बधाई लीजिये आ० धर्मेन्द्र जी </p>
<p>बढ़ा ताप दुनिया का पहले ही काफ़ी</p>
<p>न तुम अपने चेहरे से जुल्फ़ें हटाना------क्या अंदाज़ है वाह्ह्ह </p>
<p> </p>
<p>ये बेहतर बनाने की तरकीब उसकी</p>
<p>बनाकर मिटाना मिटाकर बनाना...शानदार </p>
<p>इस खूबसूरत ग़ज़ल पर दिल से बधाई लीजिये आ० धर्मेन्द्र जी </p> बढ़ा ताप दुनिया का पहले ही काफ़…tag:openbooks.ning.com,2016-04-01:5170231:Comment:7551752016-04-01T04:28:22.322ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>बढ़ा ताप दुनिया का पहले ही काफ़ी</p>
<p>न तुम अपने चेहरे से जुल्फ़ें हटाना..................वाह क्या बात है धर्मेन्द्र जी ..इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर </p>
<p>ये बेहतर बनाने की तरकीब उसकी</p>
<p>बनाकर मिटाना मिटाकर बनाना...बेहतरीन </p>
<p>बढ़ा ताप दुनिया का पहले ही काफ़ी</p>
<p>न तुम अपने चेहरे से जुल्फ़ें हटाना..................वाह क्या बात है धर्मेन्द्र जी ..इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर </p>
<p>ये बेहतर बनाने की तरकीब उसकी</p>
<p>बनाकर मिटाना मिटाकर बनाना...बेहतरीन </p> बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सरि…tag:openbooks.ning.com,2016-03-29:5170231:Comment:7538402016-03-29T16:29:33.833Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सरिता जी</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सरिता जी</p> बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुश…tag:openbooks.ning.com,2016-03-29:5170231:Comment:7538392016-03-29T16:29:17.139Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील जी</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील जी</p> बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नाद…tag:openbooks.ning.com,2016-03-29:5170231:Comment:7538382016-03-29T16:29:03.103Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नादिर ख़ान जी</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नादिर ख़ान जी</p> बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सूब…tag:openbooks.ning.com,2016-03-29:5170231:Comment:7536952016-03-29T16:28:38.489Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सूबे सिंह जी</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सूबे सिंह जी</p> बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय राम…tag:openbooks.ning.com,2016-03-29:5170231:Comment:7537812016-03-29T16:28:21.145Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रामबली जी</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रामबली जी</p> बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय आमो…tag:openbooks.ning.com,2016-03-29:5170231:Comment:7537792016-03-29T16:27:15.996Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय आमोद जी</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय आमोद जी</p> बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर…tag:openbooks.ning.com,2016-03-29:5170231:Comment:7539152016-03-29T16:26:56.014Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर साहब।</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर साहब।</p> लाजवाब लिखा है आपने tag:openbooks.ning.com,2016-03-29:5170231:Comment:7538352016-03-29T15:45:05.953Zsarita panthihttp://openbooks.ning.com/profile/saritapanthi
<p>लाजवाब लिखा है आपने </p>
<p>लाजवाब लिखा है आपने </p>