Comments - गीत-प्रीतम सपने में आये थे - Open Books Online2024-03-28T15:16:31Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A753346&xn_auth=noरचना पसंद करने के लिए हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2016-03-29:5170231:Comment:7537612016-03-29T06:58:54.471Zरामबली गुप्ताhttp://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आ.मोहित जी
रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आ.मोहित जी हृदयतल से आभार आ. समर जी गीत…tag:openbooks.ning.com,2016-03-28:5170231:Comment:7534702016-03-28T06:19:20.028Zरामबली गुप्ताhttp://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
हृदयतल से आभार आ. समर जी गीत पसंद करने के लिए
हृदयतल से आभार आ. समर जी गीत पसंद करने के लिए जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,को…tag:openbooks.ning.com,2016-03-28:5170231:Comment:7534672016-03-28T06:03:15.103ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,कोमल भावों से सजे इस सुंदर गीत के लिये बधाई स्वीकार करें ।
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,कोमल भावों से सजे इस सुंदर गीत के लिये बधाई स्वीकार करें । हृदयतल से आभार आदरेया कांता ज…tag:openbooks.ning.com,2016-03-28:5170231:Comment:7537202016-03-28T06:02:57.611Zरामबली गुप्ताhttp://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
हृदयतल से आभार आदरेया कांता जी<br />
मुख्यतः गीत और छन्दों में ही लिखता हूँ।<br />
अतुकांत और ग़ज़ल कम लिख पाता हूँ।
हृदयतल से आभार आदरेया कांता जी<br />
मुख्यतः गीत और छन्दों में ही लिखता हूँ।<br />
अतुकांत और ग़ज़ल कम लिख पाता हूँ। प्रीतम सपने में आये थे।सखि! म…tag:openbooks.ning.com,2016-03-28:5170231:Comment:7533742016-03-28T05:20:56.240Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
<p><span>प्रीतम सपने में आये थे।</span><br/><span>सखि! मुझको बड़ा सताये थे।।</span><br/><span>सुंदर वसन सजा तन पर,</span><br/><span>वे मंद-मंद मुस्काये थे।</span><br/><span>प्रीतम सपने में आये थे।.............वाह ! कितनी अनुपम , कोमल सी रचना रची है आपने आदरणीय रामबली जी , मुझे कविता के इन सरसता में जैसे सरस्वती के दर्शन हुए . ह्रदय झूम -झूम उठा पढ़ते ही . बहुत -बहुत बधाई आपको </span></p>
<p><span>प्रीतम सपने में आये थे।</span><br/><span>सखि! मुझको बड़ा सताये थे।।</span><br/><span>सुंदर वसन सजा तन पर,</span><br/><span>वे मंद-मंद मुस्काये थे।</span><br/><span>प्रीतम सपने में आये थे।.............वाह ! कितनी अनुपम , कोमल सी रचना रची है आपने आदरणीय रामबली जी , मुझे कविता के इन सरसता में जैसे सरस्वती के दर्शन हुए . ह्रदय झूम -झूम उठा पढ़ते ही . बहुत -बहुत बधाई आपको </span></p>