Comments - मेरी प्यारी व्यथा - Open Books Online2024-03-29T07:21:12Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A742174&xn_auth=noआदरणीय कान्ता जी, रचना पर आपन…tag:openbooks.ning.com,2016-02-24:5170231:Comment:7429122016-02-24T09:23:38.225ZDr T R Sukulhttp://openbooks.ning.com/profile/DrTRSukul
<p>आदरणीय कान्ता जी, रचना पर आपने अपने उदगार व्यक्त कर जो उत्साहवर्धन किया है उसके लिए विनम्र आभार। </p>
<p>आदरणीय कान्ता जी, रचना पर आपने अपने उदगार व्यक्त कर जो उत्साहवर्धन किया है उसके लिए विनम्र आभार। </p> धन्यवाद सतविंदर जी , आपने कवि…tag:openbooks.ning.com,2016-02-24:5170231:Comment:7428652016-02-24T09:23:15.284ZDr T R Sukulhttp://openbooks.ning.com/profile/DrTRSukul
<p>धन्यवाद सतविंदर जी , आपने कविता को सराहा। </p>
<p>धन्यवाद सतविंदर जी , आपने कविता को सराहा। </p> झुन झुन झनकती नक्षत्रों सहित…tag:openbooks.ning.com,2016-02-23:5170231:Comment:7424822016-02-23T04:59:23.553Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
झुन झुन झनकती नक्षत्रों सहित रजनी,<br />
मद मदात्त विपुल गंध अंक में समाये गगन,<br />
बहुचर्चित मदन रंग, द्रव्य के अपार संग,<br />
मधु मुक्ताभरण के वरण में ---<br />
‘‘ए ! व्यथा‘‘ मैं ने तुमको चुना।------- अद्वितीय सौंदर्य ! अद्भुत कथ्य ! गजब का प्रवाह ! शब्द - शब्द जैसे मन को झंकृत कर गये । ऐसा नशा कि पद्य पढने की पिपासा और तेज हो गई । सादर अभिनंदन आपको आदरणीय त्रैलोक्य रंजन जी इस अनुपम रचना के लिये ।
झुन झुन झनकती नक्षत्रों सहित रजनी,<br />
मद मदात्त विपुल गंध अंक में समाये गगन,<br />
बहुचर्चित मदन रंग, द्रव्य के अपार संग,<br />
मधु मुक्ताभरण के वरण में ---<br />
‘‘ए ! व्यथा‘‘ मैं ने तुमको चुना।------- अद्वितीय सौंदर्य ! अद्भुत कथ्य ! गजब का प्रवाह ! शब्द - शब्द जैसे मन को झंकृत कर गये । ऐसा नशा कि पद्य पढने की पिपासा और तेज हो गई । सादर अभिनंदन आपको आदरणीय त्रैलोक्य रंजन जी इस अनुपम रचना के लिये । वाह!बहुत सुंदर।tag:openbooks.ning.com,2016-02-22:5170231:Comment:7423492016-02-22T09:58:14.280Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
वाह!बहुत सुंदर।
वाह!बहुत सुंदर।