Comments - ग़ज़ल ( पत्थर निकला) - Open Books Online2024-03-28T11:55:58Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A736495&xn_auth=noबहुत शुक्रिया tag:openbooks.ning.com,2016-02-05:5170231:Comment:7382872016-02-05T20:28:09.771Zsaalim sheikhhttp://openbooks.ning.com/profile/saalimsheikh
<p>बहुत शुक्रिया </p>
<p>बहुत शुक्रिया </p> जनाब शेख़ सलीम साहिब ,यहाँ बात…tag:openbooks.ning.com,2016-02-04:5170231:Comment:7379022016-02-04T15:21:57.291ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब शेख़ सलीम साहिब ,यहाँ बात उर्दू शाएरी की हो रही है /अरबी के जो लफ़्ज़ उर्दू ज़बान में आ गए वह ही इस्तेमाल होते हैं / मुखबिर उर्दू डिक्शनरी में है ही नहीं / मैं ने मुखबर क़ाफ़िया मिसरे में इस्तेमाल किया है उसका मतलब जासूस , खबर देने वाला, है। ....... शुक्रिया</p>
<p>जनाब शेख़ सलीम साहिब ,यहाँ बात उर्दू शाएरी की हो रही है /अरबी के जो लफ़्ज़ उर्दू ज़बान में आ गए वह ही इस्तेमाल होते हैं / मुखबिर उर्दू डिक्शनरी में है ही नहीं / मैं ने मुखबर क़ाफ़िया मिसरे में इस्तेमाल किया है उसका मतलब जासूस , खबर देने वाला, है। ....... शुक्रिया</p> जनाब मिथिलेश साहिब , हौसला अ…tag:openbooks.ning.com,2016-02-04:5170231:Comment:7378992016-02-04T15:12:48.488ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब मिथिलेश साहिब , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी</p>
<p>जनाब मिथिलेश साहिब , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी</p> जनाब तस्दीक़ साहब मुखबर और मु…tag:openbooks.ning.com,2016-02-03:5170231:Comment:7381072016-02-03T19:47:05.052Zsaalim sheikhhttp://openbooks.ning.com/profile/saalimsheikh
<p>जनाब तस्दीक़ साहब मुखबर और मुखबिर दोनों ही अरबी के लफ्ज़ हैं </p>
<p>मुखबिर 'फ़ाइल' है जो कि मुफ़इल के वज़न पर है ( खबर देने वाला ,जैसे मुजरिम= जुर्म करने वाला , मुस्लिम= इस्लाम लाने वाला ) </p>
<p>मुखबर 'मफ़ऊल' है जो कि मुफ़अल के वज़न पर है ( जिसको खबर दी गई हो ,जैसे मुकर्रम= जिसकी तकरीम की गई हो मुफ़स्सल= जिसकी तफ़सील बयान की गई हो ) , मुखबिर और मुखबर में उतना ही फ़र्क है जितना ज़ालिम और मज़लूम या क़ातिल और मकतूल में है </p>
<p>ये अरबी की मशहूर डिक्शनरी अल-मआनी के ऑनलाइन संस्करण का लिंक है…</p>
<p>जनाब तस्दीक़ साहब मुखबर और मुखबिर दोनों ही अरबी के लफ्ज़ हैं </p>
<p>मुखबिर 'फ़ाइल' है जो कि मुफ़इल के वज़न पर है ( खबर देने वाला ,जैसे मुजरिम= जुर्म करने वाला , मुस्लिम= इस्लाम लाने वाला ) </p>
<p>मुखबर 'मफ़ऊल' है जो कि मुफ़अल के वज़न पर है ( जिसको खबर दी गई हो ,जैसे मुकर्रम= जिसकी तकरीम की गई हो मुफ़स्सल= जिसकी तफ़सील बयान की गई हो ) , मुखबिर और मुखबर में उतना ही फ़र्क है जितना ज़ालिम और मज़लूम या क़ातिल और मकतूल में है </p>
<p>ये अरबी की मशहूर डिक्शनरी अल-मआनी के ऑनलाइन संस्करण का लिंक है तस्दीक़ कर लें , शुक्रिया</p>
<p></p>
<p> <a href="http://www.almaany.com/ar/dict/ar-ar/%D9%85%D8%AE%D8%A8%D8%B1/" target="_blank">http://www.almaany.com/ar/dict/ar-ar/%D9%85%D8%AE%D8%A8%D8%B1/</a></p> आदरणीय तस्दीक जी, बहुत बढ़िया…tag:openbooks.ning.com,2016-02-03:5170231:Comment:7379542016-02-03T18:40:05.562Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय तस्दीक जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने.... शेर-दर-शेर दाद-ओ-मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर </p>
<p>आदरणीय तस्दीक जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने.... शेर-दर-शेर दाद-ओ-मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर </p> मोहतरमा प्राची सिंह साहिबा …tag:openbooks.ning.com,2016-02-03:5170231:Comment:7376952016-02-03T14:20:31.917ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मोहतरमा प्राची सिंह साहिबा , हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी</p>
<p>मोहतरमा प्राची सिंह साहिबा , हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी</p> जनाब लक्ष्मण धामी साहिब , ह…tag:openbooks.ning.com,2016-02-03:5170231:Comment:7379432016-02-03T14:18:48.680ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब लक्ष्मण धामी साहिब , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी</p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी साहिब , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी</p> मोहतरम जनाब तेजवीर साहिब , ह…tag:openbooks.ning.com,2016-02-03:5170231:Comment:7379422016-02-03T14:17:53.035ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मोहतरम जनाब तेजवीर साहिब , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी</p>
<p>मोहतरम जनाब तेजवीर साहिब , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी</p> ज़ुल्म ने जब भी ज़माने में उठाय…tag:openbooks.ning.com,2016-02-03:5170231:Comment:7376812016-02-03T10:01:24.258ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>ज़ुल्म ने जब भी ज़माने में उठाया है सर</p>
<p>लेके ख़ुद्दार क़लम अपना सुख़नवर निकला.... वाह </p>
<p></p>
<p>सुन्दर ग़ज़ल हुई है </p>
<p>हार्दिक बधाई </p>
<p>ज़ुल्म ने जब भी ज़माने में उठाया है सर</p>
<p>लेके ख़ुद्दार क़लम अपना सुख़नवर निकला.... वाह </p>
<p></p>
<p>सुन्दर ग़ज़ल हुई है </p>
<p>हार्दिक बधाई </p> हार्दिक बधाई आदरणीय तसदीक अहम…tag:openbooks.ning.com,2016-02-03:5170231:Comment:7379222016-02-03T07:13:07.947ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय तसदीक अहमद खान साहब जी!बेहतरीन गज़ल!</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय तसदीक अहमद खान साहब जी!बेहतरीन गज़ल!</p>