Comments - पेट की जुगाड़ (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी (47) - Open Books Online2024-03-28T17:01:39Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A726516&xn_auth=noरचना पटल पर उपस्थित हो कर हौस…tag:openbooks.ning.com,2017-04-08:5170231:Comment:8480442017-04-08T01:08:12.213ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
रचना पटल पर उपस्थित हो कर हौसला अफ़ज़ाई हेतु सभी पाठकगण को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
रचना पटल पर उपस्थित हो कर हौसला अफ़ज़ाई हेतु सभी पाठकगण को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया। जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब…tag:openbooks.ning.com,2015-12-29:5170231:Comment:7270702015-12-29T15:06:46.159ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब , वाक़ई पेट इंसान से कुछ भी करवा सकता है। ...... बेहतर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं</p>
<p>जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब , वाक़ई पेट इंसान से कुछ भी करवा सकता है। ...... बेहतर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं</p> आ० उस्माने जी --------बहुत कर…tag:openbooks.ning.com,2015-12-29:5170231:Comment:7273422015-12-29T07:02:20.859Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० उस्माने जी --------बहुत करीने सीप्नी बात राखी आपने , बधाई हो जनाब. </p>
<p>आ० उस्माने जी --------बहुत करीने सीप्नी बात राखी आपने , बधाई हो जनाब. </p> मेरी रचना पर उपस्थित हो कर प्…tag:openbooks.ning.com,2015-12-28:5170231:Comment:7270482015-12-28T16:47:05.325ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मेरी रचना पर उपस्थित हो कर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी ।
मेरी रचना पर उपस्थित हो कर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी । अपना अमूल्य समय देकर रचना पर…tag:openbooks.ning.com,2015-12-28:5170231:Comment:7273342015-12-28T16:45:41.978ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
अपना अमूल्य समय देकर रचना पर प्रोत्साहक टिप्पणी करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी। अपने टिप्पणी में 'कहानी' शब्द लिखा , क्या यह लघु-कथा नहीं हो पाई है ?
अपना अमूल्य समय देकर रचना पर प्रोत्साहक टिप्पणी करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी। अपने टिप्पणी में 'कहानी' शब्द लिखा , क्या यह लघु-कथा नहीं हो पाई है ? मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थि…tag:openbooks.ning.com,2015-12-28:5170231:Comment:7270462015-12-28T16:42:48.527ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर रचना की सराहना करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सतविंदर कुमार जी ।
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर रचना की सराहना करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सतविंदर कुमार जी । आदरणीय उस्मानी जी ..वाकई पेट…tag:openbooks.ning.com,2015-12-28:5170231:Comment:7270342015-12-28T14:06:49.114ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय उस्मानी जी ..वाकई पेट की भूख को शांत करने के लिए क्यां क्या नहीं करना पड़ता है ..मजबूरी क्या होती है इसका अच्छा चित्रण किया है आपने ..इस रचना पर हार्दिक बधाई सादर </p>
<p>आदरणीय उस्मानी जी ..वाकई पेट की भूख को शांत करने के लिए क्यां क्या नहीं करना पड़ता है ..मजबूरी क्या होती है इसका अच्छा चित्रण किया है आपने ..इस रचना पर हार्दिक बधाई सादर </p> अच्छी कहानी एक अलग ही विषय पर…tag:openbooks.ning.com,2015-12-28:5170231:Comment:7271162015-12-28T13:50:17.774Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>अच्छी कहानी एक अलग ही विषय पर. पेट की आग क्या नहीं करवाती |बहुत बहुत बधाई आ० शेख़ उस्मानी जी .</p>
<p>अच्छी कहानी एक अलग ही विषय पर. पेट की आग क्या नहीं करवाती |बहुत बहुत बधाई आ० शेख़ उस्मानी जी .</p> लाचारी एक विडम्बना है।शिक्षा…tag:openbooks.ning.com,2015-12-28:5170231:Comment:7267962015-12-28T07:23:44.044Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
लाचारी एक विडम्बना है।शिक्षा पर भी धन हावी है।सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय उस्मानी जी।
लाचारी एक विडम्बना है।शिक्षा पर भी धन हावी है।सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय उस्मानी जी।