Comments - वादे इरादे (लघुकथा) / शेख़ शहज़ाद उस्मानी (46) - Open Books Online2024-03-28T15:35:23Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A725526&xn_auth=noइस रचना पटल पर समय देने हेतु…tag:openbooks.ning.com,2017-04-08:5170231:Comment:8477982017-04-08T00:55:06.423ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
इस रचना पटल पर समय देने हेतु सभी पाठकगण को सादर हार्दिक धन्यवाद।
इस रचना पटल पर समय देने हेतु सभी पाठकगण को सादर हार्दिक धन्यवाद। मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थि…tag:openbooks.ning.com,2016-01-12:5170231:Comment:7319302016-01-12T05:18:53.277ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर समीक्षात्मक टिप्पणी करने व मुझे प्रोत्साहित करने के लिए तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी व आदरणीय सतविंदर कुमार जी।
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर समीक्षात्मक टिप्पणी करने व मुझे प्रोत्साहित करने के लिए तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी व आदरणीय सतविंदर कुमार जी। आज कल के रिश्ते भावनाओं पर नह…tag:openbooks.ning.com,2015-12-28:5170231:Comment:7267922015-12-28T05:36:13.802Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आज कल के रिश्ते भावनाओं पर नहीं टिकते प्रेक्टिकल पर ज्यादा हो गए हैं वो पहले की प्रेम कहानियाँ होती थी जिसमे धर्म वर्ण अर्थ की कोई बंदिश न होकर बस रिश्ते जबान भर से टिके होते थे यथार्थ को दिखाती यह एक सफल लघु कथा है बहुत- बहुत बधाई आ० शेख़ उस्मानी जी |</p>
<p>आज कल के रिश्ते भावनाओं पर नहीं टिकते प्रेक्टिकल पर ज्यादा हो गए हैं वो पहले की प्रेम कहानियाँ होती थी जिसमे धर्म वर्ण अर्थ की कोई बंदिश न होकर बस रिश्ते जबान भर से टिके होते थे यथार्थ को दिखाती यह एक सफल लघु कथा है बहुत- बहुत बधाई आ० शेख़ उस्मानी जी |</p> सुंदर।आप सही कह रहे है आदरणीय…tag:openbooks.ning.com,2015-12-27:5170231:Comment:7268332015-12-27T14:26:08.474Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
सुंदर।आप सही कह रहे है आदरणीय शेख साहब।
सुंदर।आप सही कह रहे है आदरणीय शेख साहब। मैंने यह अनुभव किया है कि आसप…tag:openbooks.ning.com,2015-12-27:5170231:Comment:7269132015-12-27T14:01:45.341ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मैंने यह अनुभव किया है कि आसपास की सच्ची घटना पर आधारित 90% सच्चाई में 10% कल्पना और सार्थक सटीक संवाद का प्रयोग करके जो लघुकथा मैंने अभी तक रची, उसे बहुत पसंद किया गया व सराहा गया है। मेरी इस रचना पर अपना अमूल्य समय देकर सुंदर सटीक टिप्पणियों से मुझे प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया कान्ता राय जी, आदरणीया नीता कसार जी, आदरणीय सुशील सरना जी आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,आदरणीय मनन कुमार सिंह जी व आदरणीया राहिला जी ।
मैंने यह अनुभव किया है कि आसपास की सच्ची घटना पर आधारित 90% सच्चाई में 10% कल्पना और सार्थक सटीक संवाद का प्रयोग करके जो लघुकथा मैंने अभी तक रची, उसे बहुत पसंद किया गया व सराहा गया है। मेरी इस रचना पर अपना अमूल्य समय देकर सुंदर सटीक टिप्पणियों से मुझे प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया कान्ता राय जी, आदरणीया नीता कसार जी, आदरणीय सुशील सरना जी आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,आदरणीय मनन कुमार सिंह जी व आदरणीया राहिला जी । स्टेट्स के चिता में बलि चढ़ते…tag:openbooks.ning.com,2015-12-26:5170231:Comment:7264412015-12-26T07:26:47.108Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
<p><span>स्टेट्स के चिता में बलि चढ़ते रिश्ते अफ़सोस और कुछ नहीं ,सच ही कहते है महान दार्शनिक प्लेटो कि --प्रेम एक गंभीर मानसिक रोग है।</span><br/><span>सुन्दर लघुकथा हुई है आपकी आदरणीय शहज़ाद जी। बधाई !</span></p>
<p><span>स्टेट्स के चिता में बलि चढ़ते रिश्ते अफ़सोस और कुछ नहीं ,सच ही कहते है महान दार्शनिक प्लेटो कि --प्रेम एक गंभीर मानसिक रोग है।</span><br/><span>सुन्दर लघुकथा हुई है आपकी आदरणीय शहज़ाद जी। बधाई !</span></p> वादे निभाना हर एक के बस की बा…tag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7256782015-12-24T14:43:28.704ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>वादे निभाना हर एक के बस की बात नहीं !</p>
<p>इस पंच लाईन ने आदरणीय लघु कथा के मर्म को जीत लिया है। इस सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय उस्मानी साहिब।</p>
<p>वादे निभाना हर एक के बस की बात नहीं !</p>
<p>इस पंच लाईन ने आदरणीय लघु कथा के मर्म को जीत लिया है। इस सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय उस्मानी साहिब।</p> बढ़ियाtag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7257482015-12-24T06:23:06.799ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
बढ़िया
बढ़िया बहुत बाडबढिया उस्मान भाई,मुबा…tag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7257462015-12-24T06:22:28.463ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
बहुत बाडबढिया उस्मान भाई,मुबारक हो!
बहुत बाडबढिया उस्मान भाई,मुबारक हो! यह कथा मानसिकता की कई परतें ख…tag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7255702015-12-24T05:41:47.568Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>यह कथा मानसिकता की कई परतें खोलती है ...हार्दिक बधाई ...</p>
<p>यह कथा मानसिकता की कई परतें खोलती है ...हार्दिक बधाई ...</p>