Comments - गिरगिट (लघुकथा )राहिला - Open Books Online2024-03-29T15:20:41Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A725439&xn_auth=noबहुत आभार आदरणीय सर जी । सादर…tag:openbooks.ning.com,2016-02-24:5170231:Comment:7425942016-02-24T06:03:22.280ZRahilahttp://openbooks.ning.com/profile/Rahila
बहुत आभार आदरणीय सर जी । सादर धन्यवाद
बहुत आभार आदरणीय सर जी । सादर धन्यवाद बहुत खूबसूरत लघुकथा कही है, स…tag:openbooks.ning.com,2016-02-24:5170231:Comment:7425872016-02-24T05:12:10.692Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>बहुत खूबसूरत लघुकथा कही है, सही फरमाया है कि हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होतीI बहुत बहुत बधाई स्वीकर करें राहिला जीI </p>
<p>बहुत खूबसूरत लघुकथा कही है, सही फरमाया है कि हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होतीI बहुत बहुत बधाई स्वीकर करें राहिला जीI </p> हार्दिक आभार आदरणीय सतविन्दर…tag:openbooks.ning.com,2015-12-28:5170231:Comment:7267032015-12-28T05:03:53.403ZRahilahttp://openbooks.ning.com/profile/Rahila
हार्दिक आभार आदरणीय सतविन्दर जी! बहुत खुशी हुई कि रचना आपका ध्यान आकर्षित कर पाई । बहुत शुक्रिया तारीफ का । सादर
हार्दिक आभार आदरणीय सतविन्दर जी! बहुत खुशी हुई कि रचना आपका ध्यान आकर्षित कर पाई । बहुत शुक्रिया तारीफ का । सादर वह्ह्ह्ह्ह्।बेहतरीन भावपूर्ण…tag:openbooks.ning.com,2015-12-28:5170231:Comment:7267792015-12-28T03:00:05.056Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
वह्ह्ह्ह्ह्।बेहतरीन भावपूर्ण रचना।हार्दिक बधाई
वह्ह्ह्ह्ह्।बेहतरीन भावपूर्ण रचना।हार्दिक बधाई आदरणीय डा.आशुतोष सर जी!जीवन म…tag:openbooks.ning.com,2015-12-27:5170231:Comment:7268492015-12-27T16:14:38.406ZRahilahttp://openbooks.ning.com/profile/Rahila
आदरणीय डा.आशुतोष सर जी!जीवन में जो चीज बहुत करीब से देखने को मिलती है तो विषय का चुनाव अक्सर उम्दा हो जाता है । दुनिया दोगले लोगों से भरी पड़ी है । आपने रचना का मर्म समझा ,बहुत आभार आपका ।सादर
आदरणीय डा.आशुतोष सर जी!जीवन में जो चीज बहुत करीब से देखने को मिलती है तो विषय का चुनाव अक्सर उम्दा हो जाता है । दुनिया दोगले लोगों से भरी पड़ी है । आपने रचना का मर्म समझा ,बहुत आभार आपका ।सादर आदरणीय सुशील सर जी !बहुत शुक्…tag:openbooks.ning.com,2015-12-27:5170231:Comment:7267752015-12-27T16:06:09.838ZRahilahttp://openbooks.ning.com/profile/Rahila
आदरणीय सुशील सर जी !बहुत शुक्रिया रचना को वक्त देने और समीक्षा करने के लिये ।बहुत आभार । सादर
आदरणीय सुशील सर जी !बहुत शुक्रिया रचना को वक्त देने और समीक्षा करने के लिये ।बहुत आभार । सादर बहुत शुक्रिया आदरणीया नीता दी…tag:openbooks.ning.com,2015-12-27:5170231:Comment:7267742015-12-27T16:03:20.316ZRahilahttp://openbooks.ning.com/profile/Rahila
बहुत शुक्रिया आदरणीया नीता दी!आपने रचना को अपना कीमती वक्त दिया, सराहा मेरा लिखना सफल हुआ । सादर
बहुत शुक्रिया आदरणीया नीता दी!आपने रचना को अपना कीमती वक्त दिया, सराहा मेरा लिखना सफल हुआ । सादर आदरणीया राहिला जी ..बहुत सुंद…tag:openbooks.ning.com,2015-12-27:5170231:Comment:7268472015-12-27T16:01:44.809ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीया राहिला जी ..बहुत सुंदर लघु कथा ..सच में दूर के ढोल बड़े सुहाबने लगते हैं आदमी बाहर जब समाज में मिलता है तो बनावटी हो जाता है ..अच्छा बिषय चुना है ..सार्थक लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई सादर</p>
<p>आदरणीया राहिला जी ..बहुत सुंदर लघु कथा ..सच में दूर के ढोल बड़े सुहाबने लगते हैं आदमी बाहर जब समाज में मिलता है तो बनावटी हो जाता है ..अच्छा बिषय चुना है ..सार्थक लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई सादर</p> आदरणीया राजेश कुमारी जी! आपको…tag:openbooks.ning.com,2015-12-27:5170231:Comment:7269222015-12-27T16:00:31.043ZRahilahttp://openbooks.ning.com/profile/Rahila
आदरणीया राजेश कुमारी जी! आपको शीर्षक प्रभावशाली लगा, मेरे लिये ये ही बहुत है । आपकी टिप्पणी मेरे लिये बहुत मायने रखती है । दिल से शुक्रिया आपका । सादर
आदरणीया राजेश कुमारी जी! आपको शीर्षक प्रभावशाली लगा, मेरे लिये ये ही बहुत है । आपकी टिप्पणी मेरे लिये बहुत मायने रखती है । दिल से शुक्रिया आपका । सादर प्रिय जानकी दी आपके बगैर तो र…tag:openbooks.ning.com,2015-12-27:5170231:Comment:7268462015-12-27T15:57:06.082ZRahilahttp://openbooks.ning.com/profile/Rahila
प्रिय जानकी दी आपके बगैर तो रचना की सार्थकता पर ही शक होने लगता है । आपकी उपस्थिति एहसास कराती है कि लिखना सफल हुआ ।
प्रिय जानकी दी आपके बगैर तो रचना की सार्थकता पर ही शक होने लगता है । आपकी उपस्थिति एहसास कराती है कि लिखना सफल हुआ ।