Comments - कुछ छन्नपकैया सारछन्द (एक प्रयास) - Open Books Online2024-03-28T17:12:36Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A725411&xn_auth=noजनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब,अ…tag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7256702015-12-24T11:28:41.474ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब,अब मैं पूरी बात समझ गया,आगे से ध्यान रखूंगा,मार्गदर्शन के लिये भू<br />
बहुत बहुत धन्यवाद |
जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब,अब मैं पूरी बात समझ गया,आगे से ध्यान रखूंगा,मार्गदर्शन के लिये भू<br />
बहुत बहुत धन्यवाद | आदरणीय समर कबीर जी, मैं सार छ…tag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7256692015-12-24T09:21:19.827Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
आदरणीय समर कबीर जी, मैं सार छंद के चरणान्त के सम्बन्ध में निवेदन कर रहा था। पदों के किसी चरणान्त में तगण (ऽऽ।, २२१), रगण (ऽ।ऽ, २१२), जगण (।ऽ।, १२१) का निर्माण नहीं होना चाहिए। सादर
आदरणीय समर कबीर जी, मैं सार छंद के चरणान्त के सम्बन्ध में निवेदन कर रहा था। पदों के किसी चरणान्त में तगण (ऽऽ।, २२१), रगण (ऽ।ऽ, २१२), जगण (।ऽ।, १२१) का निर्माण नहीं होना चाहिए। सादर जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,"…tag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7255892015-12-24T08:56:55.523ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,"प्रभु"की मैं चार मात्रा गिन रहा था,इस कारण ये भूल हुई,आइन्दा ध्यान रखूँगा,एक बात ये कि "ईश्वर"या "इश्वर"क्योंकि ईश्वर मैं पांच मात्रा हैं या चार,पुनः मार्गदर्शन करें,एक बार फिर आपको धन्यवाद,स्नेह बनाए रखयेगा |
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,"प्रभु"की मैं चार मात्रा गिन रहा था,इस कारण ये भूल हुई,आइन्दा ध्यान रखूँगा,एक बात ये कि "ईश्वर"या "इश्वर"क्योंकि ईश्वर मैं पांच मात्रा हैं या चार,पुनः मार्गदर्शन करें,एक बार फिर आपको धन्यवाद,स्नेह बनाए रखयेगा | आदरनीय समर भाई , प्रभु की मात…tag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7255842015-12-24T06:48:29.917Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरनीय समर भाई , प्रभु की मात्रा 2 होती है , इस लिहाज से पद मे , </p>
<p>प्रभू की है माया -- 2 मात्रा कम है , अतः आप इसे -- <strong>ईश्वर की है माया</strong> -- किया जा सकता है ।</p>
<p>नाखून और कानून की तुकांतता सही है , ब स अगर व्यंजन भी लिल जाये तो उस तुकांतता को सबसे अच्छा माना जाता है , लेकिन ये गलत नही है । अगर मिथिलेश भाई जी का इशारा और कुछ है तो वही बता सकते हैं ।</p>
<p>आदरनीय समर भाई , प्रभु की मात्रा 2 होती है , इस लिहाज से पद मे , </p>
<p>प्रभू की है माया -- 2 मात्रा कम है , अतः आप इसे -- <strong>ईश्वर की है माया</strong> -- किया जा सकता है ।</p>
<p>नाखून और कानून की तुकांतता सही है , ब स अगर व्यंजन भी लिल जाये तो उस तुकांतता को सबसे अच्छा माना जाता है , लेकिन ये गलत नही है । अगर मिथिलेश भाई जी का इशारा और कुछ है तो वही बता सकते हैं ।</p> जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब ,…tag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7257492015-12-24T06:24:42.136ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब , ये सब आपकी और जनाब सौरभ पांडे जी की हौसला अफ़ज़ाई का ही नतीजा है , और इसका श्रेय मैं आप दोनों को ही देना चाहूँगा , जनाब मिथिलेश जी की बात पूरी तरह मेरी समझ में नहीं आसकी उनसे पुनः समझाने का आग्रह किया है , आपसे भी निवेदन है कि इस बारे में कहाँ मुझसे त्रुटि हुई है मुझे ज़रूर बताएँ,रचना की सराहना , मार्गदर्शन के लिए आपका तहे दिल से धन्यवाद ।
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब , ये सब आपकी और जनाब सौरभ पांडे जी की हौसला अफ़ज़ाई का ही नतीजा है , और इसका श्रेय मैं आप दोनों को ही देना चाहूँगा , जनाब मिथिलेश जी की बात पूरी तरह मेरी समझ में नहीं आसकी उनसे पुनः समझाने का आग्रह किया है , आपसे भी निवेदन है कि इस बारे में कहाँ मुझसे त्रुटि हुई है मुझे ज़रूर बताएँ,रचना की सराहना , मार्गदर्शन के लिए आपका तहे दिल से धन्यवाद । जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,अन्…tag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7256612015-12-24T06:15:53.252ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,अन्यथा लेने की क्या बात है,अभी तो आप से बहुत कुछ सीखना है,रचना की सराहना के लिए दिल से धन्यवाद |
जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,अन्यथा लेने की क्या बात है,अभी तो आप से बहुत कुछ सीखना है,रचना की सराहना के लिए दिल से धन्यवाद | जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब,ह…tag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7256582015-12-24T05:50:27.833ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब,हौसला अफ़ज़ाई और मार्ग दर्शन के लिए दिल से शुक्रिया,"प्रभु"की मात्र दो हैं या तीन ?"नाखून"और "क़ानून"में तुकान्त ता नहीं है क्या,बराह_ए_करम तफ़सील से बताने का कष्ट करें ताकी आगे ग़लती न हो |
जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब,हौसला अफ़ज़ाई और मार्ग दर्शन के लिए दिल से शुक्रिया,"प्रभु"की मात्र दो हैं या तीन ?"नाखून"और "क़ानून"में तुकान्त ता नहीं है क्या,बराह_ए_करम तफ़सील से बताने का कष्ट करें ताकी आगे ग़लती न हो | आदरणीय समर भाई , छंद रचना मे…tag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7257432015-12-24T05:44:58.240Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय समर भाई , छंद रचना मे आपने बड़ा ही धमाकेदार प्रवेश किया है , सफल प्रथम प्रयास के लिये हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें । आदरणीय मिथिलेश भाई जी बातों का खयाल कीजियेगा ।</p>
<p>आदरणीय समर भाई , छंद रचना मे आपने बड़ा ही धमाकेदार प्रवेश किया है , सफल प्रथम प्रयास के लिये हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें । आदरणीय मिथिलेश भाई जी बातों का खयाल कीजियेगा ।</p> बहना राजेश कुमारी जी आदाब,ये…tag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7254882015-12-24T05:36:23.733ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,ये सब जनाब गिरिराज भंडारी जी और जनाब सौरभ पांडे जी की हौसला अफजाई का नतीजा है,छन्द आपको पसन्द आगये मेरा लिखना सार्थक हुआ,दिल से शुक्रिया,मार्गदर्शन अपेक्षित है|
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,ये सब जनाब गिरिराज भंडारी जी और जनाब सौरभ पांडे जी की हौसला अफजाई का नतीजा है,छन्द आपको पसन्द आगये मेरा लिखना सार्थक हुआ,दिल से शुक्रिया,मार्गदर्शन अपेक्षित है| जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,मेरी क…tag:openbooks.ning.com,2015-12-24:5170231:Comment:7254842015-12-24T05:25:19.665ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,मेरी कोशिश आपको पसन्द आई लिखना सफल हुआ,हौसला अफ़ज़ाई का दिल से शुक्रिया मार्गदर्शन अपेक्षित है|
जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,मेरी कोशिश आपको पसन्द आई लिखना सफल हुआ,हौसला अफ़ज़ाई का दिल से शुक्रिया मार्गदर्शन अपेक्षित है|