Comments - धर्म-कर्म उत्क्रम (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी (38) - Open Books Online2024-03-28T18:48:08Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A717696&xn_auth=noमेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय दे…tag:openbooks.ning.com,2017-04-07:5170231:Comment:8479812017-04-07T23:45:24.853ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने हेतु सभी पाठकगण को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने हेतु सभी पाठकगण को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया। मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय दे…tag:openbooks.ning.com,2017-04-07:5170231:Comment:8477942017-04-07T23:45:11.333ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने हेतु सभी पाठकगण को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने हेतु सभी पाठकगण को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया। मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय दे…tag:openbooks.ning.com,2017-04-07:5170231:Comment:8477932017-04-07T23:40:38.325ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय पाठकगण।
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय पाठकगण। मेरी रचना पर उपस्थित हो कर प्…tag:openbooks.ning.com,2015-12-16:5170231:Comment:7239472015-12-16T11:30:26.133ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मेरी रचना पर उपस्थित हो कर प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।
मेरी रचना पर उपस्थित हो कर प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। वाह भाई उस्मानीजी! बेहद हृदयग…tag:openbooks.ning.com,2015-12-01:5170231:Comment:7206172015-12-01T15:17:04.801ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
वाह भाई उस्मानीजी! बेहद हृदयग्राही अवधारणा!
वाह भाई उस्मानीजी! बेहद हृदयग्राही अवधारणा! खुशनसीबी है मेरी कि मेरे बारे…tag:openbooks.ning.com,2015-12-01:5170231:Comment:7202962015-12-01T06:25:31.794ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
खुशनसीबी है मेरी कि मेरे बारे में चिंतन करके, बहुत ही भिन्न टिप्पणी के ज़रिये पहली बार आपने मुझसे ये बातें कह कर मुझे एक राह दिखाई है। आपकी राय पर पूरा अमल करने की कोशिश करूँगा। तहे दिल बहुत बहुत शुक्रिया मेरी रचना पर उपस्थित हो कर हौसला बढ़ाने के लिए व राह दिखाने के लिए आदरणीय प्रदीप नील जी।
खुशनसीबी है मेरी कि मेरे बारे में चिंतन करके, बहुत ही भिन्न टिप्पणी के ज़रिये पहली बार आपने मुझसे ये बातें कह कर मुझे एक राह दिखाई है। आपकी राय पर पूरा अमल करने की कोशिश करूँगा। तहे दिल बहुत बहुत शुक्रिया मेरी रचना पर उपस्थित हो कर हौसला बढ़ाने के लिए व राह दिखाने के लिए आदरणीय प्रदीप नील जी। अज़ीज़ शेख भाई , आपकी हर रचना प…tag:openbooks.ning.com,2015-11-30:5170231:Comment:7203342015-11-30T16:00:05.683Zप्रदीप नील वसिष्ठhttp://openbooks.ning.com/profile/3ugsdsv98puvv
<p>अज़ीज़ शेख भाई , आपकी हर रचना पर टिप्पणी न दे कर इतना कहूँगा <br></br>आपकी रचनाएँ पढ़ कर महसूस होता है -आप के पास कहने को बहुत कुछ है मगर ढंग से कह नहीं पाते। यह बात आपको तकलीफ भी देती होगी मगर इसका हल भी आप ही को खोजना होगा कि क्या लिखूं। लेकिन उससे ज़्यादा ज़रूरी यह सीखें कि क्या न लिखें । <br></br>आप शुद्ध हिंदी प्रयोग करते हैं। इसमे कुछ उर्दू आने दें। यह मिश्रण हिंदुस्तान की भाषा है। <br></br>और हाँ , कुछ दिन शरत चन्द्र चटर्जी को पढ़िए। सिर्फ पढ़िए। लिखिए मत। बहुत उम्र पड़ी है लिखने को। पढ़िए फिर आपको किसी…</p>
<p>अज़ीज़ शेख भाई , आपकी हर रचना पर टिप्पणी न दे कर इतना कहूँगा <br/>आपकी रचनाएँ पढ़ कर महसूस होता है -आप के पास कहने को बहुत कुछ है मगर ढंग से कह नहीं पाते। यह बात आपको तकलीफ भी देती होगी मगर इसका हल भी आप ही को खोजना होगा कि क्या लिखूं। लेकिन उससे ज़्यादा ज़रूरी यह सीखें कि क्या न लिखें । <br/>आप शुद्ध हिंदी प्रयोग करते हैं। इसमे कुछ उर्दू आने दें। यह मिश्रण हिंदुस्तान की भाषा है। <br/>और हाँ , कुछ दिन शरत चन्द्र चटर्जी को पढ़िए। सिर्फ पढ़िए। लिखिए मत। बहुत उम्र पड़ी है लिखने को। पढ़िए फिर आपको किसी से पूछना नहीं पड़ेगा --कैसे लिखूं ?<br/>खुश रहें</p> आदरणीय दिग्विजय जी रचना के अव…tag:openbooks.ning.com,2015-11-28:5170231:Comment:7185572015-11-28T21:04:03.526ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
आदरणीय दिग्विजय जी रचना के अवलोकन तथा टिप्पणी करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। विनम्र निवेदन है कि कृपया एक बार पुनः पढ़कर कमियों को विस्तार से बताईयेगा।
आदरणीय दिग्विजय जी रचना के अवलोकन तथा टिप्पणी करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। विनम्र निवेदन है कि कृपया एक बार पुनः पढ़कर कमियों को विस्तार से बताईयेगा। रचना पर उपस्थित हो कर सराहना…tag:openbooks.ning.com,2015-11-28:5170231:Comment:7186402015-11-28T21:00:35.970ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
रचना पर उपस्थित हो कर सराहना और प्रोत्साहन हेतु हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय तेज वीर सिंह जी व आदरणीय सतविंदर कुमार जी।
रचना पर उपस्थित हो कर सराहना और प्रोत्साहन हेतु हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय तेज वीर सिंह जी व आदरणीय सतविंदर कुमार जी। हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मा…tag:openbooks.ning.com,2015-11-28:5170231:Comment:7184502015-11-28T14:20:07.567ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी!बहुत सुन्दर प्रस्तुति!</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी!बहुत सुन्दर प्रस्तुति!</p>