Comments - 'संबोधन' (लघु कथा 'राज') - Open Books Online2024-03-28T19:35:01Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A717558&xn_auth=noआ० विजय निकोर जी, मैं आज खुद…tag:openbooks.ning.com,2015-12-18:5170231:Comment:7242772015-12-18T04:14:32.147Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आ० विजय निकोर जी, मैं आज खुद ओबीओ पर पन्द्रह दिन बाद लौटी हूँ आपने लघु कथा को सराहा आपका हार्दिक आभार| </p>
<p>आ० विजय निकोर जी, मैं आज खुद ओबीओ पर पन्द्रह दिन बाद लौटी हूँ आपने लघु कथा को सराहा आपका हार्दिक आभार| </p> बहुत देर के बाद ओ बी ओ पर आ प…tag:openbooks.ning.com,2015-12-16:5170231:Comment:7239452015-12-16T10:00:56.074Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>बहुत देर के बाद ओ बी ओ पर आ पाया हूँ, और यह भावपूर्ण लघु कथा पढ़ कर आनन्द आया। हार्दिक बधाई, आदरणीया राजेश जी।</p>
<p>बहुत देर के बाद ओ बी ओ पर आ पाया हूँ, और यह भावपूर्ण लघु कथा पढ़ कर आनन्द आया। हार्दिक बधाई, आदरणीया राजेश जी।</p> आ० कांता रॉय जी,आपको ये लघु क…tag:openbooks.ning.com,2015-12-03:5170231:Comment:7210492015-12-03T06:35:43.526Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आ० कांता रॉय जी,आपको ये लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत- बहुत आभार आपका | </p>
<p>आ० कांता रॉय जी,आपको ये लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत- बहुत आभार आपका | </p> पुर्वाग्रह से ग्रसित मन , नही…tag:openbooks.ning.com,2015-12-01:5170231:Comment:7205142015-12-01T05:29:31.236Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
पुर्वाग्रह से ग्रसित मन , नहीं समझ पाता है सच्चे सम्बोधन का अर्थ , बेटी ,बहन कहने वाले और उस भावनाओं को समझने वालों में बहुत फर्क हुआ करता है ।<br />
दुविधाओं का अंत परिणाम से साक्षात् होने में ही हुआ करता है । बधाई आपको इस संवेदनशील लघुकथा के लिए आदरणीया राजेश कुमारी जी ।
पुर्वाग्रह से ग्रसित मन , नहीं समझ पाता है सच्चे सम्बोधन का अर्थ , बेटी ,बहन कहने वाले और उस भावनाओं को समझने वालों में बहुत फर्क हुआ करता है ।<br />
दुविधाओं का अंत परिणाम से साक्षात् होने में ही हुआ करता है । बधाई आपको इस संवेदनशील लघुकथा के लिए आदरणीया राजेश कुमारी जी । आ० तेजवीर सिंह जी, आपको ये लघ…tag:openbooks.ning.com,2015-11-29:5170231:Comment:7186882015-11-29T05:40:24.905Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आ० तेजवीर सिंह जी, आपको ये लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका |</p>
<p>आ० तेजवीर सिंह जी, आपको ये लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका |</p> हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश जी!…tag:openbooks.ning.com,2015-11-28:5170231:Comment:7182052015-11-28T14:26:01.431ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश जी!बेहतरीन लघुकथा! बहुत सुन्दर प्रस्तुति!</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश जी!बेहतरीन लघुकथा! बहुत सुन्दर प्रस्तुति!</p> आ० सतविंदर जी आपको कहानी पसंद…tag:openbooks.ning.com,2015-11-28:5170231:Comment:7183672015-11-28T13:06:55.483Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आ० सतविंदर जी आपको कहानी पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया |</p>
<p>आ० सतविंदर जी आपको कहानी पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया |</p> बहुत ख़ूब।बेहद भावपूर्ण लघुकथा…tag:openbooks.ning.com,2015-11-28:5170231:Comment:7182142015-11-28T00:58:48.636Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
बहुत ख़ूब।बेहद भावपूर्ण लघुकथा।बधाई आदरणीया
बहुत ख़ूब।बेहद भावपूर्ण लघुकथा।बधाई आदरणीया बहुत- बहुत आभार सुनील वर्मा ज…tag:openbooks.ning.com,2015-11-26:5170231:Comment:7174612015-11-26T06:48:10.081Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>बहुत- बहुत आभार सुनील वर्मा जी </p>
<p>बहुत- बहुत आभार सुनील वर्मा जी </p>