Comments - फिसली फसल - Open Books Online2024-03-29T09:18:26Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A711774&xn_auth=noउफ्फ्फ बहुत मार्मिक कथा लिखी…tag:openbooks.ning.com,2015-11-05:5170231:Comment:7132902015-11-05T15:12:50.306Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>उफ्फ्फ बहुत मार्मिक कथा लिखी है आपने .स्त्री जीवन काँटों पर ही चलता आया चलता रहेगा ...सूरज रहने तक ..हार्दिक बधाई आपको आशा जी .</p>
<p>उफ्फ्फ बहुत मार्मिक कथा लिखी है आपने .स्त्री जीवन काँटों पर ही चलता आया चलता रहेगा ...सूरज रहने तक ..हार्दिक बधाई आपको आशा जी .</p> बहुत-बहुत् धन्यवाद आद० मिथलेश…tag:openbooks.ning.com,2015-11-05:5170231:Comment:7129772015-11-05T07:01:50.954Zasha jugranhttp://openbooks.ning.com/profile/ashajugran
<p>बहुत-बहुत् धन्यवाद आद० मिथलेश वामनकर जी,आद०तेजवीर सिंह जी और आद० प्रतिभा जी ,रचना पर प्रतिक्रिया देने के लिए आभार </p>
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<p>बहुत-बहुत् धन्यवाद आद० मिथलेश वामनकर जी,आद०तेजवीर सिंह जी और आद० प्रतिभा जी ,रचना पर प्रतिक्रिया देने के लिए आभार </p>
<p></p> बेहतरीन लघु कथा हुई है ,हार्द…tag:openbooks.ning.com,2015-11-02:5170231:Comment:7121052015-11-02T12:18:01.930Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>बेहतरीन लघु कथा हुई है ,हार्दिक बधाई आपको आदरणीया आशा जी </p>
<p>बेहतरीन लघु कथा हुई है ,हार्दिक बधाई आपको आदरणीया आशा जी </p> हार्दिक बधाई आदरणीय आशा जुगरा…tag:openbooks.ning.com,2015-11-02:5170231:Comment:7121902015-11-02T04:35:19.527ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय आशा जुगरान जी!बेहतरीन और सशक्त प्रस्तुति!</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय आशा जुगरान जी!बेहतरीन और सशक्त प्रस्तुति!</p> आदरणीया आशा जी प्रतिको के माध…tag:openbooks.ning.com,2015-11-01:5170231:Comment:7121672015-11-01T16:21:53.751Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीया आशा जी प्रतिको के माध्यम से आपने नारी जीवन के भूत वर्मन और भविष्य को साकार कर दिया. शानदार प्रस्तुति. हार्दिक बधाई </p>
<p>आदरणीया आशा जी प्रतिको के माध्यम से आपने नारी जीवन के भूत वर्मन और भविष्य को साकार कर दिया. शानदार प्रस्तुति. हार्दिक बधाई </p> कथा को बारीकी से विश्लेषित कर…tag:openbooks.ning.com,2015-11-01:5170231:Comment:7119812015-11-01T15:43:04.778Zasha jugranhttp://openbooks.ning.com/profile/ashajugran
<p>कथा को बारीकी से विश्लेषित करने के लिए आभार,शेख शहजाद उस्मानी जी.</p>
<p>कथा को बारीकी से विश्लेषित करने के लिए आभार,शेख शहजाद उस्मानी जी.</p> बहुत-बहुत धन्यवाद शिज्जू शकूर…tag:openbooks.ning.com,2015-11-01:5170231:Comment:7118982015-11-01T15:40:15.443Zasha jugranhttp://openbooks.ning.com/profile/ashajugran
<p>बहुत-बहुत धन्यवाद शिज्जू शकूर जी.</p>
<p>बहुत-बहुत धन्यवाद शिज्जू शकूर जी.</p> आपने कथा को बिल्कुल सही पकड़ा…tag:openbooks.ning.com,2015-11-01:5170231:Comment:7119802015-11-01T15:39:11.357Zasha jugranhttp://openbooks.ning.com/profile/ashajugran
<p>आपने कथा को बिल्कुल सही पकड़ा है,सविता जी .सुन्दर व्याख्या के लिए आभार </p>
<p>आपने कथा को बिल्कुल सही पकड़ा है,सविता जी .सुन्दर व्याख्या के लिए आभार </p> बहुत सुंदर शिल्प में प्रतीकों…tag:openbooks.ning.com,2015-11-01:5170231:Comment:7119782015-11-01T14:41:00.867ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
बहुत सुंदर शिल्प में प्रतीकों के माध्यम से नारी जीवन के विभिन्न पड़ावों के कड़वे अनुभव चित्रित कर उत्कृष्ट लघु कथा का सृजन हुआ है । हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया आशा जुगरान जी।
बहुत सुंदर शिल्प में प्रतीकों के माध्यम से नारी जीवन के विभिन्न पड़ावों के कड़वे अनुभव चित्रित कर उत्कृष्ट लघु कथा का सृजन हुआ है । हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया आशा जुगरान जी। बहुत बढ़िया अति आधुनिकता के वि…tag:openbooks.ning.com,2015-11-01:5170231:Comment:7118912015-11-01T14:18:08.233Zशिज्जु "शकूर"http://openbooks.ning.com/profile/ShijjuS
बहुत बढ़िया अति आधुनिकता के विकृत स्वरूप को खूब शब्द दिया है आपने
बहुत बढ़िया अति आधुनिकता के विकृत स्वरूप को खूब शब्द दिया है आपने