Comments - ~बोल ~ - Open Books Online2024-03-29T10:06:13Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A707876&xn_auth=noआभार आपका आदरणीया | सादर _/\_tag:openbooks.ning.com,2015-10-29:5170231:Comment:7102132015-10-29T14:34:15.496Zsavitamishrahttp://openbooks.ning.com/profile/savitamisra
<p>आभार आपका आदरणीया | सादर _/\_</p>
<p>आभार आपका आदरणीया | सादर _/\_</p> अब हर रोज दिल से निकाल दिमाग…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7079912015-10-22T14:14:47.622Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p><span>अब हर रोज </span><br/><span>दिल से निकाल </span><br/><span>दिमाग तक लाऊँगी </span><br/><span>फिर कंठ तक </span><br/><span>फिर मुस्कराऊँगी ..... कोमल नारी मन थोड़े में ही खुश होकर उड़नेलगता है ,और फिर धडाम से नीचे भी आ जाता है , सुंदर रचना बनी है बधाई आपको आदरणीया सविता मिश्रा जी </span></p>
<p><span>अब हर रोज </span><br/><span>दिल से निकाल </span><br/><span>दिमाग तक लाऊँगी </span><br/><span>फिर कंठ तक </span><br/><span>फिर मुस्कराऊँगी ..... कोमल नारी मन थोड़े में ही खुश होकर उड़नेलगता है ,और फिर धडाम से नीचे भी आ जाता है , सुंदर रचना बनी है बधाई आपको आदरणीया सविता मिश्रा जी </span></p> बागी भैया आभार आपका तहेदिल से…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7082622015-10-22T13:06:37.404Zsavitamishrahttp://openbooks.ning.com/profile/savitamisra
<p>बागी भैया आभार आपका तहेदिल से जो आपको पसंद आई |</p>
<p>बागी भैया आभार आपका तहेदिल से जो आपको पसंद आई |</p> ऐसा होता हिन् न दी कि कभी दो…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7081052015-10-22T13:06:00.357Zsavitamishrahttp://openbooks.ning.com/profile/savitamisra
<p><span class="_5yl5"><span>ऐसा होता हिन् न दी कि कभी दो बोल हमे आसमा में पहुंचा देते और कभी धरा पर गिरा देते| बस मन <span class="_5yl5"><span><span class="_5yl5"><span><span>में आती गयी....</span></span></span></span></span> वही लिख गए..|<br/><span class="_5yl5"><span><span>शुक्रिया दिल से कांता दीदी</span>
<span>आपको अच्छी लगी ये आपका बड़प्पन...वर्ना अपन को तो abcd भी न आती</span><br />
<span>सब सीखा-सीखा हार गए |</span></span></span><br/></span></span></p>
<p><span class="_5yl5"><span>ऐसा होता हिन् न दी कि कभी दो बोल हमे आसमा में पहुंचा देते और कभी धरा पर गिरा देते| बस मन <span class="_5yl5"><span><span class="_5yl5"><span><span>में आती गयी....</span></span></span></span></span> वही लिख गए..|<br/><span class="_5yl5"><span><span>शुक्रिया दिल से कांता दीदी</span>
<span>आपको अच्छी लगी ये आपका बड़प्पन...वर्ना अपन को तो abcd भी न आती</span><br />
<span>सब सीखा-सीखा हार गए |</span></span></span><br/></span></span></p> भावनाओं को सुन्दर अभिव्यक्ति…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7081822015-10-22T03:28:50.081ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>भावनाओं को सुन्दर अभिव्यक्ति मिली है, अच्छी कविता, बहुत बहुत बधाई आदरणीया सविता जी.</p>
<p>भावनाओं को सुन्दर अभिव्यक्ति मिली है, अच्छी कविता, बहुत बहुत बधाई आदरणीया सविता जी.</p> बार बार यही दुहराती रहूंगी क्…tag:openbooks.ning.com,2015-10-21:5170231:Comment:7080612015-10-21T18:12:08.610Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
<p>बार बार यही <br/>दुहराती रहूंगी <br/>क्योकि <br/>अच्छी यादों को <br/>बार-बार खाद-पानी <br/>चाहिए ही होता है!!----बहुत खूब यादों की बात कही है आपने आदरणीय सविता जी। चाँद अच्छे पल जिंदगी भर के जीने के बहाने हो जाया करते हैं अक्सर। बधाई !</p>
<p>बार बार यही <br/>दुहराती रहूंगी <br/>क्योकि <br/>अच्छी यादों को <br/>बार-बार खाद-पानी <br/>चाहिए ही होता है!!----बहुत खूब यादों की बात कही है आपने आदरणीय सविता जी। चाँद अच्छे पल जिंदगी भर के जीने के बहाने हो जाया करते हैं अक्सर। बधाई !</p>