Comments - हर आदमी रो रहा है - Open Books Online2024-03-28T18:22:06Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A707189&xn_auth=noजब पूरी दुनिया रो रही है बेवज…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7080672015-10-22T01:29:58.048Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
जब पूरी दुनिया रो रही है बेवजह<br />
तो मैं भी रो रहा हूँ बेवजह<br />
---- बेहद ही शानदार रचना हुई है यह । बधाई स्वीकार करें ।
जब पूरी दुनिया रो रही है बेवजह<br />
तो मैं भी रो रहा हूँ बेवजह<br />
---- बेहद ही शानदार रचना हुई है यह । बधाई स्वीकार करें । बहुत बार हम बेवजह भी रोना रोत…tag:openbooks.ning.com,2015-10-21:5170231:Comment:7079272015-10-21T10:52:46.984ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>बहुत बार हम बेवजह भी रोना रोते हैं ...शायद इसी स्थिति की तरफ आपका ईशारा है ...क्या मैं सही हूँ ?</p>
<p>बहुत बार हम बेवजह भी रोना रोते हैं ...शायद इसी स्थिति की तरफ आपका ईशारा है ...क्या मैं सही हूँ ?</p> डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी…tag:openbooks.ning.com,2015-10-19:5170231:Comment:7078252015-10-19T13:45:14.489Zumesh katarahttp://openbooks.ning.com/profile/umeshkatara437
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA" class="fn url">डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी शुक्रिया <br/></a></p>
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA" class="fn url">डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी शुक्रिया <br/></a></p> वाह कटारा जी . यह भी एक नजरिय…tag:openbooks.ning.com,2015-10-18:5170231:Comment:7073862015-10-18T14:17:42.986Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>वाह कटारा जी . यह भी एक नजरिया है .</p>
<p>वाह कटारा जी . यह भी एक नजरिया है .</p>