Comments - 'मुखाग्नि'- (लघु कथा) - Open Books Online2024-03-29T15:49:17Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A699877&xn_auth=noमेरी इस लघुकथा पर समय देकर हौ…tag:openbooks.ning.com,2017-06-29:5170231:Comment:8638582017-06-29T01:59:58.331ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मेरी इस लघुकथा पर समय देकर हौसला अफजाई के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय पाठकगण व सुधीजन।
मेरी इस लघुकथा पर समय देकर हौसला अफजाई के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय पाठकगण व सुधीजन। स्नेहाशीष से परिपूर्ण, समीक्ष…tag:openbooks.ning.com,2015-11-13:5170231:Comment:7147592015-11-13T15:36:23.980ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
स्नेहाशीष से परिपूर्ण, समीक्षात्मक टिप्पणियों से प्रोत्साहन देने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया कान्ता राय जी, आदरणीय Abid Ali Mansoori साहब, आदरणीया Nita Kasar जी, आदरणीया Mala Jha जी, आदरणीया Tanuja Upreti जी, आदरणीय Jawahar Lal Singh जी, आदरणीय Dharmendra Kumar Singh जी।
स्नेहाशीष से परिपूर्ण, समीक्षात्मक टिप्पणियों से प्रोत्साहन देने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया कान्ता राय जी, आदरणीय Abid Ali Mansoori साहब, आदरणीया Nita Kasar जी, आदरणीया Mala Jha जी, आदरणीया Tanuja Upreti जी, आदरणीय Jawahar Lal Singh जी, आदरणीय Dharmendra Kumar Singh जी। बेहद मर्मस्पर्शी और मानव धर्म…tag:openbooks.ning.com,2015-11-04:5170231:Comment:7129472015-11-04T16:06:49.299ZAbid ali mansoorihttp://openbooks.ning.com/profile/Abidalimansoori
<p>बेहद मर्मस्पर्शी और मानव धर्म का पाठ पढ़ाती रचना की सराहना के लिए मेरे शब्द काफ़ी नहीं, हार्दिक वधाई आदरणीय शहज़ाद उस्मानी साहब!</p>
<p>बेहद मर्मस्पर्शी और मानव धर्म का पाठ पढ़ाती रचना की सराहना के लिए मेरे शब्द काफ़ी नहीं, हार्दिक वधाई आदरणीय शहज़ाद उस्मानी साहब!</p> बेहद संवेदनशील और शिक्षाप्रद…tag:openbooks.ning.com,2015-11-04:5170231:Comment:7129192015-11-04T11:29:50.698ZTanuja Upretihttp://openbooks.ning.com/profile/TanujaUpreti
<p>बेहद संवेदनशील और शिक्षाप्रद लघुकथा और माह की सर्वश्रेष्ठ रचना चुने जाने हेतु बहुत बहुत बधाई उस्मानी जी </p>
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<p>बेहद संवेदनशील और शिक्षाप्रद लघुकथा और माह की सर्वश्रेष्ठ रचना चुने जाने हेतु बहुत बहुत बधाई उस्मानी जी </p>
<p></p> गंगा जमुना तहज़ीब को दर्शाती ब…tag:openbooks.ning.com,2015-10-29:5170231:Comment:7101202015-10-29T02:48:14.760ZMala Jhahttp://openbooks.ning.com/profile/MalaJha
गंगा जमुना तहज़ीब को दर्शाती बेहतरीन कथा !!<br />
धार्मिक मतभेद तो राजनेताओं द्वारा खेला जाने वाला घिनौना खेल है।देखा जाए तो समाज में आज भी सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर ही रहते हैं।एक सशक्त कथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ उस्मानी सर।
गंगा जमुना तहज़ीब को दर्शाती बेहतरीन कथा !!<br />
धार्मिक मतभेद तो राजनेताओं द्वारा खेला जाने वाला घिनौना खेल है।देखा जाए तो समाज में आज भी सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर ही रहते हैं।एक सशक्त कथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ उस्मानी सर। एक ख़बर के आधार पर आपने बेहद…tag:openbooks.ning.com,2015-10-27:5170231:Comment:7097372015-10-27T05:01:17.339ZNita Kasarhttp://openbooks.ning.com/profile/NitaKasar
एक ख़बर के आधार पर आपने बेहद चुस्त दुरुस्त कथा रच दी है बहुत सी बधाईयां आपके लिये आद०शेख़ साहिब उस्मानी जी ।
एक ख़बर के आधार पर आपने बेहद चुस्त दुरुस्त कथा रच दी है बहुत सी बधाईयां आपके लिये आद०शेख़ साहिब उस्मानी जी । आपकी कथा फीचर पोस्ट के साथ सा…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7080002015-10-22T16:31:17.105Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
आपकी कथा फीचर पोस्ट के साथ साथ बेस्ट कथा के सम्मान से भी नवाजी गई है आदरणीय शहज़ाद जी ।बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ।
आपकी कथा फीचर पोस्ट के साथ साथ बेस्ट कथा के सम्मान से भी नवाजी गई है आदरणीय शहज़ाद जी ।बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें । बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय धर्…tag:openbooks.ning.com,2015-10-14:5170231:Comment:7061772015-10-14T09:30:30.129ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी हार्दिक प्रोत्साहन हेतु।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी हार्दिक प्रोत्साहन हेतु। आदरणीय योगराज जी के कथनोपरान्…tag:openbooks.ning.com,2015-10-14:5170231:Comment:7061702015-10-14T05:39:37.752Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
आदरणीय योगराज जी के कथनोपरान्त कुछ कहने को बचता नहीं है। दिली दाद कुबूल करें जनाब उस्मानी साहब
आदरणीय योगराज जी के कथनोपरान्त कुछ कहने को बचता नहीं है। दिली दाद कुबूल करें जनाब उस्मानी साहब आदरणीय Jawahar Lal Singh जी ब…tag:openbooks.ning.com,2015-10-01:5170231:Comment:7043192015-10-01T17:54:15.712ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
आदरणीय Jawahar Lal Singh जी बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद रचना को तहे दिल समझने व सराहना कर मेरी लेखनी को प्रोत्साहित करने के लिए।
आदरणीय Jawahar Lal Singh जी बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद रचना को तहे दिल समझने व सराहना कर मेरी लेखनी को प्रोत्साहित करने के लिए।