Comments - "देशवासियों तन्द्रा तोड़ो" - Open Books Online2024-03-29T06:38:31Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A69974&xn_auth=noआस्तीन में छिपे भुजंगों
के फण…tag:openbooks.ning.com,2011-04-16:5170231:Comment:700482011-04-16T03:57:42.542ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>आस्तीन में छिपे भुजंगों</p>
<p>के फण त्वरित मरोड़ो</p>
<p>जहर भरा है जितना भी</p>
<p>सबका सब आज निचोड़ो</p>
<p> </p>
<p>आदरणीय संदीप त्यागी जी , सर्वप्रथम OBO के मंच पर आपके प्रथम प्रस्तुति का ह्रदय से स्वागत करते है साथ ही कामना करते है कि आगे भी आप की रचनाएँ और अन्य साथियों की रचनाओं पर आपके बहुमूल्य विचार प्राप्त होते रहेंगे | जोश से लबरेज करने वाली एक बेहतरीन रचना आप ने प्रस्तुत किया है , शानदार अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार करे श्रीमान |</p>
<p>आस्तीन में छिपे भुजंगों</p>
<p>के फण त्वरित मरोड़ो</p>
<p>जहर भरा है जितना भी</p>
<p>सबका सब आज निचोड़ो</p>
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<p>आदरणीय संदीप त्यागी जी , सर्वप्रथम OBO के मंच पर आपके प्रथम प्रस्तुति का ह्रदय से स्वागत करते है साथ ही कामना करते है कि आगे भी आप की रचनाएँ और अन्य साथियों की रचनाओं पर आपके बहुमूल्य विचार प्राप्त होते रहेंगे | जोश से लबरेज करने वाली एक बेहतरीन रचना आप ने प्रस्तुत किया है , शानदार अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार करे श्रीमान |</p>