Comments - भाई (कविता) - Open Books Online2024-03-29T05:51:23Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A692360&xn_auth=noसंयत प्रयास करें भाईजी. तथा,…tag:openbooks.ning.com,2015-08-31:5170231:Comment:6941282015-08-31T13:08:25.019ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>संयत प्रयास करें भाईजी. तथा, सर्वोपरि, किसी रचना को पोस्ट करने के पूर उसे दो-तीन-चार दफ़े पढ़ जाया कर्रें कि कहीं वर्तनी दोष तो नहीं रह गया है. या कोई व्याकरण सम्बन्धी त्रुटि नहीं रह गयी है. </p>
<p>शुभेच्छाएँ </p>
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<p>संयत प्रयास करें भाईजी. तथा, सर्वोपरि, किसी रचना को पोस्ट करने के पूर उसे दो-तीन-चार दफ़े पढ़ जाया कर्रें कि कहीं वर्तनी दोष तो नहीं रह गया है. या कोई व्याकरण सम्बन्धी त्रुटि नहीं रह गयी है. </p>
<p>शुभेच्छाएँ </p>
<p></p> बहुत खूब
सादरtag:openbooks.ning.com,2015-08-30:5170231:Comment:6938272015-08-30T13:34:26.573Zमनोज अहसासhttp://openbooks.ning.com/profile/ManojkumarAhsaas
बहुत खूब<br />
सादर
बहुत खूब<br />
सादर