Comments - ग़ज़ल :- अपनी बहना के नाम एक ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T11:49:55Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A692276&xn_auth=no"जाने क्यूँ ऐसा लग रहा है मुझ…tag:openbooks.ning.com,2015-08-31:5170231:Comment:6941472015-08-31T17:51:29.741ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
"जाने क्यूँ ऐसा लग रहा है मुझे<br />
मिल के सब कह रहे हैं एक ग़ज़ल"
"जाने क्यूँ ऐसा लग रहा है मुझे<br />
मिल के सब कह रहे हैं एक ग़ज़ल" जनाब सौरभ पांडे जी,आदाब,आपसे…tag:openbooks.ning.com,2015-08-31:5170231:Comment:6941462015-08-31T17:46:10.664ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब सौरभ पांडे जी,आदाब,आपसे दाद पाकर ख़ुशी हुई,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब सौरभ पांडे जी,आदाब,आपसे दाद पाकर ख़ुशी हुई,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,ग़…tag:openbooks.ning.com,2015-08-31:5170231:Comment:6943112015-08-31T17:44:35.468ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब हर्ष महाजन जी,आदाब,ग़ज़ल म…tag:openbooks.ning.com,2015-08-31:5170231:Comment:6941452015-08-31T17:43:25.871ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब हर्ष महाजन जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब हर्ष महाजन जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब गुमनाम जी,आदाब,ग़ज़ल में श…tag:openbooks.ning.com,2015-08-31:5170231:Comment:6941432015-08-31T17:41:50.688ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब गुमनाम जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब गुमनाम जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । क्या गज़ब काफ़िया निभाये जी !
प…tag:openbooks.ning.com,2015-08-31:5170231:Comment:6940332015-08-31T17:19:37.897ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p><strong>क्या गज़ब काफ़िया निभाये जी !</strong></p>
<p><strong>पढ़ रहा.. बार-बार नेक ग़ज़ल !! .... </strong>:-))</p>
<p>बहुत खूब आदरणीय समर साहब. आप इस अंदाज़ में भी छा गये ! </p>
<p>बहुत खूब ! बहुत खूब !! दाद कुबूल कीजिये</p>
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<p><strong>क्या गज़ब काफ़िया निभाये जी !</strong></p>
<p><strong>पढ़ रहा.. बार-बार नेक ग़ज़ल !! .... </strong>:-))</p>
<p>बहुत खूब आदरणीय समर साहब. आप इस अंदाज़ में भी छा गये ! </p>
<p>बहुत खूब ! बहुत खूब !! दाद कुबूल कीजिये</p>
<p></p> आदरणीय समर कबीर जी, राखी पर इ…tag:openbooks.ning.com,2015-08-30:5170231:Comment:6939702015-08-30T19:40:59.762Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय समर कबीर जी, राखी पर इन अद्भुत काफियों के साथ एक शानदार ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं </p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी, राखी पर इन अद्भुत काफियों के साथ एक शानदार ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं </p> छोटी बहर में सुंदर ग़ज़ल समीर ज…tag:openbooks.ning.com,2015-08-30:5170231:Comment:6934812015-08-30T07:09:20.280ZHarash Mahajanhttp://openbooks.ning.com/profile/HarashMahajan
<p>छोटी बहर में सुंदर ग़ज़ल समीर जी .....दाद वसूल पाइयेगा !</p>
<p>छोटी बहर में सुंदर ग़ज़ल समीर जी .....दाद वसूल पाइयेगा !</p> वाह क्या अजब काफिये के साथ ग़ज़…tag:openbooks.ning.com,2015-08-30:5170231:Comment:6933542015-08-30T03:11:27.201Zgumnaam pithoragarhihttp://openbooks.ning.com/profile/gumnaampithoragarhi
<p>वाह क्या अजब काफिये के साथ ग़ज़ल कही है वाह खूब</p>
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<p>वाह क्या अजब काफिये के साथ ग़ज़ल कही है वाह खूब</p>
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