Comments - गजल-मेरा मन मेरे सामने आइना है - Open Books Online2024-03-29T12:39:51Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A668841&xn_auth=noजी,काफिया में इना,और अना होकर…tag:openbooks.ning.com,2015-07-22:5170231:Comment:6794742015-07-22T06:32:34.397Zसूबे सिंह सुजानhttp://openbooks.ning.com/profile/2fvsz8v20bb3q
जी,काफिया में इना,और अना होकर<br />
बहुत बड़ी अनदेखी हो गई
जी,काफिया में इना,और अना होकर<br />
बहुत बड़ी अनदेखी हो गई आदरणीय सूबे सिह भाई , आप तो अ…tag:openbooks.ning.com,2015-07-01:5170231:Comment:6712942015-07-01T13:04:48.894Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय सूबे सिह भाई , आप तो अनुभवी गज़ल कार हैं , बातें अच्छी कही है ! आ. श्रीवास्तव जी की बात से सहमत हूँ , काफिया एक बार और देख लीजिये ॥</p>
<p>आदरणीय सूबे सिह भाई , आप तो अनुभवी गज़ल कार हैं , बातें अच्छी कही है ! आ. श्रीवास्तव जी की बात से सहमत हूँ , काफिया एक बार और देख लीजिये ॥</p> बहुत ही सुन्दर भावों से सुसज्…tag:openbooks.ning.com,2015-06-29:5170231:Comment:6699592015-06-29T10:26:04.531ZRahul Dangi Panchalhttp://openbooks.ning.com/profile/RahulDangi
बहुत ही सुन्दर भावों से सुसज्जित गजल कही है आदरणीय सुजाीन ज। सभी मिसरों मे काफिया अना ठहरता है अत: पहले मिसरे केफाकिया सुधार ले। बहर भी लिख दिजिए।
बहुत ही सुन्दर भावों से सुसज्जित गजल कही है आदरणीय सुजाीन ज। सभी मिसरों मे काफिया अना ठहरता है अत: पहले मिसरे केफाकिया सुधार ले। बहर भी लिख दिजिए। सतत प्रयासरत रहे
सादरtag:openbooks.ning.com,2015-06-28:5170231:Comment:6693462015-06-28T14:46:03.981Zमनोज अहसासhttp://openbooks.ning.com/profile/ManojkumarAhsaas
सतत प्रयासरत रहे<br />
सादर
सतत प्रयासरत रहे<br />
सादर मतले में ही काफिया रदीफ़ सही…tag:openbooks.ning.com,2015-06-28:5170231:Comment:6693192015-06-28T07:18:42.142Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>मतले में ही काफिया रदीफ़ सही नहीं लगता</p>
<p>उला में-------------- इ ना है</p>
<p>सानी में -------------- अ ना है ------------------ सादर .</p>
<p>मतले में ही काफिया रदीफ़ सही नहीं लगता</p>
<p>उला में-------------- इ ना है</p>
<p>सानी में -------------- अ ना है ------------------ सादर .</p> बह्र न होने से ग़ज़ल का लुत्फ़ न…tag:openbooks.ning.com,2015-06-27:5170231:Comment:6690942015-06-27T23:26:51.665Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>बह्र न होने से ग़ज़ल का लुत्फ़ नहीं ले पायेंगे आदरणीय <a class="nolink"> </a><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/2fvsz8v20bb3q">सूबे सिंह सुजान</a><a class="nolink"> जी </a></p>
<p>एक निवेदन कृपया बह्र का उल्लेख कर दे </p>
<p>बह्र न होने से ग़ज़ल का लुत्फ़ नहीं ले पायेंगे आदरणीय <a class="nolink"> </a><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/2fvsz8v20bb3q">सूबे सिंह सुजान</a><a class="nolink"> जी </a></p>
<p>एक निवेदन कृपया बह्र का उल्लेख कर दे </p>