Comments - एक प्रयास आस्तित्व के लिए ( लघुकथा ) कान्ता राॅय - Open Books Online2024-03-29T15:12:38Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A668681&xn_auth=noहा हा हा हा ......नमन आपको आद…tag:openbooks.ning.com,2015-07-08:5170231:Comment:6737672015-07-08T02:01:06.096Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
हा हा हा हा ......नमन आपको आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ।
हा हा हा हा ......नमन आपको आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी । //अब किसान बटाई पर मालिक से ख…tag:openbooks.ning.com,2015-07-07:5170231:Comment:6738642015-07-07T20:19:46.026ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>//अब किसान बटाई पर मालिक से खेत माँग आया होगा या खरीद ही लिया होगा ... कुछ तो जुगाड़ लगाया ही होगा खेत को गेंहूँ की बालियों से सजाने के लिए । अब लघुकथा लिख रहे है सब कुछ लिख देंगे तो कही कहानी ना बन जाये इसलिए अनकहा ही रहने दिया //</p>
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<p>//अब किसान बटाई पर मालिक से खेत माँग आया होगा या खरीद ही लिया होगा ... कुछ तो जुगाड़ लगाया ही होगा खेत को गेंहूँ की बालियों से सजाने के लिए । अब लघुकथा लिख रहे है सब कुछ लिख देंगे तो कही कहानी ना बन जाये इसलिए अनकहा ही रहने दिया //</p>
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<p></p> आभार आपको तहे दिल से आदरणीय ड…tag:openbooks.ning.com,2015-06-28:5170231:Comment:6695182015-06-28T17:44:44.945Zkanta royhttp://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
आभार आपको तहे दिल से आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी , अब किसान बटाई पर मालिक से खेत माँग आया होगा या खरीद ही लिया होगा ... कुछ तो जुगाड़ लगाया ही होगा खेत को गेंहूँ की बालियों से सजाने के लिए । अब लघुकथा लिख रहे है सब कुछ लिख देंगे तो कही कहानी ना बन जाये इसलिए अनकहा ही रहने दिया । आभार
आभार आपको तहे दिल से आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी , अब किसान बटाई पर मालिक से खेत माँग आया होगा या खरीद ही लिया होगा ... कुछ तो जुगाड़ लगाया ही होगा खेत को गेंहूँ की बालियों से सजाने के लिए । अब लघुकथा लिख रहे है सब कुछ लिख देंगे तो कही कहानी ना बन जाये इसलिए अनकहा ही रहने दिया । आभार आ० कान्ता जी
भूमि जिसके मालिक…tag:openbooks.ning.com,2015-06-28:5170231:Comment:6693172015-06-28T07:13:00.365Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० कान्ता जी</p>
<p>भूमि जिसके मालिकाना हक़ में थी वह उदासीन था भूमि के प्रति ------------ तो भूमि किसान के पास कैसे पहुँच गयी स्वतः </p>
<p>आ० कान्ता जी</p>
<p>भूमि जिसके मालिकाना हक़ में थी वह उदासीन था भूमि के प्रति ------------ तो भूमि किसान के पास कैसे पहुँच गयी स्वतः </p>