Comments - विधि....(लघुकथा) - Open Books Online2024-03-30T00:45:13Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A663112&xn_auth=noआदरणीय मिथिलेश जी.
आपकी प्रोत…tag:openbooks.ning.com,2015-08-13:5170231:Comment:6888592015-08-13T21:40:39.887Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>आदरणीय मिथिलेश जी.</p>
<p>आपकी प्रोत्साहित करती सराहना हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ</p>
<p>सादर!</p>
<p>आदरणीय मिथिलेश जी.</p>
<p>आपकी प्रोत्साहित करती सराहना हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ</p>
<p>सादर!</p> आदरणीय सौरभ जी, सादर नमन
लघुक…tag:openbooks.ning.com,2015-08-13:5170231:Comment:6888582015-08-13T21:39:04.325Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>आदरणीय सौरभ जी, सादर नमन</p>
<p>लघुकथा पर आपकी सकारात्मक स्वीकारोक्ति मन में सुखद संतोष भर देती है. आपका ह्रदय से आभारी हूँ.</p>
<p></p>
<p>सादर!</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी, सादर नमन</p>
<p>लघुकथा पर आपकी सकारात्मक स्वीकारोक्ति मन में सुखद संतोष भर देती है. आपका ह्रदय से आभारी हूँ.</p>
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<p>सादर!</p> बहुत खूब ! प्रस्तुति पर क्या…tag:openbooks.ning.com,2015-07-02:5170231:Comment:6723352015-07-02T19:58:34.633ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>बहुत खूब ! प्रस्तुति पर क्या पकड़ बनी है आपकी भाईजी.</p>
<p>हार्दिक शुभकामनाएँ इस सफल प्रसतुति पर !</p>
<p></p>
<p>बहुत खूब ! प्रस्तुति पर क्या पकड़ बनी है आपकी भाईजी.</p>
<p>हार्दिक शुभकामनाएँ इस सफल प्रसतुति पर !</p>
<p></p> आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया …tag:openbooks.ning.com,2015-06-24:5170231:Comment:6675972015-06-24T20:24:40.593Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/JitendraPastariya" class="fn url">जितेन्द्र पस्टारिया</a><span> जी इस सफल लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई </span></p>
<p>न्यायपालिका को मज़ाक बनाए बैठे लोगो पर करारा व्यंग्य </p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/JitendraPastariya" class="fn url">जितेन्द्र पस्टारिया</a><span> जी इस सफल लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई </span></p>
<p>न्यायपालिका को मज़ाक बनाए बैठे लोगो पर करारा व्यंग्य </p> लघुकथा पर ,आप सभी की उपस्थिति…tag:openbooks.ning.com,2015-06-14:5170231:Comment:6647602015-06-14T03:56:59.434Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>लघुकथा पर ,आप सभी की उपस्थिति व् प्रोत्साहन के लिए आप सभी का ह्रदय से आभारी हूँ, आदरणीय शुभ्रांशु जी, आदरणीय डा.आशुतोष जी, आदरणीय वीरेन्द्र मेहता जी, आदरणीय कृष्णा जी. स्नेह बनाए रखियेगा</p>
<p></p>
<p>सादर!</p>
<p>लघुकथा पर ,आप सभी की उपस्थिति व् प्रोत्साहन के लिए आप सभी का ह्रदय से आभारी हूँ, आदरणीय शुभ्रांशु जी, आदरणीय डा.आशुतोष जी, आदरणीय वीरेन्द्र मेहता जी, आदरणीय कृष्णा जी. स्नेह बनाए रखियेगा</p>
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<p>सादर!</p> बेहतरीन लघुकथा पर बधाई भाई जि…tag:openbooks.ning.com,2015-06-13:5170231:Comment:6648252015-06-13T16:36:15.298ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://openbooks.ning.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>बेहतरीन लघुकथा पर बधाई भाई जितेन्द्र जी!</p>
<p>बेहतरीन लघुकथा पर बधाई भाई जितेन्द्र जी!</p> आदरणीय जीतेन्द्र जी.. आजकल बि…tag:openbooks.ning.com,2015-06-10:5170231:Comment:6636702015-06-10T10:27:45.230ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय जीतेन्द्र जी.. आजकल बिलकुल ऐसा ही हो रहा है ..न्याय और न्यायलय तो जैसे मजाक हो गए हैं ..इस सुंदर चिंतन पर आपको तहे दिल बधाई सादर </p>
<p>आदरणीय जीतेन्द्र जी.. आजकल बिलकुल ऐसा ही हो रहा है ..न्याय और न्यायलय तो जैसे मजाक हो गए हैं ..इस सुंदर चिंतन पर आपको तहे दिल बधाई सादर </p> आदरणीय जितेन्द्र जी,
अदालतों…tag:openbooks.ning.com,2015-06-10:5170231:Comment:6636662015-06-10T09:56:13.624ZShubhranshu Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/ShubhranshuPandey
<p>आदरणीय जितेन्द्र जी, </p>
<p>अदालतों के कार्यवायी की महीनीं को आपने सुन्दर ढंग से प्र्स्तुत किया है.</p>
<p>सादर.</p>
<p></p>
<p>आदरणीय जितेन्द्र जी, </p>
<p>अदालतों के कार्यवायी की महीनीं को आपने सुन्दर ढंग से प्र्स्तुत किया है.</p>
<p>सादर.</p>
<p></p> एक सार्थक कथा ! सादर बधाई स्…tag:openbooks.ning.com,2015-06-10:5170231:Comment:6636292015-06-10T04:55:39.880ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://openbooks.ning.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
<p>एक सार्थक कथा ! सादर बधाई स्वीकार करे.</p>
<p>नया प्रणाली में सुधार की इच्छा खुद को बदले बिना बे मानी ही है </p>
<p></p>
<p>एक सार्थक कथा ! सादर बधाई स्वीकार करे.</p>
<p>नया प्रणाली में सुधार की इच्छा खुद को बदले बिना बे मानी ही है </p>
<p></p> लघुकथा पर आपके विचार से लेखनक…tag:openbooks.ning.com,2015-06-08:5170231:Comment:6630902015-06-08T19:32:01.849Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>लघुकथा पर आपके विचार से लेखनकर्म को संतोष मिलता है आदरणीया राजेश दीदी. आपका ह्रदय से आभारी हूँ</p>
<p>सादर!</p>
<p>लघुकथा पर आपके विचार से लेखनकर्म को संतोष मिलता है आदरणीया राजेश दीदी. आपका ह्रदय से आभारी हूँ</p>
<p>सादर!</p>