Comments - मुझको आता है तरस अब उस क़ज़ा पे - Open Books Online2024-03-29T06:10:07Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A648666&xn_auth=noआदरणीय मिथिलेश जी आदरणीय श्री…tag:openbooks.ning.com,2015-05-02:5170231:Comment:6497832015-05-02T04:09:30.973ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय मिथिलेश जी आदरणीय श्री सुनील जी ..आपकी प्रतिक्रया और मशविरे के लिए तहे दिल धन्यवाद ..मशविरे पर अमल का प्रयास अवश्य करूंगा सादर </p>
<p>आदरणीय मिथिलेश जी आदरणीय श्री सुनील जी ..आपकी प्रतिक्रया और मशविरे के लिए तहे दिल धन्यवाद ..मशविरे पर अमल का प्रयास अवश्य करूंगा सादर </p> आदरणीय डॉ आशुतोष जी, ख़ूबसूरत…tag:openbooks.ning.com,2015-05-01:5170231:Comment:6496652015-05-01T18:53:15.205Zshree suneelhttp://openbooks.ning.com/profile/shreesuneel
आदरणीय डॉ आशुतोष जी, ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही आपने. बधाई आपको. मिथलेश वामनकर सर की टिप्पणी पर जरूर ध्यान दें. सादर.
आदरणीय डॉ आशुतोष जी, ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही आपने. बधाई आपको. मिथलेश वामनकर सर की टिप्पणी पर जरूर ध्यान दें. सादर. आदरणीय आशुतोष जी बेहतरीन ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2015-05-01:5170231:Comment:6494772015-05-01T15:01:23.583Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय आशुतोष जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई है. दाद कुबूल फरमाए </p>
<p>सुझाव के बाद ग़ज़ल निखर गई है.</p>
<p>हिज्जों में सुधार की गुंजाईश रह गई है. सादर </p>
<p>आदरणीय आशुतोष जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई है. दाद कुबूल फरमाए </p>
<p>सुझाव के बाद ग़ज़ल निखर गई है.</p>
<p>हिज्जों में सुधार की गुंजाईश रह गई है. सादर </p> आदरणीय समर कबीर जी ..आपका मार…tag:openbooks.ning.com,2015-05-01:5170231:Comment:6494472015-05-01T10:59:33.713ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय समर कबीर जी ..आपका मार्गदर्शन सतत ही मिलता है ..आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर </p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी ..आपका मार्गदर्शन सतत ही मिलता है ..आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर </p> आदरणीय , बहर के मुताबिक आपका…tag:openbooks.ning.com,2015-05-01:5170231:Comment:6497102015-05-01T10:48:09.345Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय , बहर के मुताबिक आपका सुधार सही है ।</p>
<p>आदरणीय , बहर के मुताबिक आपका सुधार सही है ।</p> लूटती हैं ये हवाएं ही चमन को …tag:openbooks.ning.com,2015-05-01:5170231:Comment:6494462015-05-01T10:42:11.621ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>लूटती हैं ये हवाएं ही चमन को </p>
<p>पर नहीं इल्जाम तय होता हवा पे </p>
<p>आदरणीय गिरिराज भाईसाब कृपया इस संसोधन को देखने का कष्ट करें और मशविरा दें सादर </p>
<p></p>
<p>लूटती हैं ये हवाएं ही चमन को </p>
<p>पर नहीं इल्जाम तय होता हवा पे </p>
<p>आदरणीय गिरिराज भाईसाब कृपया इस संसोधन को देखने का कष्ट करें और मशविरा दें सादर </p>
<p></p> आदरणीय गिरिराज भाईसाब ...आपने…tag:openbooks.ning.com,2015-05-01:5170231:Comment:6494022015-05-01T10:24:46.024ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय गिरिराज भाईसाब ...आपने बिलकुल सही कहा है सातवें शेर मं भी वही समस्या है मैं उसमे सुधार की कोशिस करूंगा ..ग़ज़ल लेखन के इस सफ़र पर सफ़र के आगाज के साथ ही आपका साथ मिला ..आपसे सतत मार्गदर्शन मिला ..रचना पर आपकी प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद सादर </p>
<p>आदरणीय गिरिराज भाईसाब ...आपने बिलकुल सही कहा है सातवें शेर मं भी वही समस्या है मैं उसमे सुधार की कोशिस करूंगा ..ग़ज़ल लेखन के इस सफ़र पर सफ़र के आगाज के साथ ही आपका साथ मिला ..आपसे सतत मार्गदर्शन मिला ..रचना पर आपकी प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद सादर </p> आदरणीय नूर जी ..मैं उस गलती क…tag:openbooks.ning.com,2015-05-01:5170231:Comment:6494412015-05-01T10:19:03.264ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय नूर जी ..मैं उस गलती को सुधारने की कोशिस कर रहा हूँ रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद सादर </p>
<p>आदरणीय नूर जी ..मैं उस गलती को सुधारने की कोशिस कर रहा हूँ रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद सादर </p> आदरणीय नरेन्द्र सिंह जी ..ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2015-05-01:5170231:Comment:6494392015-05-01T10:17:00.802ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय नरेन्द्र सिंह जी ..ग़ज़ल पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर </p>
<p>आदरणीय नरेन्द्र सिंह जी ..ग़ज़ल पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर </p> जनाब डा.आशुतोष मिश्रा जी,आदाब…tag:openbooks.ning.com,2015-05-01:5170231:Comment:6495492015-05-01T10:12:32.361ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब डा.आशुतोष मिश्रा जी,आदाब,अच्छे प्रयास के लिये आपको बधाई,जो बात मैं कहना चाहता था वो जनाब वीनस केसरी जी ने पहले ही कहदी है |
जनाब डा.आशुतोष मिश्रा जी,आदाब,अच्छे प्रयास के लिये आपको बधाई,जो बात मैं कहना चाहता था वो जनाब वीनस केसरी जी ने पहले ही कहदी है |