Comments - नसरी नज़्म :- "शहीद" - Open Books Online2024-03-28T10:12:26Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A641957&xn_auth=noजनाब सौरभ पाँडे जी,आदाब,रचना…tag:openbooks.ning.com,2015-04-17:5170231:Comment:6426702015-04-17T04:51:13.372ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब सौरभ पाँडे जी,आदाब,रचना में आपकी शिर्कत हो गई,लिखना सफ़ल हुवा,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
जनाब सौरभ पाँडे जी,आदाब,रचना में आपकी शिर्कत हो गई,लिखना सफ़ल हुवा,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | कलम का सिपाही जिस गहराई से सो…tag:openbooks.ning.com,2015-04-16:5170231:Comment:6425552015-04-16T12:35:13.619ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>कलम का सिपाही जिस गहराई से सोचता है, उसकी पूरी भावना उभर के आई है, भाईसाहब,,</p>
<p></p>
<p>हार्दिक शुभकामनाएँ</p>
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<p>कलम का सिपाही जिस गहराई से सोचता है, उसकी पूरी भावना उभर के आई है, भाईसाहब,,</p>
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<p>हार्दिक शुभकामनाएँ</p>
<p></p> जनाब श्री सुनील जी,आदाब,रचना…tag:openbooks.ning.com,2015-04-16:5170231:Comment:6425142015-04-16T05:31:16.692ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब श्री सुनील जी,आदाब,रचना आपको पसंद आई,लिखना सार्थक हुवा,ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
जनाब श्री सुनील जी,आदाब,रचना आपको पसंद आई,लिखना सार्थक हुवा,ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | जनाब हरी प्रकाश दुबे जी,आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2015-04-16:5170231:Comment:6422622015-04-16T05:28:11.796ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब हरी प्रकाश दुबे जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
जनाब हरी प्रकाश दुबे जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | जनाब गिरिराज भंडारी जी,"जान"…tag:openbooks.ning.com,2015-04-16:5170231:Comment:6422612015-04-16T05:23:07.550ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब गिरिराज भंडारी जी,"जान" गोरखपुरी जी,आदाब,तक़रीबन पच्चीस वर्षों के बाद नसरी नज़्म लिखी है,आख़री की तीन पंक्तियों पर लगता है आपने ग़ौर नहीं किया,मैं जानता हूँ जीते जी किसी को शहीद नहीं कहा जा सकता,इतिहास साक्षी है कि सच्चाई की राह पर चलने वालों को शहादत का जाम पीना पड़ा है,कवि की हार्दिक इच्छा यही है की :-<br />
<br />
"और फिर एक दिन यह हो जाए<br />
इसी मक़सद में जाँ चली जाए,<br />
एक हसरत है पूरी हो जाए<br />
लोग मुझ को भी इक शहीद कहें"<br />
<br />
वह भी सच्चाई के पथ पर चलते चलते एक दिन शहीद हो जाए और लोग उसे मरने के बाद शहीद कहें |
जनाब गिरिराज भंडारी जी,"जान" गोरखपुरी जी,आदाब,तक़रीबन पच्चीस वर्षों के बाद नसरी नज़्म लिखी है,आख़री की तीन पंक्तियों पर लगता है आपने ग़ौर नहीं किया,मैं जानता हूँ जीते जी किसी को शहीद नहीं कहा जा सकता,इतिहास साक्षी है कि सच्चाई की राह पर चलने वालों को शहादत का जाम पीना पड़ा है,कवि की हार्दिक इच्छा यही है की :-<br />
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"और फिर एक दिन यह हो जाए<br />
इसी मक़सद में जाँ चली जाए,<br />
एक हसरत है पूरी हो जाए<br />
लोग मुझ को भी इक शहीद कहें"<br />
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वह भी सच्चाई के पथ पर चलते चलते एक दिन शहीद हो जाए और लोग उसे मरने के बाद शहीद कहें | आली जनाब डा.विजय शंकर जी,आदाब…tag:openbooks.ning.com,2015-04-16:5170231:Comment:6424232015-04-16T04:57:56.592ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
आली जनाब डा.विजय शंकर जी,आदाब, ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
आली जनाब डा.विजय शंकर जी,आदाब, ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | आली जनाब डॉ गोपाल नारायन श्री…tag:openbooks.ning.com,2015-04-16:5170231:Comment:6422562015-04-16T04:55:27.910ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
आली जनाब डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
आली जनाब डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | खूबसूरत नज़्म आ0 समर कबीर सर.…tag:openbooks.ning.com,2015-04-16:5170231:Comment:6424152015-04-16T03:28:10.622Zshree suneelhttp://openbooks.ning.com/profile/shreesuneel
खूबसूरत नज़्म आ0 समर कबीर सर.<br />
मैं तो शाईर हूँ और मेरे लिये<br />
यह क़लम ही है मेरा सरमाया,"<br />
सच्ची बात हीं है. बधाईयाँ आपको.
खूबसूरत नज़्म आ0 समर कबीर सर.<br />
मैं तो शाईर हूँ और मेरे लिये<br />
यह क़लम ही है मेरा सरमाया,"<br />
सच्ची बात हीं है. बधाईयाँ आपको. आदरणीय समर कबीर साहब , बहुत स…tag:openbooks.ning.com,2015-04-15:5170231:Comment:6420782015-04-15T16:42:32.799ZHari Prakash Dubeyhttp://openbooks.ning.com/profile/HariPrakashDubey
<p><span>आदरणीय समर कबीर साहब , बहुत सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई ! सादर </span></p>
<p><span>आदरणीय समर कबीर साहब , बहुत सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई ! सादर </span></p> सुन्दर नज्म पर बधाई,आदरणीय सम…tag:openbooks.ning.com,2015-04-15:5170231:Comment:6419032015-04-15T16:18:47.459ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://openbooks.ning.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>सुन्दर नज्म पर बधाई,आदरणीय समर कबीर सरजी! आदरणीय गिरिराज सर की बात से मै सहमत हूँ!</p>
<p>सुन्दर नज्म पर बधाई,आदरणीय समर कबीर सरजी! आदरणीय गिरिराज सर की बात से मै सहमत हूँ!</p>