Comments - ग़ज़ल :- जैसे.मिरे अंदर से ख़ुदा बोल रहा है - Open Books Online2024-03-29T00:03:28Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A641175&xn_auth=noबहना राजेश कुमारी जी,आदाब,सुख़…tag:openbooks.ning.com,2015-04-14:5170231:Comment:6414982015-04-14T09:25:05.524ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
बहना राजेश कुमारी जी,आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |<br />
"सम्त" यानी "दिशा" ,"समतों" यानी दिशाओं,"तअय्युन" यानी मुक़र्रर करना ( तय करना) ,"समतों का तअय्युन" यानी दिशाओं का तय करना , आगे से मैं कठिन शब्दों का अर्थ लिख दिया करूँगा ताकि पढ़ने वालों को आसानी हो |
बहना राजेश कुमारी जी,आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |<br />
"सम्त" यानी "दिशा" ,"समतों" यानी दिशाओं,"तअय्युन" यानी मुक़र्रर करना ( तय करना) ,"समतों का तअय्युन" यानी दिशाओं का तय करना , आगे से मैं कठिन शब्दों का अर्थ लिख दिया करूँगा ताकि पढ़ने वालों को आसानी हो | ठहरे हुए पानी पे कोई नाव रुकी…tag:openbooks.ning.com,2015-04-14:5170231:Comment:6416802015-04-14T05:19:22.102Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>ठहरे हुए पानी पे कोई नाव रुकी है</span><br/><span>इक गीत फ़ज़ाओं में अभी गूंज रहा है---वाह्ह्ह्ह उम्दा </span><br/><br/><span>इस हद पे हैं तहज़ीब की मिटती हुई क़दरें</span><br/><span>रिश्तों को ज़मीनों की तरह बाँट दिया है------क्या कहने लाजबाब </span></p>
<p>आ० समर भाई जी ,शानदार ग़ज़ल हुई तहे दिल से दाद दे रही हूँ </p>
<p>यदि निम्न शब्दों का अर्थ पता चले तो पढने का लुत्फ़ दुगुना हो जाएगा </p>
<p>जैसे --<span>समतों क तअय्युन ??</span></p>
<p><span>ठहरे हुए पानी पे कोई नाव रुकी है</span><br/><span>इक गीत फ़ज़ाओं में अभी गूंज रहा है---वाह्ह्ह्ह उम्दा </span><br/><br/><span>इस हद पे हैं तहज़ीब की मिटती हुई क़दरें</span><br/><span>रिश्तों को ज़मीनों की तरह बाँट दिया है------क्या कहने लाजबाब </span></p>
<p>आ० समर भाई जी ,शानदार ग़ज़ल हुई तहे दिल से दाद दे रही हूँ </p>
<p>यदि निम्न शब्दों का अर्थ पता चले तो पढने का लुत्फ़ दुगुना हो जाएगा </p>
<p>जैसे --<span>समतों क तअय्युन ??</span></p> जनाब गिरिराज भंडारी जी,आदाब,स…tag:openbooks.ning.com,2015-04-14:5170231:Comment:6415872015-04-14T05:16:06.387ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब गिरिराज भंडारी जी,आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
जनाब गिरिराज भंडारी जी,आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,ह…tag:openbooks.ning.com,2015-04-14:5170231:Comment:6417502015-04-14T05:14:39.860ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | जनान "जान" गोरखपुरी साहिब,आदा…tag:openbooks.ning.com,2015-04-14:5170231:Comment:6416792015-04-14T05:12:18.766ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनान "जान" गोरखपुरी साहिब,आदाब,ज़र्रा नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ|<br />
"सम्त" यानी "दिशा","समतों" यानी दिशाओं,आपने ठीक कहा आइन्दा कठिन शब्दों के अर्थ लिख दिया करूँगा |
जनान "जान" गोरखपुरी साहिब,आदाब,ज़र्रा नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ|<br />
"सम्त" यानी "दिशा","समतों" यानी दिशाओं,आपने ठीक कहा आइन्दा कठिन शब्दों के अर्थ लिख दिया करूँगा | जनाब दिनेश कुमार जी,आदाब,सुख़न…tag:openbooks.ning.com,2015-04-14:5170231:Comment:6416762015-04-14T05:00:47.436ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब दिनेश कुमार जी,आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
जनाब दिनेश कुमार जी,आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | आदरणीय समर भाई , मतला खूब पसं…tag:openbooks.ning.com,2015-04-14:5170231:Comment:6417372015-04-14T02:59:18.496Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय समर भाई , मतला खूब पसंद आया , पूरी ग़ज़ल और मतले के लिये विशेष तौर पर आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥</p>
<p>आदरणीय समर भाई , मतला खूब पसंद आया , पूरी ग़ज़ल और मतले के लिये विशेष तौर पर आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥</p> आदरणीय समर कबीर जी हमेशा की त…tag:openbooks.ning.com,2015-04-14:5170231:Comment:6417292015-04-14T02:07:46.095Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
आदरणीय समर कबीर जी हमेशा की तरह एक बेहतरीन ग़ज़ल। दिल से दाद हाज़िर है।
आदरणीय समर कबीर जी हमेशा की तरह एक बेहतरीन ग़ज़ल। दिल से दाद हाज़िर है। बेहतरीन गज़ल! मतला उम्दा!शेर द…tag:openbooks.ning.com,2015-04-13:5170231:Comment:6414592015-04-13T16:54:46.677ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://openbooks.ning.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>बेहतरीन गज़ल! मतला उम्दा!शेर दर शेर दाद हाजिर है आदरणीय समर सरजी!</p>
<p></p>
<p>फैले हुए हाथों पे "समर" तंज़ न करना<br/>क्या जानिये बेचारे पे क्या वक़्त पड़ा है लाजवाब मक्ते के लिए अलग से दाद कबूल फरमाए आदरणीय!</p>
<p></p>
<p>आ० समर सर एक अनुरोध है कि आपकी गजल में प्रयोग होने वाले कठिन शब्दों के अर्थ भी दे दिया करे!(ख़ासकर फ़ारसी शब्दों के) ताकि हमें समझने में आसानी रहे और शब्दकोश भी बढे!सादर! समंतो शब्द का अस्ल अर्थ नही मालूम मुझे,बस अंदाजन समझने की कोशिश की!</p>
<p>बेहतरीन गज़ल! मतला उम्दा!शेर दर शेर दाद हाजिर है आदरणीय समर सरजी!</p>
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<p>फैले हुए हाथों पे "समर" तंज़ न करना<br/>क्या जानिये बेचारे पे क्या वक़्त पड़ा है लाजवाब मक्ते के लिए अलग से दाद कबूल फरमाए आदरणीय!</p>
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<p>आ० समर सर एक अनुरोध है कि आपकी गजल में प्रयोग होने वाले कठिन शब्दों के अर्थ भी दे दिया करे!(ख़ासकर फ़ारसी शब्दों के) ताकि हमें समझने में आसानी रहे और शब्दकोश भी बढे!सादर! समंतो शब्द का अस्ल अर्थ नही मालूम मुझे,बस अंदाजन समझने की कोशिश की!</p> बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है आद…tag:openbooks.ning.com,2015-04-13:5170231:Comment:6416502015-04-13T13:28:49.279Zदिनेश कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/0bbsmwu5qzvln
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है आदरणीय समर कबीर सर । लाजवाब मतला,दीगर अशआर भी बहुत प्रभावशाली। वाह वाह वाह। मुबारक सर जी।
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है आदरणीय समर कबीर सर । लाजवाब मतला,दीगर अशआर भी बहुत प्रभावशाली। वाह वाह वाह। मुबारक सर जी।