Comments - मैं अज़ीज़ सबका था , ज़रूरत पे , मगर.......... - Open Books Online2024-03-28T08:24:41Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A629092&xn_auth=noआदरणीय अजय जी ,सुन्दर भावपूर्…tag:openbooks.ning.com,2015-03-12:5170231:Comment:6298162015-03-12T03:30:24.310Zkhursheed khairadihttp://openbooks.ning.com/profile/khursheedkhairadi
<p>आदरणीय अजय जी ,सुन्दर भावपूर्ण ग़ज़ल हुई है |मतले को देखने पर काफ़िया किस्मत\ज़रुरत (अत) है ,,और रदीफ़ ..पे मगर है .....इसी का निर्वहन सभी अशआर में होता तो मज़ा आ जाता (बहर \वज़न की पर गौर अभी नहीं कर रहा हूं )...आ.अजय जी ...अन्यथा न लें .....स्नेह बनाए रखें |सादर .</p>
<p>आदरणीय अजय जी ,सुन्दर भावपूर्ण ग़ज़ल हुई है |मतले को देखने पर काफ़िया किस्मत\ज़रुरत (अत) है ,,और रदीफ़ ..पे मगर है .....इसी का निर्वहन सभी अशआर में होता तो मज़ा आ जाता (बहर \वज़न की पर गौर अभी नहीं कर रहा हूं )...आ.अजय जी ...अन्यथा न लें .....स्नेह बनाए रखें |सादर .</p> बद -गुमानी थी मुझे क़िस्मत पे…tag:openbooks.ning.com,2015-03-11:5170231:Comment:6294912015-03-11T17:38:12.957ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
बद -गुमानी थी मुझे क़िस्मत पे , मगर<br />
मैं अज़ीज़ सबका था , ज़रूरत पे , मगर<br />
वाह ,आदरणीय अजय शर्मा जी , बहुत ही प्रभावशाली ग़ज़ल , बधाई , सादर।
बद -गुमानी थी मुझे क़िस्मत पे , मगर<br />
मैं अज़ीज़ सबका था , ज़रूरत पे , मगर<br />
वाह ,आदरणीय अजय शर्मा जी , बहुत ही प्रभावशाली ग़ज़ल , बधाई , सादर। बद -गुमानी थी मुझे क़िस्मत पे…tag:openbooks.ning.com,2015-03-11:5170231:Comment:6297212015-03-11T17:20:43.976ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://openbooks.ning.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>बद -गुमानी थी मुझे क़िस्मत पे , मगर <br/>मैं अज़ीज़ सबका था , ज़रूरत पे , मगर वाह! वाह!</p>
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<p>हज़ार बार मुझे टोंका उसने , सलाह दी , <br/>ख़याल आया मुझे उसका , ठोकर पे , मगर लाजव़ाब!</p>
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<p>हादिक बधाइयाँ आ० अजय जी</p>
<p>बद -गुमानी थी मुझे क़िस्मत पे , मगर <br/>मैं अज़ीज़ सबका था , ज़रूरत पे , मगर वाह! वाह!</p>
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<p>हज़ार बार मुझे टोंका उसने , सलाह दी , <br/>ख़याल आया मुझे उसका , ठोकर पे , मगर लाजव़ाब!</p>
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<p>हादिक बधाइयाँ आ० अजय जी</p> bahut khushnasibi hai meri ki…tag:openbooks.ning.com,2015-03-11:5170231:Comment:6297112015-03-11T16:27:37.181Zajay sharmahttp://openbooks.ning.com/profile/ajaysharma234
<p>bahut khushnasibi hai meri ki apko rachna pasand aayi</p>
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<p>bahut khushnasibi hai meri ki apko rachna pasand aayi</p>
<p></p> करो गुस्सा या कि नाराज़ हो जा…tag:openbooks.ning.com,2015-03-11:5170231:Comment:6293902015-03-11T12:13:30.361Zmaharshi tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/maharshitripathi815
<p><span>करो गुस्सा या कि नाराज़ हो जायो "अजय" </span><br/><span>सितम जो भी करो , करो खुद पे , मगर,,,,,,,,,,बहुत सुन्दर आपको हार्दिक बधाई आ.अजय शर्मा जी |</span></p>
<p><span>करो गुस्सा या कि नाराज़ हो जायो "अजय" </span><br/><span>सितम जो भी करो , करो खुद पे , मगर,,,,,,,,,,बहुत सुन्दर आपको हार्दिक बधाई आ.अजय शर्मा जी |</span></p> बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय..tag:openbooks.ning.com,2015-03-11:5170231:Comment:6294252015-03-11T08:08:00.514Zविनय कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय..</p>
<p>बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय..</p> Aadarnya Ajay Ji
Sundar rach…tag:openbooks.ning.com,2015-03-11:5170231:Comment:6294232015-03-11T08:00:08.286ZShyam Mathpalhttp://openbooks.ning.com/profile/ShyamMathpal
<p>Aadarnya Ajay Ji</p>
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<p>Sundar rachana ke liye badhai.</p>
<p>Aadarnya Ajay Ji</p>
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<p>Sundar rachana ke liye badhai.</p> अजय शर्मा जी
बहुत बढ़िया गजल ह…tag:openbooks.ning.com,2015-03-11:5170231:Comment:6294202015-03-11T07:04:21.625Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>अजय शर्मा जी</p>
<p>बहुत बढ़िया गजल हुयी i सादर i</p>
<p>अजय शर्मा जी</p>
<p>बहुत बढ़िया गजल हुयी i सादर i</p> आदरणीय अजय जी , सुन्दर प्रयास…tag:openbooks.ning.com,2015-03-11:5170231:Comment:6293652015-03-11T04:43:20.648ZHari Prakash Dubeyhttp://openbooks.ning.com/profile/HariPrakashDubey
<p>आदरणीय अजय जी , सुन्दर प्रयास पर बधाई प्रेषित ! सादर </p>
<p>आदरणीय अजय जी , सुन्दर प्रयास पर बधाई प्रेषित ! सादर </p>