Comments - फागुनी दोहे २ - Open Books Online2024-03-29T13:24:54Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A622055&xn_auth=noअप सभी माननीय जनों का हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2015-02-26:5170231:Comment:6223892015-02-26T05:48:03.338Zkalpna mishra bajpaihttp://openbooks.ning.com/profile/kalpnamishrabajpai
<p>अप सभी माननीय जनों का हार्दिक आभार/सादर </p>
<p>अप सभी माननीय जनों का हार्दिक आभार/सादर </p> आदरणीया कल्पना मिश्रा बाजपेई…tag:openbooks.ning.com,2015-02-25:5170231:Comment:6222742015-02-25T18:16:48.124ZHari Prakash Dubeyhttp://openbooks.ning.com/profile/HariPrakashDubey
<p>आदरणीया कल्पना मिश्रा बाजपेई जी,बहुत ही सुन्दर रचना है , बहुत- बहुत बधाई आपको ! सादर </p>
<p>आदरणीया कल्पना मिश्रा बाजपेई जी,बहुत ही सुन्दर रचना है , बहुत- बहुत बधाई आपको ! सादर </p> आदरणीया कल्पना जी सुन्दर दोहा…tag:openbooks.ning.com,2015-02-25:5170231:Comment:6224102015-02-25T15:52:44.936Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीया कल्पना जी सुन्दर दोहावली की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई </p>
<p>आदरणीया कल्पना जी सुन्दर दोहावली की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई </p> वाह कल्पना जी बहुत सुन्दर दोह…tag:openbooks.ning.com,2015-02-25:5170231:Comment:6223382015-02-25T14:31:54.892Zgumnaam pithoragarhihttp://openbooks.ning.com/profile/gumnaampithoragarhi
<p>वाह कल्पना जी बहुत सुन्दर दोहे रचे हैं ............ बधाई स्वीकारें</p>
<p></p>
<p>वाह कल्पना जी बहुत सुन्दर दोहे रचे हैं ............ बधाई स्वीकारें</p>
<p></p> आदरणीया कल्पना जी फाल्गुनी दो…tag:openbooks.ning.com,2015-02-25:5170231:Comment:6221522015-02-25T13:41:32.012ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीया कल्पना जी फाल्गुनी दोहों की सुंदर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। आदरणीय गोपाल जी द्वारा दिया सुझाव इस प्रस्तुति को ओर भी सुंदर बना देगा ऐसा मेरा विचार है , शेष रचनाकार पर निर्भर है। पुनः आपको हार्दिक बधाई। </p>
<p>आदरणीया कल्पना जी फाल्गुनी दोहों की सुंदर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। आदरणीय गोपाल जी द्वारा दिया सुझाव इस प्रस्तुति को ओर भी सुंदर बना देगा ऐसा मेरा विचार है , शेष रचनाकार पर निर्भर है। पुनः आपको हार्दिक बधाई। </p> आ. कल्पना जी,,,दोहों की द्वि…tag:openbooks.ning.com,2015-02-25:5170231:Comment:6220982015-02-25T12:18:16.092Zmaharshi tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/maharshitripathi815
<p>आ. कल्पना जी,,,दोहों की द्वितीय प्रस्तुति भी कभी अच्छी लगी ,,,,,आपको बधाई | </p>
<p>आ. कल्पना जी,,,दोहों की द्वितीय प्रस्तुति भी कभी अच्छी लगी ,,,,,आपको बधाई | </p> आ० कल्पना जी
इस बार आपने काफी…tag:openbooks.ning.com,2015-02-25:5170231:Comment:6220832015-02-25T10:51:10.250Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० कल्पना जी</p>
<p>इस बार आपने काफी संयम से दोहे रचे i सुन्दर दोहे रचे i फिर भी निम्न संशोधन उचित होगा -</p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">पुलकित मन सबके हुए</span> <span>,<span lang="HI" xml:lang="HI">दिखें प्रेम में लीन ॥-----------------</span></span><span lang="HI" xml:lang="HI">पुलकित मन सबके हुए</span> <span>,सभी <span lang="HI" xml:lang="HI"> प्रेम में लीन ॥</span></span></p>
<p><span><span lang="HI" xml:lang="HI"><span lang="HI" xml:lang="HI">स्वपनीले लगते दिवस…</span></span></span></p>
<p>आ० कल्पना जी</p>
<p>इस बार आपने काफी संयम से दोहे रचे i सुन्दर दोहे रचे i फिर भी निम्न संशोधन उचित होगा -</p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">पुलकित मन सबके हुए</span> <span>,<span lang="HI" xml:lang="HI">दिखें प्रेम में लीन ॥-----------------</span></span><span lang="HI" xml:lang="HI">पुलकित मन सबके हुए</span> <span>,सभी <span lang="HI" xml:lang="HI"> प्रेम में लीन ॥</span></span></p>
<p><span><span lang="HI" xml:lang="HI"><span lang="HI" xml:lang="HI">स्वपनीले लगते दिवस</span> <span>,<span lang="HI" xml:lang="HI">बहे प्रेम रस धार ॥ ---------------- -स्वप्नीले <span lang="HI" xml:lang="HI"> लगते दिवस</span> <span>,<span lang="HI" xml:lang="HI">बहे प्रेम रस धार ॥ ---- सादर i</span></span></span></span></span></span></p>
<p></p>
<p><span> </span></p>
<p><span> </span></p> बहुत सुन्दर दोहे ...बधाईtag:openbooks.ning.com,2015-02-25:5170231:Comment:6220752015-02-25T09:09:07.791ZPari M Shlokhttp://openbooks.ning.com/profile/PariMShlok
बहुत सुन्दर दोहे ...बधाई
बहुत सुन्दर दोहे ...बधाई बहुत सुन्दर..फाल्गुन का रंग च…tag:openbooks.ning.com,2015-02-25:5170231:Comment:6222142015-02-25T07:51:39.744ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://openbooks.ning.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>बहुत सुन्दर..फाल्गुन का रंग चढ़ने लगा है..</p>
<p>बहुत सुन्दर..फाल्गुन का रंग चढ़ने लगा है..</p>