Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T13:34:30Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A615333&xn_auth=noजनाब डा.आशुतोष मिश्रा जी,आदाब…tag:openbooks.ning.com,2015-02-08:5170231:Comment:6154892015-02-08T16:57:45.267ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब डा.आशुतोष मिश्रा जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये बहुत बहुत शुक्रिया |
जनाब डा.आशुतोष मिश्रा जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये बहुत बहुत शुक्रिया | जनाब उमेश कतारा जी,आदाब,ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2015-02-08:5170231:Comment:6155722015-02-08T16:54:27.805ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब उमेश कतारा जी,आदाब,ग़ज़ल पसंद करने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया |
जनाब उमेश कतारा जी,आदाब,ग़ज़ल पसंद करने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया | जनाब गुमनाम पिथोगड़ी जी,आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2015-02-08:5170231:Comment:6154882015-02-08T16:51:26.965ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब गुमनाम पिथोगड़ी जी,आदाब,ग़ज़ल में आपकी शिर्कत से दिल बाग़ बाग़ हो गया,शुक्रिया |
जनाब गुमनाम पिथोगड़ी जी,आदाब,ग़ज़ल में आपकी शिर्कत से दिल बाग़ बाग़ हो गया,शुक्रिया | जनाब डा.विजय शंकर जी,आदाब अर्…tag:openbooks.ning.com,2015-02-08:5170231:Comment:6156762015-02-08T16:45:29.335ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब डा.विजय शंकर जी,आदाब अर्ज़ करता हूँ,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।
जनाब डा.विजय शंकर जी,आदाब अर्ज़ करता हूँ,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। जनाब ख़ुर्शीद ख़ैराड़ी जी,आदाब,आ…tag:openbooks.ning.com,2015-02-08:5170231:Comment:6157532015-02-08T16:40:02.916ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब ख़ुर्शीद ख़ैराड़ी जी,आदाब,आपने मेरी आवाज़ को सुन लिया,तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।
जनाब ख़ुर्शीद ख़ैराड़ी जी,आदाब,आपने मेरी आवाज़ को सुन लिया,तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। मोहतरमा प्रतिभा त्रिपाठि जी,आ…tag:openbooks.ning.com,2015-02-08:5170231:Comment:6154872015-02-08T16:32:41.093ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
मोहतरमा प्रतिभा त्रिपाठि जी,आदाब अर्ज़ करता हूँ,आपने मेरी ग़ज़ल को अपना क़ीमती समय दिया,तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।
मोहतरमा प्रतिभा त्रिपाठि जी,आदाब अर्ज़ करता हूँ,आपने मेरी ग़ज़ल को अपना क़ीमती समय दिया,तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। नज़र के सामने रहता है लेकिनकभी…tag:openbooks.ning.com,2015-02-08:5170231:Comment:6154832015-02-08T15:34:28.618ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p><span>नज़र के सामने रहता है लेकिन</span><br/><span>कभी हमने उसे देखा नहीं है</span><br/><span>ये दुनिया है संभल कर पाँव रखना</span><br/><span>तुम्हारे घर का बाग़ीचा नहीं है</span><br/><span>मैं अपनी क़ब्र में लेटा हुवा हूँ</span><br/><span>मुझे अब कोई अन्देशा नहीं है........................हर शेर उम्दा है इस शानदार ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई सादर </span></p>
<p><span>नज़र के सामने रहता है लेकिन</span><br/><span>कभी हमने उसे देखा नहीं है</span><br/><span>ये दुनिया है संभल कर पाँव रखना</span><br/><span>तुम्हारे घर का बाग़ीचा नहीं है</span><br/><span>मैं अपनी क़ब्र में लेटा हुवा हूँ</span><br/><span>मुझे अब कोई अन्देशा नहीं है........................हर शेर उम्दा है इस शानदार ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई सादर </span></p> वाहtag:openbooks.ning.com,2015-02-08:5170231:Comment:6156672015-02-08T14:32:01.795Zumesh katarahttp://openbooks.ning.com/profile/umeshkatara437
<p>वाह</p>
<p>वाह</p> मैं अपनी क़ब्र में लेटा हुवा ह…tag:openbooks.ning.com,2015-02-08:5170231:Comment:6157322015-02-08T14:04:15.268Zgumnaam pithoragarhihttp://openbooks.ning.com/profile/gumnaampithoragarhi
मैं अपनी क़ब्र में लेटा हुवा हूँ<br />
मुझे अब कोई अन्देशा नहीं है<br />
<br />
नज़र के सामने रहता है लेकिन<br />
कभी हमने उसे देखा नहीं है<br />
<br />
बधाई ,आदरणीय समर कबीर जी, सादर।
मैं अपनी क़ब्र में लेटा हुवा हूँ<br />
मुझे अब कोई अन्देशा नहीं है<br />
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नज़र के सामने रहता है लेकिन<br />
कभी हमने उसे देखा नहीं है<br />
<br />
बधाई ,आदरणीय समर कबीर जी, सादर। सभी शेर बहुत अच्छे हैं, यह तो…tag:openbooks.ning.com,2015-02-08:5170231:Comment:6156552015-02-08T12:43:55.735ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
सभी शेर बहुत अच्छे हैं, यह तो कुछ और भी ,<br />
नज़र के सामने रहता है लेकिन<br />
कभी हमने उसे देखा नहीं है<br />
बधाई ,आदरणीय समर कबीर जी, सादर।
सभी शेर बहुत अच्छे हैं, यह तो कुछ और भी ,<br />
नज़र के सामने रहता है लेकिन<br />
कभी हमने उसे देखा नहीं है<br />
बधाई ,आदरणीय समर कबीर जी, सादर।