Comments - नवगीत : सूरज रे जलते रहना. - Open Books Online2024-03-29T06:04:54Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A603192&xn_auth=noआदरणीय khursheed khairadi साह…tag:openbooks.ning.com,2015-01-10:5170231:Comment:6041252015-01-10T10:35:34.815Zharivallabh sharmahttp://openbooks.ning.com/profile/harivallabhsharma
<p>आदरणीय khursheed khairadi साहब आपका कुशल मार्गदर्शन मिला आपका हार्दिक आभार.</p>
<p>आदरणीय khursheed khairadi साहब आपका कुशल मार्गदर्शन मिला आपका हार्दिक आभार.</p> आदरणीय somesh kumar जी आपने स…tag:openbooks.ning.com,2015-01-10:5170231:Comment:6039662015-01-10T10:34:09.453Zharivallabh sharmahttp://openbooks.ning.com/profile/harivallabhsharma
<p>आदरणीय somesh kumar जी आपने सुन्दर समीक्षा कर रचना धर्मिता को बल दिया..आपका हार्दिक आभार.</p>
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<p>आदरणीय somesh kumar जी आपने सुन्दर समीक्षा कर रचना धर्मिता को बल दिया..आपका हार्दिक आभार.</p>
<p></p> आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपका…tag:openbooks.ning.com,2015-01-10:5170231:Comment:6041242015-01-10T10:32:20.490Zharivallabh sharmahttp://openbooks.ning.com/profile/harivallabhsharma
<p>आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपका कुशल मार्गदर्शन कलम को शक्ति दे रहा है..कृपया स्नेह बनाए रखें सादर.</p>
<p>आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपका कुशल मार्गदर्शन कलम को शक्ति दे रहा है..कृपया स्नेह बनाए रखें सादर.</p> आदरणीय Sushil Sarna जी आपका ह…tag:openbooks.ning.com,2015-01-10:5170231:Comment:6039002015-01-10T10:30:05.915Zharivallabh sharmahttp://openbooks.ning.com/profile/harivallabhsharma
<p>आदरणीय Sushil Sarna जी आपका हार्दिक आभार आपका स्नेह मिला </p>
<p>आदरणीय Sushil Sarna जी आपका हार्दिक आभार आपका स्नेह मिला </p> आदरणीय डॉ.गोपाल नारायन श्रीवा…tag:openbooks.ning.com,2015-01-10:5170231:Comment:6041232015-01-10T10:28:48.608Zharivallabh sharmahttp://openbooks.ning.com/profile/harivallabhsharma
<p>आदरणीय डॉ.गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , आपका ह्रदय से आभार..आपने रचना को स्नेह देकर सार्थक किया.सादर.</p>
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<p>आदरणीय डॉ.गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , आपका ह्रदय से आभार..आपने रचना को स्नेह देकर सार्थक किया.सादर.</p>
<p></p> आदरणीय laxman dhami जी आपका स…tag:openbooks.ning.com,2015-01-10:5170231:Comment:6040222015-01-10T10:26:44.639Zharivallabh sharmahttp://openbooks.ning.com/profile/harivallabhsharma
<p>आदरणीय laxman dhami जी आपका स्नेह नवगीत को मिला आपका हार्दिक आभार...सादर.</p>
<p>आदरणीय laxman dhami जी आपका स्नेह नवगीत को मिला आपका हार्दिक आभार...सादर.</p> छीन रहे हैं स्वर्ण चंदोवा,
मल…tag:openbooks.ning.com,2015-01-09:5170231:Comment:6039222015-01-09T05:39:13.265Zkhursheed khairadihttp://openbooks.ning.com/profile/khursheedkhairadi
<p>छीन रहे हैं स्वर्ण चंदोवा,</p>
<p>मल्टी वाले मुस्टंडे.</p>
<p>सीलन ठिठुरन शीत नमी सब,</p>
<p>झुग्गी वाले हैं ठन्डे.</p>
<p>फैले बरगद के नीचे के,</p>
<p>तिनकों की सुनते रहना.</p>
<p>सूरज रे जलते रहना.</p>
<p>आदरणीय हरिवल्लभ सर जी सभी पदों में नये और अछूते प्रयोग किये गये है ,जो मन को बहुत भाए, बधाई |सादर अभिनन्दन | </p>
<p>छीन रहे हैं स्वर्ण चंदोवा,</p>
<p>मल्टी वाले मुस्टंडे.</p>
<p>सीलन ठिठुरन शीत नमी सब,</p>
<p>झुग्गी वाले हैं ठन्डे.</p>
<p>फैले बरगद के नीचे के,</p>
<p>तिनकों की सुनते रहना.</p>
<p>सूरज रे जलते रहना.</p>
<p>आदरणीय हरिवल्लभ सर जी सभी पदों में नये और अछूते प्रयोग किये गये है ,जो मन को बहुत भाए, बधाई |सादर अभिनन्दन | </p> छीन रहे हैं स्वर्ण चंदोवा,
मल…tag:openbooks.ning.com,2015-01-08:5170231:Comment:6038122015-01-08T11:06:15.331Zsomesh kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/someshkuar
<p>छीन रहे हैं स्वर्ण चंदोवा,</p>
<p>मल्टी वाले मुस्टंडे.</p>
<p>सीलन ठिठुरन शीत नमी सब,</p>
<p>झुग्गी वाले हैं ठन्डे.</p>
<p>फैले बरगद के नीचे के,</p>
<p>तिनकों की सुनते रहना.</p>
<p>सूरज रे जलते रहना.</p>
<p> </p>
<p>धुंध धुंआ पाला कुहरा सब.</p>
<p>कष्टों का अम्बार लिए.</p>
<p>कहर ढा रहे ओले बादल,</p>
<p>अपना शस्त्रागार लिए.</p>
<p>शोषण करते इन दुष्टों से.</p>
<p>चौकस हो लड़ते रहना.</p>
<p>सूरज रे जलते रहना.</p>
<p> बहुत ही मनोहरी पंक्ति हैं ये इस नवगीत की ,प्रार्थना है की सूरज रे जलते…</p>
<p>छीन रहे हैं स्वर्ण चंदोवा,</p>
<p>मल्टी वाले मुस्टंडे.</p>
<p>सीलन ठिठुरन शीत नमी सब,</p>
<p>झुग्गी वाले हैं ठन्डे.</p>
<p>फैले बरगद के नीचे के,</p>
<p>तिनकों की सुनते रहना.</p>
<p>सूरज रे जलते रहना.</p>
<p> </p>
<p>धुंध धुंआ पाला कुहरा सब.</p>
<p>कष्टों का अम्बार लिए.</p>
<p>कहर ढा रहे ओले बादल,</p>
<p>अपना शस्त्रागार लिए.</p>
<p>शोषण करते इन दुष्टों से.</p>
<p>चौकस हो लड़ते रहना.</p>
<p>सूरज रे जलते रहना.</p>
<p> बहुत ही मनोहरी पंक्ति हैं ये इस नवगीत की ,प्रार्थना है की सूरज रे जलते रहना </p> बहुत सुन्दर भाव पूर्ण गीत रच…tag:openbooks.ning.com,2015-01-08:5170231:Comment:6033982015-01-08T07:59:45.586Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>बहुत सुन्दर भाव पूर्ण गीत रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ , आदरणीय हरिवल्लभ भाई । </p>
<p>बहुत सुन्दर भाव पूर्ण गीत रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ , आदरणीय हरिवल्लभ भाई । </p> बहुत ही सुंदर भावों से सजे इस…tag:openbooks.ning.com,2015-01-08:5170231:Comment:6035582015-01-08T07:16:06.903ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>बहुत ही सुंदर भावों से सजे इस नवगीत के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय। </p>
<p>बहुत ही सुंदर भावों से सजे इस नवगीत के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय। </p>