Comments - काल ग्रास होकर(चोका) - Open Books Online2024-03-28T23:22:53Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A601410&xn_auth=noआदरणीय रमेश भाई , बढ़िया रचना…tag:openbooks.ning.com,2015-01-01:5170231:Comment:6016582015-01-01T15:50:52.777Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय रमेश भाई , बढ़िया रचना हुई है , रचना के भाव भे बहुत सुन्दर लगे , हार्दिक बधाई ॥</p>
<p>आदरणीय रमेश भाई , बढ़िया रचना हुई है , रचना के भाव भे बहुत सुन्दर लगे , हार्दिक बधाई ॥</p> आप सभी का इस उत्साह वर्धन के…tag:openbooks.ning.com,2015-01-01:5170231:Comment:6017232015-01-01T14:40:13.727Zरमेश कुमार चौहानhttp://openbooks.ning.com/profile/Rameshkumarchauhan
<p>आप सभी का इस उत्साह वर्धन के लिये सादर आभार</p>
<p>आप सभी का इस उत्साह वर्धन के लिये सादर आभार</p> आदरणीय रमेश चौहान जी , विधान…tag:openbooks.ning.com,2015-01-01:5170231:Comment:6013892015-01-01T08:54:03.239Zkhursheed khairadihttp://openbooks.ning.com/profile/khursheedkhairadi
<p>आदरणीय रमेश चौहान जी , विधान का बख़ूबी निर्वहन करते हुये ,भावों को बड़े जतन के साथ सहेजा है आपने |अति सुन्दर |सादर अभिनन्दन </p>
<p>आदरणीय रमेश चौहान जी , विधान का बख़ूबी निर्वहन करते हुये ,भावों को बड़े जतन के साथ सहेजा है आपने |अति सुन्दर |सादर अभिनन्दन </p> आदरणीय रमेश भैया बहुत अच्छी भ…tag:openbooks.ning.com,2015-01-01:5170231:Comment:6015092015-01-01T02:24:51.366Zशिज्जु "शकूर"http://openbooks.ning.com/profile/ShijjuS
<p>आदरणीय रमेश भैया बहुत अच्छी भावपूर्ण रचना है बहुत बहुत बधाई आपको</p>
<p>आदरणीय रमेश भैया बहुत अच्छी भावपूर्ण रचना है बहुत बहुत बधाई आपको</p> आदरणीय रमेश चौहान जी चोका मेर…tag:openbooks.ning.com,2014-12-31:5170231:Comment:6011952014-12-31T14:54:03.500Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
आदरणीय रमेश चौहान जी चोका मेरे लिए नई विधा है इसलिए विलम्ब से कमेंट कर रहा हूँ। इसका विधान भारतीय छंद की पोस्ट में पढ़ा ।5+7+5...5+7+5+7+7 का विन्यास आपने खूब निभाया है। भावाभिव्यक्ति तो बेहतरीन है ही। इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। मेरा इस नई विधा की ओर आकर्षण बढ़ने लगा है इसके लिए आपका आभार भी।
आदरणीय रमेश चौहान जी चोका मेरे लिए नई विधा है इसलिए विलम्ब से कमेंट कर रहा हूँ। इसका विधान भारतीय छंद की पोस्ट में पढ़ा ।5+7+5...5+7+5+7+7 का विन्यास आपने खूब निभाया है। भावाभिव्यक्ति तो बेहतरीन है ही। इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। मेरा इस नई विधा की ओर आकर्षण बढ़ने लगा है इसके लिए आपका आभार भी। आदरणीय रमेश चौहान जी,सुन्दर प…tag:openbooks.ning.com,2014-12-31:5170231:Comment:6012592014-12-31T14:09:54.601ZHari Prakash Dubeyhttp://openbooks.ning.com/profile/HariPrakashDubey
<p><span>आदरणीय रमेश चौहान जी,सुन्दर प्रयास ,हार्दिक बधाई !</span></p>
<p><span>आदरणीय रमेश चौहान जी,सुन्दर प्रयास ,हार्दिक बधाई !</span></p> सबका आने वाला वक्त ,आईना बता…tag:openbooks.ning.com,2014-12-31:5170231:Comment:6012542014-12-31T10:51:30.342Zsomesh kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/someshkuar
<p>सबका आने वाला वक्त ,आईना बता देता है यानि आत्म-अवलोकन से </p>
<p>सबका आने वाला वक्त ,आईना बता देता है यानि आत्म-अवलोकन से </p> सच ही तो है. वक़्त आईने में दि…tag:openbooks.ning.com,2014-12-31:5170231:Comment:6011682014-12-31T05:34:05.281ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
सच ही तो है. वक़्त आईने में दिखाई नहीं देता है, सिर्फ अपने हस्ताक्षर छोड़ता है.<br />
बधाई , इस रचना पर, आदरणीय रमेश चौहान जी , सादर।
सच ही तो है. वक़्त आईने में दिखाई नहीं देता है, सिर्फ अपने हस्ताक्षर छोड़ता है.<br />
बधाई , इस रचना पर, आदरणीय रमेश चौहान जी , सादर।