Comments - साँसों के संबंध का , बस इतना अनुवाद.............. - Open Books Online2024-03-29T15:05:40Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A584532&xn_auth=noअच्छी कोशिशtag:openbooks.ning.com,2014-11-02:5170231:Comment:5851302014-11-02T03:54:42.410Zsomesh kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/someshkuar
<p>अच्छी कोशिश</p>
<p>अच्छी कोशिश</p> giriraj ji apka kaha sir mat…tag:openbooks.ning.com,2014-11-01:5170231:Comment:5850042014-11-01T17:07:25.336Zajay sharmahttp://openbooks.ning.com/profile/ajaysharma234
<p>giriraj ji apka kaha sir mathe ......follow avshya karoonga ....</p>
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<p>giriraj ji apka kaha sir mathe ......follow avshya karoonga ....</p>
<p></p> आदरणीय अजय भाई , बहुत जानदार…tag:openbooks.ning.com,2014-11-01:5170231:Comment:5849492014-11-01T03:08:45.423Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय अजय भाई , बहुत जानदार बातें कही है आपने दोहों के माध्यम से , आपको बधाइयाँ । शिल्प के विषयमे आ. गोपाल भाई बता चुके हैं , जरूर ध्यान दीजियेगा ।</p>
<p>आदरणीय अजय भाई , बहुत जानदार बातें कही है आपने दोहों के माध्यम से , आपको बधाइयाँ । शिल्प के विषयमे आ. गोपाल भाई बता चुके हैं , जरूर ध्यान दीजियेगा ।</p> pahli baar hi prayas kiya hai…tag:openbooks.ning.com,2014-10-30:5170231:Comment:5846052014-10-30T17:16:34.291Zajay sharmahttp://openbooks.ning.com/profile/ajaysharma234
<p>pahli baar hi prayas kiya hai ...dohawali .....par ....adar. Dr. gopal ji ke sujhav par karya karoonga .....</p>
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<p>pahli baar hi prayas kiya hai ...dohawali .....par ....adar. Dr. gopal ji ke sujhav par karya karoonga .....</p>
<p></p> बहुत सुन्दर प्रस्तुति आ० डॉ ग…tag:openbooks.ning.com,2014-10-30:5170231:Comment:5847272014-10-30T15:52:15.439Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>बहुत सुन्दर प्रस्तुति आ० डॉ गोपाल नारायण जी के सुझाव ध्यातव्य हैं शिल्प पर सधकर उन्नत दोहावली निखर कर आएगी |बहुत बहुत बधाई आपको </p>
<p>बहुत सुन्दर प्रस्तुति आ० डॉ गोपाल नारायण जी के सुझाव ध्यातव्य हैं शिल्प पर सधकर उन्नत दोहावली निखर कर आएगी |बहुत बहुत बधाई आपको </p> बढ़िया , छंद विधान की जानकारी…tag:openbooks.ning.com,2014-10-30:5170231:Comment:5845912014-10-30T15:40:25.558ZSaarthi Baidyanathhttp://openbooks.ning.com/profile/saarthibaidyanath
<p>बढ़िया , छंद विधान की जानकारी तो मुझे भी नहीं है ! ... चलिए दोनों सीखते हैं ! बहुत बढ़िया प्रयास !</p>
<p>बढ़िया , छंद विधान की जानकारी तो मुझे भी नहीं है ! ... चलिए दोनों सीखते हैं ! बहुत बढ़िया प्रयास !</p> हर गरीब हो जाए इस , धरती पे…tag:openbooks.ning.com,2014-10-30:5170231:Comment:5845682014-10-30T11:25:15.239Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
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<p>हर गरीब हो जाए इस , धरती पे संपन्न..>>>>>हर गरीब हो जाय इस , धरती पर संपन्न >>>> ए दो मात्राये हैं</p>
<p>मिला मुझे जैसा भी जो , स्वीकारा बे-खोट>>>> जो कोई जैसा मिला , स्वीकारा बेखोट >>>>> विषम चरणान्त 222 नहीं होता</p>
<p>इसलिए शायद हृदय , पाया मेरा चोट>>>>>>इसीलिये मेरा हृदय , पाया शायद चोट >>>>>>विषम चरण में 13 मात्राएँ चाहिए</p>
<p>भूल गयीं जैसे लगे , ये लंबा कोई…</p>
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<p>हर गरीब हो जाए इस , धरती पे संपन्न..>>>>>हर गरीब हो जाय इस , धरती पर संपन्न >>>> ए दो मात्राये हैं</p>
<p>मिला मुझे जैसा भी जो , स्वीकारा बे-खोट>>>> जो कोई जैसा मिला , स्वीकारा बेखोट >>>>> विषम चरणान्त 222 नहीं होता</p>
<p>इसलिए शायद हृदय , पाया मेरा चोट>>>>>>इसीलिये मेरा हृदय , पाया शायद चोट >>>>>>विषम चरण में 13 मात्राएँ चाहिए</p>
<p>भूल गयीं जैसे लगे , ये लंबा कोई हिसाब>>>>भूल गयी जैसे लगे , लम्बा एक हिसाब >>>>>> सम चरण में 11 मात्राये चाहिये</p>
<p>ख़्वाबों का हो जाए भी , फिर चाहे अवसान>>>ख़्वाबों का हो जाए फिर,भी चाहे अवसान>>>विषम चरणान्त 222 नहीं होता</p>
<p>इक पल तेरी आँख में , मिल जाए स्थान>>>>>इक पल तेरी आँख में , मिल जाए यदि स्थान>>>सम चरण में 11 मात्राये चाहिये</p>
<p>जीवन भर की दोस्ती , इक पल का संवाद>>>जीवन भर की मित्रता , इक पल का संवाद>>>>विषम चरणान्त 222 नहीं होता</p>
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<p>ओ बो ओ साईट में समूह कें अंतर्गत छंद विधान में दोहों का शिल्प उपलब्ध है i कृपया उसे पढ़े i सस्नेह i</p>
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<p></p> वाहहहtag:openbooks.ning.com,2014-10-30:5170231:Comment:5843062014-10-30T04:03:40.256Zumesh katarahttp://openbooks.ning.com/profile/umeshkatara437
<p>वाहहह</p>
<p>वाहहह</p>