Comments - बस बात करें हम हिन्दी की - Open Books Online2024-03-28T16:21:27Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A569779&xn_auth=noगीत हिन्दी दिवस को ध्यान में…tag:openbooks.ning.com,2014-09-02:5170231:Comment:5724872014-09-02T16:07:02.032Zसूबे सिंह सुजानhttp://openbooks.ning.com/profile/2fvsz8v20bb3q
<p>गीत हिन्दी दिवस को ध्यान में रखकर बहुत अच्छा लिखा, है लेकिन हिन्दी की कमियों को समय समय पर दूर करते रहना हमारा कर्त्व्य है। मेरा विचार है कि ओपनबुक्स भी हिन्दी भाषा के लिये विद्यलयों में हिन्दी पर प्रतियोगिता प्रारम्भ करे। जिससे हम हिन्</p>
<p>गीत हिन्दी दिवस को ध्यान में रखकर बहुत अच्छा लिखा, है लेकिन हिन्दी की कमियों को समय समय पर दूर करते रहना हमारा कर्त्व्य है। मेरा विचार है कि ओपनबुक्स भी हिन्दी भाषा के लिये विद्यलयों में हिन्दी पर प्रतियोगिता प्रारम्भ करे। जिससे हम हिन्</p> लिख तो आदरणीय हन्नी सिंह जी भ…tag:openbooks.ning.com,2014-09-02:5170231:Comment:5723832014-09-02T15:10:54.893ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>लिख तो आदरणीय हन्नी सिंह जी भी रहे हैं ..वो भी हिंदी में ...बिना व्याकरण के ..<br></br>मैंने कभी नहीं कहा कि क्लिष्ट शब्द हों ..लेकिन तुकांतता के नाम पर कुछ भी परोसा जाए तो हिंदी का भला होना तो दूर, नए लोग और कतराएंगे.<br></br>शब्दों की क्लिष्टता, छंद का विधान दो अलग अलग बाते हैं और तीसरी अलग बात है हिंदी का अपना व्याकरण..जहाँ से भाषा शुरू हो रही है ....यदि वो ही सही नहीं है तो हिंदी के पाँव दबा रहे हैं या गला ..ये आपको तय करना है ..<br></br>यदि लिंग भी नहीं देखना है तो लिखना ही क्यूँ है ??<br></br>सादर…</p>
<p>लिख तो आदरणीय हन्नी सिंह जी भी रहे हैं ..वो भी हिंदी में ...बिना व्याकरण के ..<br/>मैंने कभी नहीं कहा कि क्लिष्ट शब्द हों ..लेकिन तुकांतता के नाम पर कुछ भी परोसा जाए तो हिंदी का भला होना तो दूर, नए लोग और कतराएंगे.<br/>शब्दों की क्लिष्टता, छंद का विधान दो अलग अलग बाते हैं और तीसरी अलग बात है हिंदी का अपना व्याकरण..जहाँ से भाषा शुरू हो रही है ....यदि वो ही सही नहीं है तो हिंदी के पाँव दबा रहे हैं या गला ..ये आपको तय करना है ..<br/>यदि लिंग भी नहीं देखना है तो लिखना ही क्यूँ है ??<br/>सादर </p> आदरणी निलेश शेवगांवकरजी
सादर…tag:openbooks.ning.com,2014-09-02:5170231:Comment:5723802014-09-02T13:34:00.194ZDr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul'http://openbooks.ning.com/profile/DrGopalKrishnaBhattAakul
<p>आदरणी निलेश शेवगांवकरजी</p>
<p>सादर ई प्रणाम। आपका संशय कई मायनों में वाजिब है। यहाँ इसे समान करें, यज्ञ करें और ध्वज फहरायें से हिंदी को नहीं जोड़े। इसे पुर्लिंग या स्त्रीलिंग से जोड़ेगे तो कई मायने निकलेंगे, विशेषण के रूप में देखें तो अलग रूप में समझ पायेंगे। जहाँ तक आपका संशय है हिंदी की सम्प्रभुता का ध्वज फहरायें---, हिंदी की जनजाग्रति का यज्ञ करें------ आज---सभी हिंदी में अच्छा लिख रहे हैं---उत्कृष्ट या निकृष्ट जो भी लिखा जा रहा है---- आज हिंदी को लिखने की बात करें बस--उत्कृष्ट…</p>
<p>आदरणी निलेश शेवगांवकरजी</p>
<p>सादर ई प्रणाम। आपका संशय कई मायनों में वाजिब है। यहाँ इसे समान करें, यज्ञ करें और ध्वज फहरायें से हिंदी को नहीं जोड़े। इसे पुर्लिंग या स्त्रीलिंग से जोड़ेगे तो कई मायने निकलेंगे, विशेषण के रूप में देखें तो अलग रूप में समझ पायेंगे। जहाँ तक आपका संशय है हिंदी की सम्प्रभुता का ध्वज फहरायें---, हिंदी की जनजाग्रति का यज्ञ करें------ आज---सभी हिंदी में अच्छा लिख रहे हैं---उत्कृष्ट या निकृष्ट जो भी लिखा जा रहा है---- आज हिंदी को लिखने की बात करें बस--उत्कृष्ट लिखा जाना भयावह हो सकता है-------सामान्य हिंदी लिख कर उसे थोड़ा तुकांत कर दें तो शायद लोग लिखने लग जायेंगे-----उन्हें लिखने दीजिए---- उत्कृष्ट बहुत क्लिष्ट भी हो जाता है---जैसे सौरभ पाण्डेयजी का हाल का हिंदी पखवाड़े पर नवगीत पढ़ें---कितने उसे समझेंगे कितने आत्मसात करेंगे------ मेरा गीत ही देखें---यह जीवन महावटवृक्ष है----कितने इसकी गूढता को समझ पायेंगे----उत्कृष्ट रचनायें लेखनी स्वत: लिख जाती है----- बस आपकी अंतर्दृष्टि गहन हो---------अन्यथा नहीं लेंगे--------आपके विचारों से इत्तेफ़ाक रखता हूँ----- आज सर्वाधिक गीतों (फिल्मी) में इस तरह के बहुत प्रयोग हुए हैं--- जहाँ त्रुटियाँ क्षम्य नहीं होती-------फिर भी प्रयोग के नाम पर लिखा जा रहा है------- इसलिए बहुत ज्यादा व्याकरणिक भी नहीं होना चाहिए। कोई भी व्याकरिणक ज्ञान लेने के बाद लेखन का आरंभ नहीं करता---ऐसा मेरा मानना है। किमधिकम्।</p> आदरणीय ..आपके मनोभाव से पूर्ण…tag:openbooks.ning.com,2014-08-29:5170231:Comment:5704992014-08-29T03:02:08.406ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आदरणीय ..आपके मनोभाव से पूर्ण सहमती रखते हुए कुछ बाते साझा करना चाहता हूँ ... <br></br><br></br></p>
<p>बस सर्वोपरि सम्मान करें,</p>
<p>हम हिन्दुस्तानी, हिन्दी की..... सम्मान करें..हिंदी की ..क्या ये व्याकरण सम्मत है ??</p>
<p>बस जन जाग्रति का यज्ञ करें,</p>
<p>हम हिन्दुस्तानी, हिन्दी की।..यज्ञ करें.... हिंदी की ...क्या ये व्याकरण सम्मत है ??</p>
<p>सम्प्रभुता का ध्वज फहरायें,</p>
<p>हम हिन्दुस्तानी, हिन्दी की।।..ध्वज फ़हराए ..हिंदी की ..क्या ये व्याकरण सम्मत है ??</p>
<p><br></br>हिंदी का…</p>
<p>आदरणीय ..आपके मनोभाव से पूर्ण सहमती रखते हुए कुछ बाते साझा करना चाहता हूँ ... <br/><br/></p>
<p>बस सर्वोपरि सम्मान करें,</p>
<p>हम हिन्दुस्तानी, हिन्दी की..... सम्मान करें..हिंदी की ..क्या ये व्याकरण सम्मत है ??</p>
<p>बस जन जाग्रति का यज्ञ करें,</p>
<p>हम हिन्दुस्तानी, हिन्दी की।..यज्ञ करें.... हिंदी की ...क्या ये व्याकरण सम्मत है ??</p>
<p>सम्प्रभुता का ध्वज फहरायें,</p>
<p>हम हिन्दुस्तानी, हिन्दी की।।..ध्वज फ़हराए ..हिंदी की ..क्या ये व्याकरण सम्मत है ??</p>
<p><br/>हिंदी का सम्मान होना चाहिए और वो तब हो पाएगा जब हिंदी रचनाकार हिंदी में उत्कृष्ट रचनाएँ लिखेंगे ..<br/>सादर </p> आदरणीय गोपाल कृष्ण भाई
हिन्द…tag:openbooks.ning.com,2014-08-27:5170231:Comment:5704152014-08-27T07:23:03.517Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय गोपाल कृष्ण भाई </p>
<p>हिन्दी की सुंदर महिमा गाई , हृदय से मेरी बधाई ।</p>
<p>बोलें और लिखें हिन्दी, हिन्दी में करें हस्ताक्षर। </p>
<p>न बदले कभी उच्चारण, ऐसे हिन्दी के अक्षर॥ </p>
<p>आदरणीय गोपाल कृष्ण भाई </p>
<p>हिन्दी की सुंदर महिमा गाई , हृदय से मेरी बधाई ।</p>
<p>बोलें और लिखें हिन्दी, हिन्दी में करें हस्ताक्षर। </p>
<p>न बदले कभी उच्चारण, ऐसे हिन्दी के अक्षर॥ </p> हमारी मातृभाषा हिंदी की गरिमा…tag:openbooks.ning.com,2014-08-27:5170231:Comment:5703262014-08-27T04:54:31.496Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>हमारी मातृभाषा हिंदी की गरिमा पर बहुत सुंदर पंक्तियाँ. बधाई व् धन्यवाद आदरणीय डा.गोपाल कृष्ण जी</p>
<p>हमारी मातृभाषा हिंदी की गरिमा पर बहुत सुंदर पंक्तियाँ. बधाई व् धन्यवाद आदरणीय डा.गोपाल कृष्ण जी</p>