Comments - कहाँ होती मुहब्बत और कैसी कुर्बतें होतीं (ग़ज़ल 'राज') - Open Books Online2024-03-29T01:59:53Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A554062&xn_auth=noआ० धर्मेन्द्र कुमार जी,ग़ज़ल पर…tag:openbooks.ning.com,2014-07-31:5170231:Comment:5635162014-07-31T14:48:58.578Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आ० धर्मेन्द्र कुमार जी,ग़ज़ल पर आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया से उत्साहित हूँ खेद है देर से देखी ,तहे दिल से आभारी हूँ |</p>
<p>आ० धर्मेन्द्र कुमार जी,ग़ज़ल पर आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया से उत्साहित हूँ खेद है देर से देखी ,तहे दिल से आभारी हूँ |</p> अच्छी ग़ज़ल हुई है राजेश कुमारी…tag:openbooks.ning.com,2014-07-20:5170231:Comment:5604902014-07-20T09:55:16.806Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है राजेश कुमारी जी, दाद कुबूल कीजिए।</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है राजेश कुमारी जी, दाद कुबूल कीजिए।</p> आ० संतलाल करुण जी ,आपसे दाद प…tag:openbooks.ning.com,2014-07-20:5170231:Comment:5605632014-07-20T05:24:27.884Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आ० संतलाल करुण जी ,आपसे दाद पाकर ग़ज़ल धन्य हुई,मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से आभारी हूँ सादर | </p>
<p>आ० संतलाल करुण जी ,आपसे दाद पाकर ग़ज़ल धन्य हुई,मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से आभारी हूँ सादर | </p> आदरणीया राजेश कुमारी जी,
आप…tag:openbooks.ning.com,2014-07-20:5170231:Comment:5605552014-07-20T04:02:54.459ZSantlal Karunhttp://openbooks.ning.com/profile/SantlalKarun
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी, </p>
<p>आप ने उस एक नूर की नूरी की हर जगह मौजूदगी पर बहुत बढ़िया ग़ज़ल पेश की है ---</p>
<p>"नहीं जीवन बनाता तू धड़कता फिर कहाँ से दिल</p>
<p>न कोई ख़्वाब ही पलते न कोई हसरतें होतीं </p>
<p> </p>
<p>जो तेरे हाथ शानों पर नहीं होते अगर मेरे </p>
<p>कहाँ से होंसला होता कहाँ ये हिम्मतें होतीं"</p>
<p>... हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !</p>
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी, </p>
<p>आप ने उस एक नूर की नूरी की हर जगह मौजूदगी पर बहुत बढ़िया ग़ज़ल पेश की है ---</p>
<p>"नहीं जीवन बनाता तू धड़कता फिर कहाँ से दिल</p>
<p>न कोई ख़्वाब ही पलते न कोई हसरतें होतीं </p>
<p> </p>
<p>जो तेरे हाथ शानों पर नहीं होते अगर मेरे </p>
<p>कहाँ से होंसला होता कहाँ ये हिम्मतें होतीं"</p>
<p>... हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !</p> प्रिय प्राची जी ,आपको ग़ज़ल प्र…tag:openbooks.ning.com,2014-07-08:5170231:Comment:5571362014-07-08T16:59:11.922Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>प्रिय प्राची जी ,आपको ग़ज़ल प्रभावित कर सकी ,मेरा लिखना सार्थक हुआ आपकी प्रतिक्रिया हेतु ह्रदय तल से आभार |</p>
<p>प्रिय प्राची जी ,आपको ग़ज़ल प्रभावित कर सकी ,मेरा लिखना सार्थक हुआ आपकी प्रतिक्रिया हेतु ह्रदय तल से आभार |</p> आदरणीया राजेश जी
बहुत कमाल…tag:openbooks.ning.com,2014-07-08:5170231:Comment:5569292014-07-08T11:41:06.346ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>आदरणीया राजेश जी </p>
<p></p>
<p>बहुत कमाल की ग़ज़ल हुई है...हर शेर जिस सच्चाई से , गहराई से, ऊंचाई से हुआ है...... उस पर मन मुग्ध है </p>
<p>कज़ा की डोर हाथों में नहीं लेता अगर मालिक </p>
<p>अमर होती कहर ढ़ाती विषैली ताकतें होतीं................वाह </p>
<p></p>
<p>बहुत बहुत बधाई लीजिये इस बेमिसाल ग़ज़ल पर.</p>
<p>सादर.</p>
<p>आदरणीया राजेश जी </p>
<p></p>
<p>बहुत कमाल की ग़ज़ल हुई है...हर शेर जिस सच्चाई से , गहराई से, ऊंचाई से हुआ है...... उस पर मन मुग्ध है </p>
<p>कज़ा की डोर हाथों में नहीं लेता अगर मालिक </p>
<p>अमर होती कहर ढ़ाती विषैली ताकतें होतीं................वाह </p>
<p></p>
<p>बहुत बहुत बधाई लीजिये इस बेमिसाल ग़ज़ल पर.</p>
<p>सादर.</p> आ० सौरभ जी ,ग़ज़ल पर आपकी इनायत…tag:openbooks.ning.com,2014-07-07:5170231:Comment:5562832014-07-07T04:01:50.349Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आ० सौरभ जी ,ग़ज़ल पर आपकी इनायत हुई सच में होंसला दुगुना हो गया ग़ज़ल मुकम्मल हो गई ,ह्रदय तल से आभारी हूँ |</p>
<p>आ० सौरभ जी ,ग़ज़ल पर आपकी इनायत हुई सच में होंसला दुगुना हो गया ग़ज़ल मुकम्मल हो गई ,ह्रदय तल से आभारी हूँ |</p> आदरणीया राजेशकुमारीजी, आपने त…tag:openbooks.ning.com,2014-07-06:5170231:Comment:5564082014-07-06T23:07:15.046ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया राजेशकुमारीजी, आपने तो कमाल की ग़ज़ल प्रस्तुत कर डाली. यह नातिया के समक्ष है !</p>
<p>किसी एक शेर पर कुछ कहना अन्य की तौहीन होगी. </p>
<p>दिली दाद कुबूल करें आदरणीया.. </p>
<p>आदरणीया राजेशकुमारीजी, आपने तो कमाल की ग़ज़ल प्रस्तुत कर डाली. यह नातिया के समक्ष है !</p>
<p>किसी एक शेर पर कुछ कहना अन्य की तौहीन होगी. </p>
<p>दिली दाद कुबूल करें आदरणीया.. </p> आ० विजय निकोर जी ग़ज़ल को आपका…tag:openbooks.ning.com,2014-07-01:5170231:Comment:5549432014-07-01T15:19:48.163Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आ० विजय निकोर जी ग़ज़ल को आपका आशीष मिला ग़ज़ल धन्य हुई ,तहे दिल से आभार आपका |</p>
<p>आ० विजय निकोर जी ग़ज़ल को आपका आशीष मिला ग़ज़ल धन्य हुई ,तहे दिल से आभार आपका |</p> बहुत ही खूबसूरत ...! बहुत बे…tag:openbooks.ning.com,2014-07-01:5170231:Comment:5549282014-07-01T10:17:27.187Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>बहुत ही खूबसूरत ...! बहुत बेहतरीन गज़ल के लिए बधाई, आदरणीया राजेश जी।</p>
<p>बहुत ही खूबसूरत ...! बहुत बेहतरीन गज़ल के लिए बधाई, आदरणीया राजेश जी।</p>